कोरबा: एसईसीएल की कोरबा स्थित कुसमुंडा कोयला खदान में कन्वेयर बेल्ट के लिए निर्माणाधीन बंकर का एक हिस्सा अचानक टूटकर गिर गया. बीते शनिवार को हुए इस हादसे में किसी भी तरह के जान माल की हानि नहीं हुई. लेकिन कोयला खदान से कन्वेयर बेल्ट के जरिए सीधे पवार प्लांट को कोयला पहुंचाने की परियोजना जरूर अधर में है. जिसका सेफ्टी कमेटी ने जायजा लिया है. कमेटी ने सुरक्षा में की जा रही अनदेखी को गंभीरता लिया. जांच की टीम अपनी रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपेगी और सुरक्षा के उपाय करने पर जोर देगी.
वेट बैलेंसिंग में चूक के कारण हुआ नुकसान: एसईसीएल की मेगा परियोजना कुसमुंडा में खदान से कोयला को सीधे कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से ऊपर भेजने के लिए बंकर का निर्माण जारी है, जिसके भीतर लोहे की भारी भरकम पुली ऊपर से नीचे की ओर गिरने लगी. पुली लोहे के बड़े स्लैब से टकराई, जिसके कारण तेज झटका लगा. लोहे का स्लैब अपने स्थान से खिसकने लगा. इसकी वजह से बंकर का एक हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. वेट बैलेंसिंग में अनियमितता और चूक होने की वजह से पुली ऊपर से नीचे की ओर गिरी. शनिवार को हुई इस घटना के दौरान वहां काम कर रहे 15 मजदूर खाने के लिए बाहर गए थे. इससे किसी तरह की जनहानि नहीं हुई. निर्माण की गुणवत्ता को लेकर उठे सवाल के बाद प्रबंधन के साथ ही श्रमिक संघ के प्रतिनिधियों ने इसे गंभीरता से लिया था.
विभागीय जांच के आदेश: मामले में प्रबंधन ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. वहीं, श्रमिक संघ की सेफ्टी कमेटी भी मामले की जांच करने के लिए घटनास्थल पहुंची. इस दौरान यूनियन के सभी सदस्य उपस्थित रहे. टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है. इसके साथ ही निर्माण में लगी आरवीआर इंफ्रा स्ट्रक्चर प्राइवेट कंपनी लिमिटेड के जिम्मेदार अधिकारियों से घटनाक्रम की जानकारी ली. निरीक्षण के बाद टीम अपनी रिपोर्ट प्रबंधन के सामने रखते हुए सुरक्षा की मांग करेगी.
कुसमुंडा खदान में बंकर के निर्माण के दौरान यह घटना हुई है. इसमें किसी तरह के जान माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है. हालांकि घटना के बाद जांच के आदेश दे दिए गए हैं. प्रबंधन के साथ कमेटी के मेंबर्स ने भी मौके का जायजा लिया है. खदान के भीतर सुरक्षा संबंधी सभी मानको का पालन किया जाता है. -सनिष चंद्र, जनसंपर्क अधिकारी, एसईसीएल
वेस्ट प्लांट को कन्वेयर बेल्ट से पहुंचाया जाता है कोयला: कुसमुंडा कोयला खदान से राज्य सरकार की एचटीपीएस वेस्ट पवार प्लांट की दूरी 10 किलोमीटर के दायरे में है. यहां से सड़क या रेल परिवहन से कोयला पहुंचने की जरूरत नहीं पड़ती. कन्वेयर बेल्ट से ही कोयला पहुंचाया जाता है. पूर्व में वेस्ट प्लांट की क्षमता कम थी, लेकिन हसदेव थर्मल पावर स्टेशन या कोरबा वेस्ट थर्मल पावर स्टेशन भारत के छत्तीसगढ़ के कोरबा में 840 मेगावाट का कोयला आधारित बिजली स्टेशन है. जिसके आए भी विस्तार होने की संभावना है. पूर्व में छोटे कन्वेयर बेल्ट से काम चल जा रहा चल रहा था, लेकिन जब पावर प्लांट का विस्तार हुआ. इसके बाद एक बड़े कन्वेयर बेल्ट का निर्माण किया जा रहा है. इसके निर्माण में ही बंकर में यह घटना हुई है.