कोरबा: भिलाई में बीते दिनों नृत्य धाम कला समिति के तत्वाधान में इंटरनेशनल कल्चरल हार्मनी देश राग का आयोजन किया गया. इस आयोजन में कोरबा की कथक नृत्यांगना इशिता कश्यप को कला संस्कृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इस आयोजन में देशभर के कई राज्यों से आए कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. इस नृत्य महोत्सव में कोरबा की होनहार कथक नृत्यांगना इशिता कश्यप की खास उपलब्धियों को देखते हुए आमंत्रित किया गया. यहां इशिता कश्यप को देश विदेश के अनेक लोगों और गुरुजनों के सामने कला संस्कृति सम्मान से सम्मानित किया गया.
इशिता ने दी 200 चक्कर की विशेष प्रस्तुति: इशिता ने अपनी इस खास प्रस्तुति में शिव वंदना की प्रस्तुति दी. इशिता ने झपताल में रायगढ़ घराने के बोल बंदिशों के अलावा 200 चक्कर की विशेष प्रस्तुति भी दी. इशिता के नृत्य की इस परफॉर्मेंस को देखकर वहां मौजूद सभी लोग ताली बजाने पर मजबूर हो गए. सब उनकी कला की तारीफ करने लगे.
आगे भी मैं अभ्यास कर रही हूं. देश की कला संस्कृति को संरक्षित करने के लिए मैं लगातार मेहनत करती रहूंगी: इशिता कश्यप, कथक डांसर
इशिता बेहद कुशल कत्थक नृत्यांगना है. जिनका इस क्षेत्र में भविष्य काफी उज्जवल है. इशिता ने हाल ही में अखिल भारतीय संस्कृतिक संघ पुणे में आयोजित भाव राग ताल में भी प्रथम स्थान हासिल किया. जिसके बाद उन्हें आबू धाबी दुबई के लिए आमंत्रित किया गया है. यह आयोजन आने वाले 7 से 10 नवंबर को आयोजित होगा. इशिता आगे चलकर शास्त्रीय नृत्य कथक में ही अपनी विशेष पहचान बनाना चाहती है.: मोरध्वज वैष्णव, इशिता के गुरु
इशिता ने नृत्य की शिक्षा कहां से प्राप्त की? : इशिता कश्यप ने गुरु मोरध्वज वैष्णव के मार्गदर्शन में नृत्य की शिक्षा प्राप्त की है. इसके साथ ही केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित नेशनल स्कॉलरशिप 2023 -24 जूनियर वर्ग में छत्तीसगढ़ की एकमात्र कथक नृत्यांगना के रूप में वह चुनीं गई हैं. जिसके कारण इशिता को इस सम्मान के लिए चुना गया. इशिता महज 11 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही देश विदेश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी कुशल प्रस्तुति दे चुकी हैं. छत्तीसगढ़ में कथक नृत्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं. इशिता ने अपनी उपलब्धि पर माता-पिता और गुरु को श्रेय दिया है. इशिता को दुबई से भी आमंत्रण मिला है.
इशिता को हर ओर से मिल रही बधाई: सम्मान मिलने पर इशिता को हर ओर से बधाइयां मिल रही है. इशिता आने वाले दिनों में अपनी भारतीय संस्कृति कथक की उपयोगिता को देश विदेशों तक पहुंचाना चाहती है.