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1296 तार से बनती है 'फीणी', पृथ्वीराज चौहान की शादी में मेहमानों को परोसी गई थी ये मिठाई - WINTER SPECIAL FINI SWEET

पढ़िए सांभरलेक की फीणी मिठाई के बारे में,कहा जाता है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान की शादी में शाही भोज में मेहमानों को परोसी गई थी...

सांभरलेक की फीणी मिठाई
सांभरलेक की फीणी मिठाई (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 13, 2025, 12:14 PM IST

Updated : Jan 13, 2025, 1:30 PM IST

जयपुर : अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध सांभरलेक की मिठाई फीणी देश-विदेश में अपनी खुशबू फैला रही है. रसीले पतले-पतले मैदा के तारों से बनने वाली ये फीणी एक खास क्लाइमेट में ही तैयार होती है. नए साल और मकर संक्रांति पर इसकी मांग देश-विदेश में बढ़ जाती है. प्रसिद्ध जयपुरिया फीणी भंडार के मालिक राजेश शर्मा ने बताया कि यहां की फीणी का जायका सैकड़ों साल पुराना है. मैदे से बनने वाली फीणी में 1296 महीन तार बनते हैं. सांभरलेक में आने वाला हर व्यक्ति भी यहां की मिठाई का स्वाद चखे बिना नहीं रहता. वर्षों से यहां मिठाई फीणी बनाने का काम किया जाता है. सांभरलेक के पुस्तकालय में 16वीं शताब्दी में लिखी गई चंदबरदाई की प्रसिद्ध पुस्तक पृथ्वीराज रासो में इस मिठाई का जिक्र मिलता है. पुस्तक के अनुसार जब पृथ्वीराज चौहान की शादी हुई थी, तब इस मिठाई काे शाही भोज के दौरान मेहमानों को परोसा गया था.

बाजारों में महकती है फीणी की खुशबू : सांभरलेक के बाजार में प्रवेश करते ही फीणी की सौंधी खुशबू आनी शुरू हो जाती है. यहां के दुकानों पर पारंपरिक तरीके से देसी और घी में बनी फीणी मिलती है. सांभरलेक के प्रसिद्ध शर्मा मिष्ठान भंडार के मालिक दीपक शर्मा ने बताया कि 120 साल से उनकी तीसरी पीढ़ी फीणी बनाने का काम कर रही है. यहां के नमक के वातावरण के चलते फीणी अच्छी और स्वादिष्ट बनती है, जिसकी देश-विदेश में मांग रहती है. सांभरलेक में फीणी का कारोबार सर्दियों में बढ़ जाता है. यहां की फीणी का हर शुभ कार्य में लोग स्वाद लेते थे. फीणी राजस्थान के अलावा कोलकाता, मुंबई, पुणे सहित कई प्रदेशों में भेजी जाती है. इतना ही नहीं विदेशों में भी इस मिठाई की डिमांड रहती है.

सांभरलेक की फीणी मिठाई (ETV Bharat Jaipur)

इसे भी पढ़ें. Rajasthan: जोधपुर में इस चूरमे की चक्की के लोग हैं दीवाने, 85 साल से वही स्वाद और तरीका, लेने के लिए लगती है लाइन

मैदा और घी से बनी फीणी में होते हैं 1296 तार : सांभरलेक की फीणी मैदा और घी से तैयार की जाती है, जो पतले-पतले धागों जैसी दिखती है. मैदा और घी से लच्छा बनाकर घी में डीप फ्राई कर तैयार किया जाता है. लच्छे के तार जितने महीन होते हैं, उतनी ही ये जायकेदार बनती है. सांभरलेक की फीणी धागे जैसी महीन बनावट के चलते काफी फेमस है. एक फीणी का वजन 20 ग्राम होता है एक फीणी में 1296 तार बनते हैं.

पृथ्वीराज चौहान की शादी में मेहमानों को परोसी गई थी ये मिठाई
पृथ्वीराज चौहान की शादी में मेहमानों को परोसी गई थी ये मिठाई (ETV Bharat Jaipur)
1296 तार से बनती है 'फीणी'
1296 तार से बनती है 'फीणी' (ETV Bharat Jaipur)

3 दिन का समय लगता है फीणी को बनाने में : सांभरलेक में नमक की झील है. फीणी बनाने वाले कारीगर दीपक साहू ने बताया कि फीणी कोई चुटकियों में तैयार होने वाला जायका नहीं है. इसे बनाने के लिए तीन दिन का समय लगता है. पहले दिन फीणी बनाने के लिए घी और मैदा काे रात के समय खुले आसमान के नीचे मिलाकर जमने के लिए छोड़ दिया जाता है. दूसरे दिन उसे खींचकर लंबा कर माला की शेप में बना लेते हैं. इसके बाद उसमें फेटे लगाते हैं, जिससे उसमें तार बन जाते हैं. इस तरह से तार की एक माला बन जाती है. तीसरे दिन लोए तैयार कर गरम घी की कड़ाही में डालकर सेकते हैं, तब जाकर फीणी तैयार होती है.

जयपुर : अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध सांभरलेक की मिठाई फीणी देश-विदेश में अपनी खुशबू फैला रही है. रसीले पतले-पतले मैदा के तारों से बनने वाली ये फीणी एक खास क्लाइमेट में ही तैयार होती है. नए साल और मकर संक्रांति पर इसकी मांग देश-विदेश में बढ़ जाती है. प्रसिद्ध जयपुरिया फीणी भंडार के मालिक राजेश शर्मा ने बताया कि यहां की फीणी का जायका सैकड़ों साल पुराना है. मैदे से बनने वाली फीणी में 1296 महीन तार बनते हैं. सांभरलेक में आने वाला हर व्यक्ति भी यहां की मिठाई का स्वाद चखे बिना नहीं रहता. वर्षों से यहां मिठाई फीणी बनाने का काम किया जाता है. सांभरलेक के पुस्तकालय में 16वीं शताब्दी में लिखी गई चंदबरदाई की प्रसिद्ध पुस्तक पृथ्वीराज रासो में इस मिठाई का जिक्र मिलता है. पुस्तक के अनुसार जब पृथ्वीराज चौहान की शादी हुई थी, तब इस मिठाई काे शाही भोज के दौरान मेहमानों को परोसा गया था.

बाजारों में महकती है फीणी की खुशबू : सांभरलेक के बाजार में प्रवेश करते ही फीणी की सौंधी खुशबू आनी शुरू हो जाती है. यहां के दुकानों पर पारंपरिक तरीके से देसी और घी में बनी फीणी मिलती है. सांभरलेक के प्रसिद्ध शर्मा मिष्ठान भंडार के मालिक दीपक शर्मा ने बताया कि 120 साल से उनकी तीसरी पीढ़ी फीणी बनाने का काम कर रही है. यहां के नमक के वातावरण के चलते फीणी अच्छी और स्वादिष्ट बनती है, जिसकी देश-विदेश में मांग रहती है. सांभरलेक में फीणी का कारोबार सर्दियों में बढ़ जाता है. यहां की फीणी का हर शुभ कार्य में लोग स्वाद लेते थे. फीणी राजस्थान के अलावा कोलकाता, मुंबई, पुणे सहित कई प्रदेशों में भेजी जाती है. इतना ही नहीं विदेशों में भी इस मिठाई की डिमांड रहती है.

सांभरलेक की फीणी मिठाई (ETV Bharat Jaipur)

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मैदा और घी से बनी फीणी में होते हैं 1296 तार : सांभरलेक की फीणी मैदा और घी से तैयार की जाती है, जो पतले-पतले धागों जैसी दिखती है. मैदा और घी से लच्छा बनाकर घी में डीप फ्राई कर तैयार किया जाता है. लच्छे के तार जितने महीन होते हैं, उतनी ही ये जायकेदार बनती है. सांभरलेक की फीणी धागे जैसी महीन बनावट के चलते काफी फेमस है. एक फीणी का वजन 20 ग्राम होता है एक फीणी में 1296 तार बनते हैं.

पृथ्वीराज चौहान की शादी में मेहमानों को परोसी गई थी ये मिठाई
पृथ्वीराज चौहान की शादी में मेहमानों को परोसी गई थी ये मिठाई (ETV Bharat Jaipur)
1296 तार से बनती है 'फीणी'
1296 तार से बनती है 'फीणी' (ETV Bharat Jaipur)

3 दिन का समय लगता है फीणी को बनाने में : सांभरलेक में नमक की झील है. फीणी बनाने वाले कारीगर दीपक साहू ने बताया कि फीणी कोई चुटकियों में तैयार होने वाला जायका नहीं है. इसे बनाने के लिए तीन दिन का समय लगता है. पहले दिन फीणी बनाने के लिए घी और मैदा काे रात के समय खुले आसमान के नीचे मिलाकर जमने के लिए छोड़ दिया जाता है. दूसरे दिन उसे खींचकर लंबा कर माला की शेप में बना लेते हैं. इसके बाद उसमें फेटे लगाते हैं, जिससे उसमें तार बन जाते हैं. इस तरह से तार की एक माला बन जाती है. तीसरे दिन लोए तैयार कर गरम घी की कड़ाही में डालकर सेकते हैं, तब जाकर फीणी तैयार होती है.

Last Updated : Jan 13, 2025, 1:30 PM IST
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