लखनऊ: देश में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. योग दिवस मनाने के पीछे मकसद है कि इसे लोग अपनाएं और स्वस्थ रहें. योगासन और प्राणायाम करने से कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है. इसलिए अब डॉक्टर भी इलाज के साथ योग करने की सलाह देते हैं. योग का महत्व बताने के लिए अस्पतालों में योग विशेषज्ञों की ओर से मरीजों और तीमारदारों के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को भी योगाभ्यास कराया जा रहा है. योगाचार्य सोमिल शर्मा का कहना है कि योग सिर्फ एक्सरसाइज नहीं है, जिसे सिर्फ एक घंटे करके भुला दिया जाए. योग का मतलब है, जोड़ कर रखना. योग का मतलब है पूरा दिन व्यवस्थित तरीके से रहना. सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक का एक निर्धारित समय होना यह तमाम चीज योग में आती है.
मेरुदंडासनः योगाचार्य सोमिल ने बताया कि सर्वाइकल के लिए मेरूदंड आसन है. मेरूदंड रीढ़ की हड्डी होती है. इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है. मेरुदंडासन पेट को कंट्रोल करने के लिए भी एक अच्छी एक्सरसाइज है. यह योग कूल्हों और हैमस्ट्रिंग को अच्छा स्ट्रेच देता है.उन्होंने बताया कि सबसे पहले अपनी रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह से सीधा रखें और दोनों हाथों को दोनों पैरों की जांघों पर रख लें. इसके बाद अपने दोनों पैरों को एक-दूसरे से दूर करके फैला लें. उसके बाद थोड़ा सा आगे की ओर झुकें और अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे को पकड़ें. ऐसे ही पांच बार करें.
मरीच्यासनः मरीच्यासन के नियमित अभ्यास से तनाव खत्म होता है. इसे करने से महिलाओं को पीसीओडी, पीसीओएस व मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है. इसे नियमित रूप से करने पर दिमाग शांत रहता है और सिरदर्द नहीं होता है. यह कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाकर दर्द में राहत दिलाता है. उन्होंने कहा कि पहले सपाट जमीन पर दंडासन मुद्रा में बैठ जाएं. अब दाएं पैर के घुटने को मोड़ें और पैर को कूल्हे के पास लाकर जमीन पर रखें. इस दौरान बाएं पैर को सीधी रखें और धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकना शुरू करें.
मंडूकासनः योगाचार्य सोमिल के अनुसार, मंडूकासन वजन को नियंत्रित करता है. घुटने और टखने के जोड़ों के लचीलेपन और गतिशीलता में सुधार करता है. कंधे और पेट की मांसपेशियों को टोन करने में मदद करता है. इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से आपके फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है. पेट में गैस, कब्ज और अपच में फायदेमंद हैं. पीठ को मजबूत बनाता है. उन्होंने बताया कि इस आसन को करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठकर अपनी मुठ्ठी बंद करके अंगूठे बाहर की तरफ रख लें. अब मुठ्ठी को नाभि चक्र और जांघ के पास ले जाकर इस तरह दबाव बनाएं कि मुठ्ठी खड़ी हो और अंगूठे अंदर की तरफ हों.
मत्स्येंद्रासनः मत्स्येंद्रासन स्पाइन को फ्लेक्सिबल बनाने में काम करता हैं. इस आसन के जरिए व्यक्ति का मसल्स को स्ट्रेच होता है. इसके अलावा मरीज के कमर की अकड़न को कम करता हैं. तनाव और चिंता से राहत देता हैं. ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता हैं. मधुमेह को कंट्रोल करता है. इस आसन के करने से पाचन बेहतर होता है. उन्होंने बताया कि इस आसन को करते समय लेट जाएं. लेटते समय दोनों घुटने जमीन से ही सटे रहना चाहिए. फिर दोनों हाथों की सहायता से शिखास्थान को भूमि पर टिकाएं. इसके बाद बाएं पैर के अंगूठे और दोनों कोहनियों को भूमि से लगाए रखें. हाथ के आधार से सावधानी पूर्वक पीछे की ओर होकर लेट जाएं.
शवासनः योगाचार्य सोमिल ने बताया कि महिलाओं को गर्भधारण के तीन महीने तक कोई भी ऐसा व्यायाम या योगा नहीं करना चाहिए. जिससे जच्चा-बच्चा को कोई संकट हो. गर्भधारण के तीन महीने बाद योग के जरिए गर्भवती महिलाएं अपने आपको शवासन सेस्वस्थ रख सकती हैं. इस आसन में पूरे शरीर को आराम मिलता है. इस आसन को करने के लिए एक समतल जगह पर दरी या मैट बिछाकर आराम से पीठ के बल लेट जाएं. अपने दोनों हाथों को शरीर से कुछ दूरी पर रखें और अपने दोनों पैरों को भी फैला लें. शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें. पूरी तरह सांसो पर ध्यान केंद्रित करते हुए आराम से धीरे-धीरे सांस लें. इससे आपको शारीरिक के साथ मानसिक रूप से भी आराम मिलता है. इस आसन को करने से तनाव से भी राहत मिलती है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान होने वाले मूड स्विंग के लिए ये आसन फायदेमंद रहता है.
प्राणायाम: प्राणायाम करने की सबसे अच्छी मुद्रा पद्मासन होती है. पद्मासन में न बैठ पाएं तो सुखासन की मुद्रा में पलथी मारकर बैठें. तनाव मुक्त होता, रक्त की शुद्धि होती है, मन शांत होता है, सांस की समस्या दूर होती है. उन्होंने बताया कि सबसे पहले आखें बंद कर लें, दृष्टि को नाक पर केंद्रित करें, पीठ सीधी रखें, और दिमाग़ को शांत करें.फिर एक गहरी सांस लें.और बहुत धीरे-धीरे से धीमी गति से सांस छोड़ना शुरू करें.
शीतली प्राणायाम: दांतों को हल्के से जोड़ लें. दांतों के पीछे जीभ लगाकर गहरी लंबी सांस लें. सांस मुंह से लें और नाक से छोड़ें. यह दिन में किसी भी समय किया जा सकता है. इसे सामान्य तौर पर 11 बार करें. होंठ सूख जाते हों तो शुरूआत में पांच से छह बार करें. यह शरीर के तापमान को कम करने के साथ ही मस्तिष्क को ठंडा रखने के लिए भी अच्छा होता है. जिन्हें कफ है, वे इसे न करें.
शीतकारी प्राणायाम : मुंह खुला रखें और जीभ बाहर. होंठों को घुमाकर 'ओ' का आकार बनाएं. मुंह से सांस लें और नाक से छोड़ें. मुंह से सांस लेने पर जीभ के द्वारा ठंडी हवा अंदर जाती है. ध्यान दें कि शीतली और शीतकारी प्राणायाम गर्मी के मौसम में किए जाते हैं. शीत ऋतु में करने से सर्दी-जुकाम हो सकता है.
भ्रामरी प्राणायाम : मस्तिष्क ठंडा रखने के भ्रामरी प्राणायाम बेहतर होता है. कान और आंखों को बंद कर 'म' ध्वनि का उच्चारण करें. बुजुर्ग या सर्वाइकल से पीड़ित कंधे दुखने पर रुक-रुक कर इसे कर सकते हैं.
पवनमुक्तासन : पैर मोड़कर सीने के पास लाएं. सिर को उठाकर घुटने पर नाक या ठुड्डी लगाने की कोशिश करें. जब पैर नासिका के पास लाएं तो पूरी सांस बाहर निकाल दें. यही क्रिया दूसरे पैर से भी दोहराएं. अब दोनों घुटनों को सीने तक लाएं. पैरों को पकड़कर पीठ के बल झूला झूलें. जिन्हें कमर दर्द, स्लिप डिस्क या सायटिका की समस्या हो तो वे इसे दाएं-बाएं करें. पवनमुक्तासन से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है.
नेचुरल पैथीः योगा भवन के योगाचार्य सोमिल शर्मा ने बताया कि हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है. दिन-ब-दिन इसको लेकर लोगों में जागरूकता हो रही है. अब तो देश-विदेश में भी बड़े उत्साह के साथ योग दिवस मनाया जाता है. हर साल इसका एक विषय रखा जाता है. इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम "स्वयं और समाज के लिए योग" रखा गया है. उन्होंने बताया कि नेचुरल पैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए लोगों को बहुत लाभ मिलता है. जो भी मरीज यहां पर योग के लिए आते हैं उनका पूरा ख्याल रखा जाता है और उनके उम्र, वजन, क्षमता और बीमारी के अनुसार ही योग कराया जाता है. उन्होंने बताया कि बहुत से ऐसे मरीज आते हैं, जिनका एक्यूप्रेशर बढ़ जाता है. तमाम दिक्कत परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक्यूप्रेशर को नियंत्रित करने के लिए एक्यूप्रेशर थेरेपी (सूर्योग्य) कराया जाता है. इस प्राकृतिक चिकित्सा में छोटे छोटे मेग्नेट होते हैं. पांच तत्वों से शरीर बनीं है. एसे में एनर्जी को बैलेंस करने के लिए व्हाइट और यलो मैग्नेट लगाया जाता है. जिससे बीमारी बैलेंस हो जाती है.
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