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झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन, समय कम चुनौतियां ज्यादा! - Hemant Soren Oath

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 4, 2024, 6:16 PM IST

Challenges for Hemant Soren after becoming CM. हेमंत सोरेन ने झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. राजभवन में एक सादे समारोह में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. विधानसभा चुनाव सामने है, ऐसे में सीएम हेमंत सोरेन के पास समय कम और चुनौतियां ज्यादा हैं. क्या है वो चुनौतियां, जानें ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

Know what challenges Hemant Soren faces after becoming Chief Minister of Jharkhand
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

रांचीः हेमंत सोरेन ने तीसरी बार झारखंड की कमान संभाली है. राजभवन में गुरुवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है. झारखंड के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन का यह कार्यकाल भले ही छोटा है मगर चुनौतियां बहुत हैं.

पहली चुनौती पंचम विधानसभा के शेष बचे चंद महीने के कार्यकाल में तेजी से विकास कार्य को करना माना जा रहा है. अपने मुख्यमंत्रित्व काल में किए गए घोषणाओं को तेजी से जमीन पर उतारना हेमंत के लिए बड़ी चुनौती होगी. इसके अलावा आने वाले तीन महीने में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में गठबंधन दल के बीच समन्वय बनाकर चुनाव में उतरना हेमंत के लिए दूसरा टास्क होगा.

इंडिया गठबंधन की ओर से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ना तय है. कांग्रेस, राजद के साथ साथ अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी चुनावी नैया पार लगाना हेमंत के ऊपर जिम्मेदारी के रुप में है. पार्टी के अंदर विरोध के स्वर ना फूटे इसके लिए बतौर कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के मुखिया के रुप में विशेष जिम्मेदारी हेमंत सोरेन पर ही होगी. हालांकि हेमंत सोरेन के लिए सुखद बात यह है कि पार्टी के अंदर रहकर जो इनका विरोध कर रहे थे वे या तो दूसरे दल में लोकसभा चुनाव के दरमियान चले गए या पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा चूका है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि हेमंत सोरेन हर चुनौतियों को पार करने में सफल होंगे.

खुद पर लगे भ्रष्टाचार का दाग धोना होगा हेमंत के लिए बड़ी चुनौती

हेमंत सोरेन के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने उपर लगे भ्रष्टाचार के दाग को धोना है. लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष हेमंत सोरेन और सोरेन परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती नजर आएगी, जाहिर तौर पर जनता के बीच हेमंत सोरेन को सफाई देना होगा. ईडी की कार्रवाई और जमीन घोटाला की वास्तविकता से जनता को सफाई देने में अगर हेमंत सफल हो जाते हैं तो विधानसभा चुनाव जीतना बीजेपी के लिए कठिन होगा.

राजनीतिक जानकार अमरनाथ झा कहते हैं कि लोकसभा चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया है कि ट्रायबल वोट बैंक का बड़ा हिस्सा इंडिया गठबंधन और जेएमएम के साथ है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी यह देखा गया था, जिस वजह से बीजेपी की सरकार दुबारा नहीं बन पाई.

इसे भी पढ़ें- जेल से निकलने के बाद हेमंत सोरेन के सामने चुनौतियां, क्या विधानसभा चुनाव में दिला पाएंगे पार्टी को फायदा, क्या कहते हैं जानकार - Hemant Soren challenge

इसे भी पढ़ें- झारखंड है अनसर्टेन स्टेट, चंपाई की सत्ता बेदखली से हो गया साबित, सियासत पर किस तरह का पड़ सकता है प्रभाव - Political situation of Jharkhand

इसे भी पढ़ें- हेमंत सोरेन की ताजपोशीः जानें, सियासी विरासत को अब तक कैसे संभाल रहें हेमंत - Political journey of Hemant

रांचीः हेमंत सोरेन ने तीसरी बार झारखंड की कमान संभाली है. राजभवन में गुरुवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है. झारखंड के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन का यह कार्यकाल भले ही छोटा है मगर चुनौतियां बहुत हैं.

पहली चुनौती पंचम विधानसभा के शेष बचे चंद महीने के कार्यकाल में तेजी से विकास कार्य को करना माना जा रहा है. अपने मुख्यमंत्रित्व काल में किए गए घोषणाओं को तेजी से जमीन पर उतारना हेमंत के लिए बड़ी चुनौती होगी. इसके अलावा आने वाले तीन महीने में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में गठबंधन दल के बीच समन्वय बनाकर चुनाव में उतरना हेमंत के लिए दूसरा टास्क होगा.

इंडिया गठबंधन की ओर से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ना तय है. कांग्रेस, राजद के साथ साथ अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी चुनावी नैया पार लगाना हेमंत के ऊपर जिम्मेदारी के रुप में है. पार्टी के अंदर विरोध के स्वर ना फूटे इसके लिए बतौर कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के मुखिया के रुप में विशेष जिम्मेदारी हेमंत सोरेन पर ही होगी. हालांकि हेमंत सोरेन के लिए सुखद बात यह है कि पार्टी के अंदर रहकर जो इनका विरोध कर रहे थे वे या तो दूसरे दल में लोकसभा चुनाव के दरमियान चले गए या पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा चूका है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि हेमंत सोरेन हर चुनौतियों को पार करने में सफल होंगे.

खुद पर लगे भ्रष्टाचार का दाग धोना होगा हेमंत के लिए बड़ी चुनौती

हेमंत सोरेन के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने उपर लगे भ्रष्टाचार के दाग को धोना है. लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष हेमंत सोरेन और सोरेन परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती नजर आएगी, जाहिर तौर पर जनता के बीच हेमंत सोरेन को सफाई देना होगा. ईडी की कार्रवाई और जमीन घोटाला की वास्तविकता से जनता को सफाई देने में अगर हेमंत सफल हो जाते हैं तो विधानसभा चुनाव जीतना बीजेपी के लिए कठिन होगा.

राजनीतिक जानकार अमरनाथ झा कहते हैं कि लोकसभा चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया है कि ट्रायबल वोट बैंक का बड़ा हिस्सा इंडिया गठबंधन और जेएमएम के साथ है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी यह देखा गया था, जिस वजह से बीजेपी की सरकार दुबारा नहीं बन पाई.

इसे भी पढ़ें- जेल से निकलने के बाद हेमंत सोरेन के सामने चुनौतियां, क्या विधानसभा चुनाव में दिला पाएंगे पार्टी को फायदा, क्या कहते हैं जानकार - Hemant Soren challenge

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