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लोकसभा चुनाव 2024ः अपने सांसद से खूंटी के युवाओं की क्या है उम्मीदें, जानिए

Expectations of the youth of Khunti. खूंटी लोकसभा क्षेत्र में विकास की अभी काफी जरूरत है. यहां के लोगों की कई समस्याएं हैं, जिसे दूर करने के लिए जनप्रतिनिधियों को अभी बहुत काम करना है. यहां के युवा ऐसा प्रतिनिधि चाहते हैं जो उनकी सारी परेशानियों को खत्म कर दे.

Know what are the expectations of the youth of Khunti from their MP
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 18, 2024, 9:36 AM IST

Updated : Mar 18, 2024, 10:23 AM IST

सांसद को लेकर युवाओं से संवाददाता सोनू अंसारी ने बातचीत की

खूंटीः जनजातीय बहुल खूंटी लोकसभा सीट पर दशकों से भाजपा का दबदबा रहा है. बावजूद भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थली एवं कर्मस्थली विकास से कोसों दूर है. यहां के युवा आज भी बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में हैं. छह विधानसभा और 30 प्रखंडों को मिलाकर बने खूंटी लोकसभा के अधिकतर प्रखंडों में अवैध अफीम की खेती की जाती है, युवा मानते हैं कि शिक्षा और रोजगार नहीं मिलने के कारण वो नशे की खेती की तरफ बढ़ गए हैं. 1967 से अस्तित्व में आई लोकसभा सीट पर सबसे अधिक बार भाजपा के ही सांसद रहे हैं.

जिले के एकमात्र बिरसा कॉलेज में खूंटी लोकसभा क्षेत्र से सैकड़ों युवा रोज शिक्षा ग्रहण करने पहुंचते हैं. खूंटी समेत सिमडेगा, गुमला, सरायकेला और कुछ युवा रांची से भी पढ़ने बिरसा कॉलेज पहुंचते हैं. दूरस्थ इलाकों में कॉलेज नहीं है. छात्रों का कहना है कि स्कूल है लेकिन शिक्षक नहीं होने के कारण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है. जिसके कारण भी बच्चे भटक गए हैं और कम समय में अधिक पैसों की लालच के कारण अफीम की फसलों को ही रोजगार बना लिया है. युवाओं को ऐसे जनप्रतिनिधि की तलाश है जो क्षेत्र में बेहतर शिक्षा, रोजगार और कृषि कार्य में जोर दे ताकि जिला नशे की खेती से बाहर निकल सके तभी क्षेत्र का विकास संभव है.

युवाओं का कहना है कि जनजातीय बहुल लोकसभा सीट खूंटी में अब भी कई ऐसे गांव हैं, जहां बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. रोजी रोजगार के लिए पूरे क्षेत्र में कहीं भी कल कारखानों का निर्माण नहीं कराया गया है. जिसके कारण अब भी पलायन एक बड़ी समस्या बनी हुई है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र में बेहतर शिक्षा के विकास के लिए नॉलेज सिटी बनाने की कवायद भी शुरू हुई थी, लेकिन यह मामला भी अधर पर लटक गया. रक्षाशक्ति विश्वविद्यालय का भी निर्माण प्रारंभ हुआ था और इसके निर्माण के लिए भी लगभग साढ़े दस करोड़ खर्च होने के बाद भी यह योजना दूसरे लोकसभा में स्थानांतरित कर दी गई. स्वास्थ्य की दिशा में भी जिला पिछड़ा हुआ है, हालांकि इसपर लगातार कार्य हो रहे हैं. कोरोना के बाद से जिला में स्वास्थ्य सुविधा में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन जितनी अपेक्षा की गई उसके अनुकूल बदलाव नहीं हुआ है. जिले में मेडिकल कॉलेज की निर्माण की घोषणा हुई थी लेकिन अभी भी यह योजना अधर पर लटकी हुई है.

सांसद को लेकर युवाओं से संवाददाता सोनू अंसारी ने बातचीत की

खूंटीः जनजातीय बहुल खूंटी लोकसभा सीट पर दशकों से भाजपा का दबदबा रहा है. बावजूद भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थली एवं कर्मस्थली विकास से कोसों दूर है. यहां के युवा आज भी बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में हैं. छह विधानसभा और 30 प्रखंडों को मिलाकर बने खूंटी लोकसभा के अधिकतर प्रखंडों में अवैध अफीम की खेती की जाती है, युवा मानते हैं कि शिक्षा और रोजगार नहीं मिलने के कारण वो नशे की खेती की तरफ बढ़ गए हैं. 1967 से अस्तित्व में आई लोकसभा सीट पर सबसे अधिक बार भाजपा के ही सांसद रहे हैं.

जिले के एकमात्र बिरसा कॉलेज में खूंटी लोकसभा क्षेत्र से सैकड़ों युवा रोज शिक्षा ग्रहण करने पहुंचते हैं. खूंटी समेत सिमडेगा, गुमला, सरायकेला और कुछ युवा रांची से भी पढ़ने बिरसा कॉलेज पहुंचते हैं. दूरस्थ इलाकों में कॉलेज नहीं है. छात्रों का कहना है कि स्कूल है लेकिन शिक्षक नहीं होने के कारण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है. जिसके कारण भी बच्चे भटक गए हैं और कम समय में अधिक पैसों की लालच के कारण अफीम की फसलों को ही रोजगार बना लिया है. युवाओं को ऐसे जनप्रतिनिधि की तलाश है जो क्षेत्र में बेहतर शिक्षा, रोजगार और कृषि कार्य में जोर दे ताकि जिला नशे की खेती से बाहर निकल सके तभी क्षेत्र का विकास संभव है.

युवाओं का कहना है कि जनजातीय बहुल लोकसभा सीट खूंटी में अब भी कई ऐसे गांव हैं, जहां बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. रोजी रोजगार के लिए पूरे क्षेत्र में कहीं भी कल कारखानों का निर्माण नहीं कराया गया है. जिसके कारण अब भी पलायन एक बड़ी समस्या बनी हुई है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र में बेहतर शिक्षा के विकास के लिए नॉलेज सिटी बनाने की कवायद भी शुरू हुई थी, लेकिन यह मामला भी अधर पर लटक गया. रक्षाशक्ति विश्वविद्यालय का भी निर्माण प्रारंभ हुआ था और इसके निर्माण के लिए भी लगभग साढ़े दस करोड़ खर्च होने के बाद भी यह योजना दूसरे लोकसभा में स्थानांतरित कर दी गई. स्वास्थ्य की दिशा में भी जिला पिछड़ा हुआ है, हालांकि इसपर लगातार कार्य हो रहे हैं. कोरोना के बाद से जिला में स्वास्थ्य सुविधा में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन जितनी अपेक्षा की गई उसके अनुकूल बदलाव नहीं हुआ है. जिले में मेडिकल कॉलेज की निर्माण की घोषणा हुई थी लेकिन अभी भी यह योजना अधर पर लटकी हुई है.

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Last Updated : Mar 18, 2024, 10:23 AM IST
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