अलवर. राजस्थान में लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 15 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. हरियाणा के गुरुग्राम जिले के जमालपुर गांव के रहने वाले भूपेंद्र यादव को अलवर से लोकसभा चुनाव में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है. इस पर अलवर में रहने वाली भूपेंद्र यादव की सबसे बड़ी बहन उषा यादव ने कहा की 4 साल की उम्र में भूपेंद्र ने आरएसएस ज्वाइन की थी और अपने बूते पर आज वो इस मुकाम पर पहुंचे हैं. अलवर से उनका पुराना नाता रहा है.
भूपेंद्र यादव हमेशा से अलवर आते जाते रहे हैं. बचपन में वह अपनी बहन के घर रहते थे , उनकी दो बहने अलवर में रहती थी इनमें से एक बहन अब जयपुर शिफ्ट हो चुकी है. सबसे बड़ी बहन अलवर में ही रहती है. अलवर के सांसद रहे बाबा बालक नाथ विधान सभा के सदस्य बन गए हैं. यादव बाहुल्य सीट अलवर पर बीजेपी ने यादव को ही मैदान में उतारा है. भूपेंद्र यादव पिछले कई सालों से बीजेपी में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम चुके हैं.
अलवर से लड़ेंगे भूपेंद्र यादव : हरियाणा के गुरुग्राम जिले के जमालपुर गांव अलवर जिले से महज 15 किलोमीटर दूर है. भूपेंद्र यादव के पिता अभी गांव में ही रहते हैं. भूपेंद्र यादव दो बार राजस्थान से राज्यसभा सांसद रहे हैं. उनको पार्टी ने एमपी, बिहार, मणिपुर सहित कई राज्यों की बड़ी जिम्मेदारी दी. भूपेंद्र यादव दो बार से लगातार बीजेपी से राज्यसभा सदस्य रहे हैं. वर्ष 2012 में पहली बार उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा भेजा था. फिर दोबारा वर्ष 2018 में राजस्थान से राज्यसभा भेजा था. मगर, इस बार उन्हें अलवर लोकसभा सीट से पार्टी ने मैदान में उतारा है. पहली बार उनको लोकसभा चुनाव का टिकट मिला है. भूपेंद्र यादव के पिता कदम सिंह यादव रेलवे में अजमेर पोस्टेड थे. इसलिए भूपेंद्र यादव का बचपन अजमेर व अलवर में बीता है. भूपेंद्र यादव के तीन बहने हैं. इनमें से एक बहन की मृत्यु हो चुकी है. तो सबसे बड़ी बहन उषा यादव व उनके जीजा बलजीत यादव अलवर में रहते हैं. उषा यादव अलवर के विधि महाविद्यालय में प्रिंसिपल थी, उनके जीजा बलजीत यादव अलवर न्यायालय में प्रैक्टिस करते हैं. दूसरे नंबर की इंदु यादव की 3 साल पहले मृत्यु हो चुकी है. भाई बहनों की सूची में भूपेंद्र यादव तीसरे नंबर के हैं. उनकी पत्नी बबीता यादव सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं. सबसे छोटी बहन रेखा यादव व उनके जीजा मिलन यादव अजमेर में नौकरी करते हैं.
अलवर से भूपेंद्र का पुराना नाता : भूपेंद्र यादव को सांसद का टिकट मिलने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है. अलवर के हसन का मेवात नगर में रहने वाली भूपेंद्र यादव की सबसे बड़ी बहन उषा यादव ने खास बातचीत में बताया कि भूपेंद्र यादव 4 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़े और उसके बाद लगातार उन्होंने भाजपा एबीपी व आरएसएस में काम किया. एबीपी छात्र संघ में वो अजमेर में चुनाव लड़े और चुनाव जीते उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो हमेशा से राष्ट्रभक्ति की बात करते रहे हैं. उषा ने कहा कि भूपेंद्र यादव महंती हैं.अलवर से उनका खास नाता रहा है. क्योंकि उनका बचपन अलवर में गुजारा है. अपनी बहन के कार्यक्रमों में वो हमेशा से आते रहे हैं. तो अलवर में होने वाले कई कार्यक्रमों में भी वो शामिल हुए हैं. भूपेंद्र यादव के जीजा बलजीत यादव ने कहा कि लोगों को उनका समर्थन मिलेगा. क्योंकि हमेशा से वो आम लोगों के बीच रहे हैं. अलवर के लिए पहले भी उन्होंने कई बड़े कार्य किए हैं और आगे भी वो अलवर की जनता के लिए काम करेंगे. उनके नाम की घोषणा होने के बाद पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. उन्होंने कहा कि हालांकि अभी भूपेंद्र यादव से बात नहीं हुई है. लेकिन जल्द ही अलवर आएंगे और यहां अपना चुनाव प्रचार का कार्यक्रम शुरू करेंगे.
अमित शाह व मोदी के करीबी होने का मिला फायदा : भूपेंद्र यादव की लंबे समय से अलवर से चुनाव लड़ने की चर्चाएं रही हैं. भूपेंद्र यादव अमित शाह व नरेंद्र मोदी के करीबी रहे हैं इसलिए उनको राज्यसभा से सीधा मंत्री बनाया गया. भूपेंद्र को अब सीधे लोकसभा चुनाव में उतर गया है. अलवर के मंत्री संजय शर्मा सहित अन्य नेताओं से भी उनका खास जुड़ाव है.
यादव वोट बैंक के चलते अलवर से उतारा : अलवर लोकसभा सीट में यादव करीब साढ़े तीन लाख वोटर हैं. भूपेंद्र यादव ने अलवर, महेंद्रगढ़ व भिवानी सीट पार्टी के सामने रखी थी, लेकिन अलवर लोकसभा सीट पर यादव वोट बैंक ज्यादा होने कारण उनको अलवर से टिकट दिया गया है. साथ ही राजस्थान से जो पैनल तैयार हुआ. उसमें भूपेंद्र यादव का नाम शामिल था. इसके अलावा हरियाणा के पैनल में भी भूपेंद्र यादव के नाम को शामिल किया गया था.
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कांग्रेस के सामने रहेगी बड़ी चुनौती: कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती रहेगी कि वो अलवर से किसको अपना प्रत्याशी बनती है. क्योंकि यादव वोट बैंक के अलावा मोदी फैक्टर भी भूपेंद्र यादव के साथ रहेगा. अलवर लोकसभा सीट हमेशा से भाजपा की परंपरागत सीट रही है. इसलिए पहले 15 सीटों में भाजपा ने अलवर सीट को शामिल किया है.