जयपुर : गुलदाउदी का फूल, जिसमें खुशबू तो नहीं होती, लेकिन अपने रंग और साइज से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इस फूल का ओरिजिन देश चीन को बताया जाता है, जहां से ये पूरे विश्व में फैला. जापान के सम्राट ने इसे अपने क्राउन में जगह दी और 1986 से राजस्थान विश्वविद्यालय में इसकी एग्जिबिशन लगती आ रही है. खास बात ये है कि ये फूल करीब 15 से 60 दिन तक खिला रहता है और सूखने के बाद इस फूल से हर्बल टी और मेडिसिन तक बनती है.
समृद्धि का साइन भी माना जाता है : सूर्यमुखी कुल का गुलदाउदी का पौधा, जो कॉम्पोजिटी फ्लावर कहा जाता है यानी दो तरह के फूल मिलकर ये फूल बनाते हैं. राजस्थान विश्वविद्यालय में वनस्पति शास्त्र के विभाग अध्यक्ष प्रो. रामावतार शर्मा ने बताया कि पूरे विश्व में गुलदाउदी के आठ ग्रुप हैं, जिनमें से 6 ग्रुप भारत में मिलते हैं. इनमें से पांच ग्रुप तो राजस्थान विश्वविद्यालय भी अपने नर्सरी में प्रदर्शित करता है. मुख्य रूप से गुलदाउदी जापान में काफी पॉपुलर है क्योंकि वहां के सम्राट अपने क्राउन में गुलदाउदी के फूल को लगाते थे. इसे समृद्धि का साइन भी मानते हैं. ईसाई लोग भी इसे धर्म से जोड़ करके चलते थे.
पढे़ं. Farming in Central Jail: यहां बंदी उगा रहे फल-सब्जियां, गुलदाउदी-गेंदा की पौध जेल में बिखेर रही छटा
60 दिन खिला रहता है ये फूल : उन्होंने बताया कि गुलदाउदी मुख्य रूप से तीन रंग पीला, लाल और सफेद रंग के होते हैं. जैसे-जैसे क्लाइमेट के साथ कंपोजीशन बदलता है, तो इसमें कई मिक्स रंग के फूल विकसित हो जाते हैं, जिससे इनकी सैकड़ों वैरायटी बन जाती है. इनका अलग-अलग फ्लावर का साइज और लाइफ है. इसमें मुख्य रूप से रेगुलर, इनरेगुलर, स्पून, बटन, स्पाइडर, पोमपोम की करीब 60 किस्म मिलती है. इसमें बटन सबसे छोटी और इनरेगुलर सबसे बड़ी वैरायटी है. इसकी लाइफ 15 से 60 दिन की होती है. ये फ्लावर कम से कम 15 दिन और ज्यादा से ज्यादा 60 दिन खिला रहता है. ये आर्डर लेस (बिना खुशबू) फ्लावर होता है.
![ये फूल करीब 15 से 60 दिन तक खिला रहता है](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-12-2024/rj-jpr-03-guldaudi-pkg-7201174_11122024180157_1112f_1733920317_959.jpeg)
![ये आर्डर लेस (बिना खुशबू) फ्लावर होता है](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-12-2024/rj-jpr-03-guldaudi-pkg-7201174_11122024180157_1112f_1733920317_216.jpeg)
हर्बल टी मेडिसिन के रूप में भी उपयोग : प्रो. रामावतार शर्मा ने बताया कि ये लंबे समय तक चलने वाला पौधा है और हर सीजन में इसमें फ्लावर आते हैं. इसमें हर साल अलग साइज और अलग रंग का फ्लावर आता है. इसमें चटकीले रंग होते हैं और ये आकर्षक फूल होता है, इसलिए ज्यादा पॉपुलर है. हालांकि, इसमें किसी तरह की खुशबू नहीं आती, लेकिन सूखने के बाद हल्की स्मेल आती है. इसे हर्बल टी मेडिसिन के रूप में भी काम में लिया जाता है.
![सूखने के बाद इस फूल से हर्बल टी और मेडिसिन तक बनती है](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-12-2024/rj-jpr-03-guldaudi-pkg-7201174_11122024180157_1112f_1733920317_559.jpeg)
![ये फूल करीब 15 से 60 दिन तक खिला रहता है](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-12-2024/rj-jpr-03-guldaudi-pkg-7201174_11122024180157_1112f_1733920317_959.jpeg)
पढे़ं. ठंडे इलाकों में उगने वाला फूल 'गुलदाउदी' उगा रहे हैं जयपुर में, जानिए कैसै और कितनी हो रही है आमदनी
वहीं, राजस्थान विश्वविद्यालय गार्डन इंचार्ज डॉ. योगेश जोशी ने बताया कि गुलदाउदी को प्यार से कुछ लोग मम्स कहते हैं, जो डिफरेंट वैरायटी और डिफरेंट कलर में मिलते हैं. ये एशियाई ओरिजिन का प्लांट है. बताया जाता है कि चीन से इसका ओरिजिन हुआ है और वहीं से विश्व भर में पहुंचा है. इसकी खूबसूरती की वजह से इसे लोग घर में शोकेस करते हैं. उन्होंने बताया कि गुलदाउदी की सैंपलिंग को तैयार करने में 2 से 3 महीने का समय लगता है. हालांकि, इसके बाद इन्हें गमलों में प्लांट किया जाता है. नर्सरी से घरों तक पहुंचने में गुलदाउदी 4 से 6 महीने का सफर तय करता है.