देहरादून: हर साल चार मई को अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस (international firefighters day) मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस पर हर साल न सिर्फ फायर मैन को मोटिवेट किया जाता है, बल्कि उन्हें इस चुनौती काम के लिए सम्मानित भी किया जाता है. एक फायरमैन की क्या चुनौतियां होती है और किसी तरह वो अपनी जान पर खेलकर आग में से दूसरों की जान बचाता है, इस तमाम विषयों पर ईटीवी भारत ने दमकल विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खास बातचीत और उनके अनुभव साझा किए.
सवाल: जब किसी जगह पर आगजनी की सूचना मिलती है तो अग्निशमन का पहला एक्शन क्या होता है?
जवाब: ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए देहरादून के अग्निशमन अधिकारी सुरेश चंद्र ने बताया कि किसी भी जगह पर आगजनी की सूचना अग्निशमन को लैंडलाइन नंबर 0135-2716242, फायर कंट्रोल नंबर 101 और मुख्य कंट्रोल रूम नंबर 112 से प्राप्त होती है.
जब अग्निशमन एवं आपात सेवा के नियंत्रण कक्ष में सूचना प्राप्त होती है, उसके बाद ही इस कक्ष के बाहर लगे घंटी को बजाकर फायरमैन को अलर्ट किया जाता है, जिसके कुछ मिनट में ही फायरमैन अपने यूनिफॉर्म को पहनकर घटना स्थल के लिए रवाना हो जाते है. इस दौरान टीम रेस्क्यू के लिए जरूरी इक्विपमेंट भी अपने साथ लेकर जाती है, जिसमे ब्रीदिंग ऑपरेटस सिस्टम शामिल है. आगजनी की घटना के दौरान अगर बहुत अधिक धुंआ उठता है तो फायरमैन इसको पहनकर रेस्क्यू करते है.
सवाल: आगजनी घटना पर जाने के दौरान फायरमैन एक जैकेट भी पहनते है, ताकि वो खुद को सुरक्षित रख सके, वो क्या होती है?
जवाब: फायरमैन आगजनी की घटना के दौरान आग को बुझाने और रेस्क्यू के दौरान खुद को सुरक्षित रखने के लिए फायर प्रॉक्सिमिटी सूट का इस्तेमाल करते है. वैसे विभाग के पास प्रॉक्सिमिटी सूट की बड़ी कमी है. इसीलिए प्रॉक्सिमिटी सूट सभी कर्मचारियों को नहीं मिल पाते है. प्रॉक्सिमिटी सूट की खासियत ये है कि यह 700 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेल सकता है. प्रॉक्सिमिटी सूट की मदद से फायरमैन काफी हद तक आग बुझाने में कामयाब रहता है.
सवाल: देहरादून शहर में तमाम तंग गलियां है. यदि यहां कोई घटना हो जाए तो अग्निशमन की गाड़ियों को भेजने में काफी दिक्कतें होती है. इस तरह के हालात में आप लोग क्या करते है?
जवाब: अग्निशमन अधिकारी सुरेश चंद ने बताया कि मोटर फायर इंजन के साथ-साथ हाई प्रेशर पंप वाली तीन गाडियां भी है, जिनको तंग गलियों में ले जाया जाता है. इसके अलावा तीन गाडियां बैगपैक सेट भी है. यानी तीन मोटरसाइकिल है, जिसके पीछे सिलेंडर रखे रहते है. ऐसे में जब छोटी आगजनी की सूचना मिलती है तो बैगपैक सेट को भेजा जाता है. इसके अलावा हाई प्रेशर पंप वाली गाड़ियों भी भेजी जाती है.
साथ ही बताया कि अगर किसी संकरी गली में बड़ी आगजनी की घटना हुई है तो बैकअप में मोटर फायर इंजन भी भेजा जाता है, जिससे करीब 800 से 900 फिट दूर तक से आग को बुझाया जा सकता है.
सवाल: आगजनी के दौरान फायरमैन को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
जवाब: अग्निशमन अधिकारी सुरेश चंद का कहना है कि जब भी कई आगजनी की घटना होती है तो लोग सोचते है कि चंद मिनट में ही उन्हें सारी सुविधाएं मिल जाए, लेकिन ये संभव नहीं है. क्योंकि कई बार घटना के दौरान काफी ज्यादा ट्रैफिक होता है, ऐसा हालत में घटनास्थल पर पहुंचाना आसान नहीं होता है. फिर भी फायर ब्रिगेट की टीम की कोशिश यहीं होती है कि वो घटनास्थल पर जल्द से जल्द पहुंचे.
अग्निशमन अधिकारी सुरेश चंद ने बताया कि 6 नंबर पुलिया के पास मौजूद कबाड़ी मार्केट में आग लग गई थी. वहां आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन की 10 से 11 गाड़ियां लगाई गई थी. उस जगह का तापमान इतना अधिक था कि कर्मचारियों का वहां वाहन खड़ा करना तक मुश्किल हो गया था. ऐसे में दो फायरमैन को प्रॉक्सिमिटी सूट पहनकर फायर फाइटिंग कराया गया.
सवाल: देहरादून अग्निशमन ऑफिस में रोजाना कितनी सूचनाएं प्राप्त होती है और बैकअप में क्या सुविधा रहती है?
जवाल: अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि सामान्य दिनों में रोजाना 2-3 सूचनाओं प्राप्त होती है, लेकिन जब फायर सीजन शुरू होता है तो उसे दौरान रोजाना 8 से 15 सूचनाएं प्राप्त होती हैं. साथ ही कि जब कोई आगजनी की सूचना मिलती है तो टर्न आउट के हिसाब से कर्मचारियों को भेजा जाता है. इमरजेंसी या फिर बड़ी आगजनी की घटनाओं के लिए स्टैंडबाई में दो से तीन अग्निशमन गाड़ियां रखी जाती हैं, इसके बावजूद भी अगर कोई बड़ी घटना घट जाती है तो जिले के अन्य फायर स्टेशनों से मोटर फायर इंजन वाहनों को बुलाया जाता है.
सवाल: आप लंबे समय से फायर डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं. ऐसी कोई बड़ी घटना जिसके रेस्क्यू में लंबा समय लगा हो और फायरमैन को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा हो?
जवाब: अग्निशमन अधिकारी सुरेश चंद्र ने बताया कि उत्तराखंड में अभी तक आठ से 10 घंटे की फायर फाइटिंग हुई है. लेकिन वह अन्य राज्यों में भी काम कर चुके हैं, जहां 2 से 3 दिनों तक लगातार फायर फाइटिंग की है. साथ ही बताया कि फायर सर्विस कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर कड़ी मेहनत के साथ आग पर काबू पाते हैं.
सवाल: जब किसी क्षेत्र में आगजनी की सूचना प्राप्त होती है तो उस समय आपके जहन में क्या आता है?
जवाब: जब अग्निशमन एवं आपात सेवा में किसी भी जगह आगजनी की सूचना प्राप्त होती है तो फायरमैन के दिमाग में बस यही रहता है कि कहीं उनके घर में आग ना लगी हो. लिहाजा अगर फायरमैन उस समय खाना खा रहे हो या फिर पानी पी रहा हो तो वो इस काम को छोड़कर आग बुझाने के लिए निकल पड़ता है.
साथ ही बताया कि अप्रैल महीने में 113 आगजनी की घटनाएं हुई है. इसके अलावा अप्रैल महीने में 7 रेस्क्यू अभियान, 10 वीवीआईपी ड्यूटी, 37 वीआईपी ड्यूटी और 62 अन्य ड्यूटी में अग्निशमन की गाड़ियों को लगाया गया.
सवाल: अग्निशमन कार्यालय में मौजूद अग्निशमन गाड़ियों की क्षमता क्या है?.
जवाब: सुरेश चंद्र ने बताया कि एक वाहन "मल्टीपरपज फायर टेंडर" है, जिसकी खासियत यह है कि इसमें ऑटोमेटिक फॉर्म जनरेट होता है, जो की लिक्विड फायर को बुझाने में काफी कारगर होती है. मल्टीपरपज फायर टेंडर वाहन करीब 7000 लीटर क्षमता की है.
इसी तरह इसी तरह अग्निशमन कार्यालय में तमाम गाड़ियां हैं, जिसकी अलग-अलग खासियत है. अग्निशमन के पास 500 लीटर से लेकर 7000 लीटर पानी की क्षमता वाली गाड़ियां है. इसके अलावा फायर स्टेशन के पास एक ब्रांटो स्काई लिफ्ट गाड़ी भी है, जिनकी इस्तेमाल मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों में आग लगने के दौरान किया जाता है. ब्रांटो स्काई लिफ्ट की खास बात यह है कि उसकी मदद से 110 फीट ऊंचाई तक जाया जा सकता है, जिसके जरिए आसानी से आग को बुझाने के साथ ही लोगों का रेस्क्यू किया जा सकता है.
सवाल: जब घंटों-घंटों का रेस्क्यू चलता है तो उस दौरान फायर फाइटर्स के लिए खाने-पीने समेत अन्य चीजों की क्या व्यवस्था रहती है?
जवाब: सुरेश चंद्र ने बताया कि अगर किसी जगह पर आग लगी है तो उस दौरान वहा मौजूद फायर फाइटर्स घंटे तक खाने से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि फायर फाइटर्स लगातार फायर फाइटिंग करते हैं, लेकिन अगर कोई यूनिट अभी ऑफिस में मौजूद है तो उसको इनके हेल्प के लिए बुला लिया जाता है.
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