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छत्तीसगढ़ के किसान इस तरह से करें स्ट्रॉबेरी की खेती, बंपर कमाई से हो जाएंगे मालामाल

छत्तीसगढ़ के किसान स्ट्रॉबेरी की इन किस्मों को लगाकर अच्छा उत्पादन कर सकते हैं. इस तरह किसान मोटा मुनाफा भी कमा सकते हैं.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

Cultivate Strawberries
स्ट्रॉबेरी की खेती (ETV Bharat)

रायपुर : छत्तीसगढ़ के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कौन सी तकनीक से करें, जिससे उन्हें अधिक उत्पादन के साथ ही लाभ मिल सके. स्ट्रॉबेरी की ऐसी कौन सी किस्में हैं, जिसके जरिए किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है. स्ट्रॉबेरी की खेती करते समय किसानों को किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए. स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए कौन से मौसम को उपयुक्त माना गया है. इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम दास साहू से खास चर्चा की है.

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सही मौसम : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम दास साहू ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ठंड के मौसम को उपयुक्त माना गया है. सरगुजा के पहाड़ी क्षेत्र के साथ ही छत्तीसगढ़ का प्लेन एरिया इसकी खेती के लिए फायदेमंद है. इसके अलावा बस्तर का जंगली क्षेत्र जहां पर स्ट्रॉबेरी की खेती किसान आसानी से करके अधिक उत्पादन ले सकते हैं. स्ट्रॉबेरी के पौधों को अक्टूबर तक मंगा लेते हैं तो नवंबर से मार्च के बीच में स्ट्रॉबेरी खेती कर अच्छी आमदनी की जा सकती है.

स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान कर सकते बंपर कमाई (ETV BHARAT)

स्ट्रॉबेरी की किस्म में विंटर डॉन, कैमारोज़ा, स्वीट चार्ली और नबीला प्रमुख है. इन किस्मों का रोपण प्रदेश के किसान नवंबर के प्रथम सप्ताह में कर सकते हैं. : घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

स्ट्रॉबेरी की खेती करते समय बरतें सावधानी : स्ट्रॉबेरी की फसल लगाते समय प्रदेश के किसानों को कुछ आवश्यक सावधानी बरतनी जरूरी है. स्ट्रॉबेरी को किसान रनर से भी लगा सकते हैं. स्ट्रॉबेरी लगाते समय प्रदेश के किसान बेड बनाकर प्लास्टिक फ्लावर या टपक सिंचाई की तकनीक का प्रयोग करें. पौधे से पौधे की दूरी 40 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी भी 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

स्ट्रॉबेरी की खेती करते समय किसानों को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि घुलनशील खाद और पानी एक निश्चित मात्रा में देना जरूरी है. इन चीजों को ध्यान में रखकर किसान अगर स्ट्रॉबेरी लगाते हैं तो अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. : घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

अधिक उत्पादन के लिए करें हार्वेस्टिंग : स्ट्रॉबेरी की पत्तियों में अगर फफूंद जनित बीमारी लगती है तो समय समय पर कीटनाशक का प्रयोग किसानों को करना चाहिए. स्ट्रॉबेरी में 45 से 50 दिन में फूल आने शुरू हो जाते हैं. प्रदेश के किसान 80 से 90 दिनों में पहली हार्वेस्टिंग कर सकते हैं. एक बार स्ट्रॉबेरी लगाने के बाद उसकी 6 से 7 बार हार्वेस्टिंग की जा सकती है. पहले फल बड़े होने के कारण उसकी हरवेस्टिंग करने के बाद उर्वरक की पर्याप्त मात्रा भी पौधों में देना जरूरी है.

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रायपुर : छत्तीसगढ़ के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कौन सी तकनीक से करें, जिससे उन्हें अधिक उत्पादन के साथ ही लाभ मिल सके. स्ट्रॉबेरी की ऐसी कौन सी किस्में हैं, जिसके जरिए किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है. स्ट्रॉबेरी की खेती करते समय किसानों को किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए. स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए कौन से मौसम को उपयुक्त माना गया है. इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम दास साहू से खास चर्चा की है.

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सही मौसम : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम दास साहू ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ठंड के मौसम को उपयुक्त माना गया है. सरगुजा के पहाड़ी क्षेत्र के साथ ही छत्तीसगढ़ का प्लेन एरिया इसकी खेती के लिए फायदेमंद है. इसके अलावा बस्तर का जंगली क्षेत्र जहां पर स्ट्रॉबेरी की खेती किसान आसानी से करके अधिक उत्पादन ले सकते हैं. स्ट्रॉबेरी के पौधों को अक्टूबर तक मंगा लेते हैं तो नवंबर से मार्च के बीच में स्ट्रॉबेरी खेती कर अच्छी आमदनी की जा सकती है.

स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान कर सकते बंपर कमाई (ETV BHARAT)

स्ट्रॉबेरी की किस्म में विंटर डॉन, कैमारोज़ा, स्वीट चार्ली और नबीला प्रमुख है. इन किस्मों का रोपण प्रदेश के किसान नवंबर के प्रथम सप्ताह में कर सकते हैं. : घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

स्ट्रॉबेरी की खेती करते समय बरतें सावधानी : स्ट्रॉबेरी की फसल लगाते समय प्रदेश के किसानों को कुछ आवश्यक सावधानी बरतनी जरूरी है. स्ट्रॉबेरी को किसान रनर से भी लगा सकते हैं. स्ट्रॉबेरी लगाते समय प्रदेश के किसान बेड बनाकर प्लास्टिक फ्लावर या टपक सिंचाई की तकनीक का प्रयोग करें. पौधे से पौधे की दूरी 40 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी भी 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

स्ट्रॉबेरी की खेती करते समय किसानों को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि घुलनशील खाद और पानी एक निश्चित मात्रा में देना जरूरी है. इन चीजों को ध्यान में रखकर किसान अगर स्ट्रॉबेरी लगाते हैं तो अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. : घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

अधिक उत्पादन के लिए करें हार्वेस्टिंग : स्ट्रॉबेरी की पत्तियों में अगर फफूंद जनित बीमारी लगती है तो समय समय पर कीटनाशक का प्रयोग किसानों को करना चाहिए. स्ट्रॉबेरी में 45 से 50 दिन में फूल आने शुरू हो जाते हैं. प्रदेश के किसान 80 से 90 दिनों में पहली हार्वेस्टिंग कर सकते हैं. एक बार स्ट्रॉबेरी लगाने के बाद उसकी 6 से 7 बार हार्वेस्टिंग की जा सकती है. पहले फल बड़े होने के कारण उसकी हरवेस्टिंग करने के बाद उर्वरक की पर्याप्त मात्रा भी पौधों में देना जरूरी है.

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