लखनऊ : राजधानी में बीते शनिवार को इंडियन ओवरसीज बैंक में चोरों ने 42 लॉकर्स तोड़कर करोड़ों का सामान चुरा लिया. इस चोरी की घटना के बाद न सिर्फ इस बैंक में लॉकर धारक, बल्कि देश में जिसने भी यह खबर पढ़ी उसे अब इस बात की चिंता सताने लगी है कि बैंक के लॉकर में रखा सामान कितना सुरक्षित है? और यदि लॉकर में रखा सामान चोरी हो जाता है तो बैंक उसका भुगतान कैसे करेंगी? आइये इससे जुड़ी हर जानकारी आपको बताते हैं.
सिर्फ किराये का 100 गुना ही मिलेगा : रिटायर्ड वरिष्ठ बैंक मैनेजर सर्व मित्र भट्ट कहते हैं कि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 18 अगस्त 2019 को एक एक्ट लागू किया था, जिसके मुताबिक, आप अपनी बैंक में लॉकर्स के एवज में जितना किराया दे कर रहे हैं, चोरी होने की स्थिति में बैंक आपको किराये का सौ गुना रुपये का ही भुगतान करेगी. अब यदि आपके लॉकर में उससे भी अधिक की ज्वेलरी या फिर अन्य कुछ रखा है तो उसकी जिम्मेदारी बैंक की नहीं होगी.
सामान बरामद होने पर देना होगा सामान का सबूत : रिटायर्ड मैनेजर कहते हैं कि, यदि बैंक में चोरी हो जाती है और लॉकर्स का समान भी चोरी होता है. ऐसे में यदि पुलिस सामान बरामद कर लेती है तो भी उपभोक्ता को उनका सामान मिलना इतना आसान नहीं है. मैनेजर बताते हैं कि, लॉकर्स से चोरी हुआ सामान बरामद होने पर बैंक उस सामान का सबूत मांगती है, क्योंकि लॉकर में रखा हुआ सामान बैंककर्मी नहीं जनता है, इसकी जानकारी सिर्फ उपभोक्ता को ही होती है. ऐसे में अब आपको लॉकर में रखे हुए सामान की खरीद रशीद या फिर आपके साथ उस सामान की कोई तस्वीर बैंक को पेश करनी होगी. इसके बाद ही उपभोक्ता को सामान मिल सकेगा.
आइये जानते हैं बैंक लॉकर्स से जुड़े कुछ अन्य तथ्य
उन्होंने बताया कि यदि आपके लॉकर की चाभी खो जाती है तो उसकी तत्काल जानकारी बैंक को देनी चाहिये. यदि किसी स्थिति में बैंक का लॉकर उपभोक्ता की जरुरत के लिए तोड़ा जाता है तो उसका खर्चा उपभोक्ता को ही देना होगा. यदि किसी परिस्थिति को देखते हुए लॉकर तोड़ना पड़ता है तो पूरी कार्रवाई तक लॉकर धारक और बैंक अधिकारी को लॉकर रूम में मौजूद रहना होता है.
रिटायर्ड मैनेजर सर्व मित्र भट्ट बताते हैं कि, यदि उपभोक्ता तीन वर्ष तक लॉकर का रेंट का भुगतान नहीं करता है तो बैंक लॉकर तोड़कर रेंट की रिकवरी कर सकता है. इसके अलावा यदि आप रेंट दें रहे हैं, लेकिन सात वर्षों से लॉकर विजिट नहीं करते हैं तो बैंक लॉकर तोड़ सकती है, हालांकि यदि लॉकर उपभोक्ता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है और जांच एजेंसी को शक है कि लॉकर में संदिग्ध वस्तु हो सकती है तो उपभोक्ता की अनुपस्थिति में भी लॉकर तोड़ा जा सकता है, हालांकि इस दौरान पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी जरुरी होती है.
रिटायर्ड मैनेजर सर्व मित्र भट्ट बताते हैं कि यदि बैंक में चोरी होती है और लॉकर तोड़े जाते हैं तो बैंक लॉकर धारक से संपर्क करता है. इसके बाद होल्डर से एक फार्म में लॉकर में रखे सामान का ब्योरा भरवाया जाता है. बैंक जांच करता है और फिर आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक, लॉकर के रेंट से 100 गुना भरपाई करता है. उदाहरण के तौर पर यदि किसी ने पांच हजार रुपये रेंट दिया है तो पांच लाख तक का मुआवजा मिलेगा.
चोरी का सामान बरामद होने पर ऐसे कर सकते हैं क्लेम : रिटायर बैंक मैनेजर ने बताया कि, बैंक लॉकर से चोरी होने और आरोपी के पकड़े जाने पर सामान बरामद होने पर उपभोक्ताओं को बैंक के सामने सबूत प्रस्तुत करना होता है. जैसे जेवर आपके हैं तो जेवर की रसीद या फिर उसके साथ की तस्वीर देनी होगी.
आग लगने या प्राकृतिक आपदा होने पर : रिटायर बैंक मैनेजर ने बताया कि, यदि बैंक में आग लग जाती है और आपके बैंक लॉकर में रखा सामान उसमें जल जाता है तो भी बैंक ही जिम्मेदार होगा, इस स्थिति में भी उपभोक्ता को रेंट का 100 गुना मुआवजा देना होगा, हालांकि यह प्राकृतिक आपदा के लिए लागू नहीं है.