जयपुर. परीक्षा का मौसम और बच्चों का तनाव, माता-पिता के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. परीक्षा में अच्छे नतीजे के लिए बेहतर सेहत का होना जरूरी है और स्फूर्ति का रास्ता अच्छे खानपान से होता है. आमतौर पर ऐसा देखने में आया है कि परीक्षाओं के दौर में तनाव के कारण बच्चे अपने खाने-पीने की आदतों में बदलाव ले आते हैं. ऐसे में डाइटिशियन एक्सपर्ट नेहा यदुवंशी बता रही हैं कि परीक्षा में अपनों की सेहत के लिए क्या हो सकता है बच्चों का डाइट प्लान.
डाइटिशियन नेहा यदुवंशी कहती हैं कि परीक्षा बच्चों के साथ-साथ माता-पिता के लिए भी चुनौती और मुश्किल भरा वक्त होता है. ऐसे में खासतौर पर बच्चों की खानपान का ध्यान रखना जरूरी होता है. बच्चे परीक्षा के तनाव के कारण या तो ओवर ईटिंग करते हैं या फिर खाना पीना कम कर देते हैं. ऐसे बच्चों के हाइड्रेट लेवल का ख्याल रखा जाना चाहिए. ऐसे समय में बच्चों का वाटर इनटेक अहम होता है, क्योंकि इस वजह से पेट की समस्याएं या फिर अन्य विकार हो सकते हैं. ऐसे में बच्चों को छाछ, नींबू पानी या नारियल पानी देकर भी हाइड्रेट रखा जा सकता है. ये उन्हें पानी की पूर्ति के साथ-साथ पोषण भी प्रदान करता है. वह सलाह देती हैं कि बच्चों को परीक्षा के दौरान नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात्रि भोज के अलावा भी अपने शरीर को थोड़े-थोड़े अंतराल में हल्का खाना देना चाहिए, ताकि शरीर की ऊर्जा बरकरार रहे.
बच्चों में जरूरी है बैलेंस डाइट : नेहा के मुताबिक परीक्षा के दौर में बच्चों को सेहतमंद रखने के लिए उनकी बैलेंस डाइट का होना भी जरूरी है. इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां और फल जरूरी होते हैं. उनके मुताबिक मौसमी सब्जियां और फल विटामिन और पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत होते हैं. उनका कहना है कि तनाव के कारण शरीर को विटामिन और मिनरल्स की ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे में सीजनल फ्रूट्स और वेजिटेबल इसका बेहतर जरिया है. इस मौसम में केले, संतरा, अमरूद, चीकू और अंगूर जैसे फलों को बच्चों को रोजाना खिलाया जाना चाहिए. इसी तरह परीक्षा के दौर में प्रोटीन के लिए दही को कम उपयोग में लेना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर में आलस बढ़ता है. इसकी जगह पनीर, दालें, राजमा और छोलों को अपने तीन प्रमुख खाने में शामिल किया जाना चाहिए. इसी तरह मांसहार पसंद करने वाले अंडे, मछली या चिकन भी उपयोग में ले सकते हैं.
दिन में अच्छा फैट भी है आवश्यक : शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए वसा का भी बहुत महत्व होता है. ऐसे में रेगुलर डाइट प्लान में गुड फैट का होना भी जरूरी है. खास तौर पर खाने में देसी घी का उपयोग ब्रेन की फंक्शनिंग में काफी मददगार साबित होता है. घी ओमेगा 3 का भी अच्छा स्रोत होता है, जो याददाश्त को बढ़ाने में सहायक साबित होता है. इसके अलावा सूखे मेवे और कुछ पोषक सीड्स को भी खान-पान में शामिल किया जा सकता है.
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7-8 घंटे की नींद बेहद जरूरी : परीक्षा के दौर में तनाव कम करने के लिए नींद का पूरा होना जरूरी होता है. जितनी नींद अच्छी होगी, उतना ही तनाव कम होगा. इससे पढ़ा हुआ लंबे समय तक याद रहेगा, इसलिए कंफर्ट जोन के मुताबिक 7 से 8 घंटे की नींद का पूरा होना आवश्यक होता है. दिन के वक्त पावर नैप भी इसमें मदद कर हो सकता है.
इन चीजों का भी रखें ख्याल : आमतौर पर परीक्षा के दिनों में स्टूडेंट्स देर तक जागने के लिए कैफीन का इस्तेमाल करते हैं, जो कभी-कभी नुकसान पहुंचाने वाला होता है. ज्यादा मात्रा में कैफीन लेना स्मरण शक्ति को कमजोर करता है. चाय और कॉफी की जगह नींबू पानी या फिर अन्य वैकल्पिक उत्पादों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनमें कैफीन नहीं होगा और ब्रेन की फंक्शनिंग में मदद मिलेगी. हाई कैलोरी और शुगर इंटैक्ट फूड को भी इस दौरान नजरअंदाज किया जाना चाहिए, क्योंकि यह भी शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. इसी तरह से देर रात जाकर पढ़ाई करते वक्त घी में भुना हुआ मखाना, गुड़ चना, खाखरा, तिल के लड्डू जैसे खाद्य पदार्थ देने चाहिए, ताकि बच्चों को न्यूट्रिशन वैल्यू का भोज पदार्थ मिले. इस तरह के भजन से बच्चे ऊर्जावान महसूस करेंगे.