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शराब घोटाले में ईडी ने लखमा पर एक्शन की दी जानकारी, जानिए क्या हुआ खुलासा ? - INFORMATION OF ED ACTION

छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी पर ईडी ने प्रेस रिलीज जारी किया है.

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शराब घोटाले में ईडी का एक्शन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 17, 2025, 10:36 PM IST

रायपुर: बुधवार 15 जनवरी 2025 को ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था. यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम, पीएमएलए 2002 के तहत की गई. उसके बाद कवासी लखमा को रायपुर के पीएमएलए स्पेशल कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने लखमा को 21 जनवरी 2025 तक ईडी की हिरासत में भेजा. शुक्रवार को इस केस में ईडी ने बकायदा एक प्रेस रिलीज जारी किया है. जिसमें ईडी ने कथित शराब घोटाले में हुई कार्रवाई की जानकारी दी है.

ईडी का दावा शराब घोटाले में लखमा की भूमिका: ईडी ने इस प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर दावा किया कि कवासी लखमा शराब घोटाले के दौरान आबकारी मंत्री थी. इस शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया. एसीबी और EOW के दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरी की. ईडी की जांच में यह पता चला कि कवासी लखमा को शराब की जांच सहित आबकारी विभाग के पूरे मामलों की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने अवैध और अनधिकृत संचालन को रोकने के लिए कुछ नहीं किया.

"आबकारी नीति के बदलाव में लखमा की भूमिका": ईडी ने दावा किया कि आबकारी नीति के बदलाव में भी कवासी लखमा की भूमिका रही है. उन्होंने नीति परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण छत्तीसगढ़ राज्य में FL-10A लाइसेंस की शुरुआत हुई. कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम अंग थे. वह सिंडिकेट को सहायता करते थे. ईडी ने यह भी दावा किया है कि, जांच में शराब घोटाले से उत्पन्न होने वाली अपराध की आय (पीओसी) में से कवासी लखमा को प्रति माह कम से कम 2 करोड़ रुपये मिल रहे थे. इन पैसों का उपयोग कवासी लखमा ने अपने अचल संपत्तियों के निर्माण में किया.

"कई पार्ट में ली कई कमीशन": ईडी ने शराब घोटाले को लेकर यह भी दावा किया कि इसमें कई पार्ट में कमीशन लिए गए. पार्ट-ए कमीशन के तहत विभिन्न डिस्टिलर्स से सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) के तहत रिश्वत ली गई. शराब के प्रत्येक खरीद पर कमीशन लिया गया. पार्ट-बी कच्ची शराब की बिक्री के तहत कमीशन का खेल हुआ. इसमें बिना हिसाब-किताब के कच्ची देशी शराब की बिक्री की गई. इस मामले में, एक भी रुपया राज्य के खजाने में नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली. पार्ट सी और कमीशन के जरिए रिश्वतखोरी. डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई ताकि वे कार्टेल बना सकें और एक निश्चित बाजार में हिस्सेदारी रख सकें. एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से भी कमीशन लिया गया, जिन्हें विदेशी शराब की कमाई में पेश किया गया.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की वजह से राज्य को बड़ा नुकसान हुआ. शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों में 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध पीओसी भर गई. इस केस में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी को भी गिरफ्तार किया था.

सोर्स: ANI

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा गिरफ्तार, कोर्ट ने 21 जनवरी तक रिमांड पर भेजा

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रायपुर: बुधवार 15 जनवरी 2025 को ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था. यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम, पीएमएलए 2002 के तहत की गई. उसके बाद कवासी लखमा को रायपुर के पीएमएलए स्पेशल कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने लखमा को 21 जनवरी 2025 तक ईडी की हिरासत में भेजा. शुक्रवार को इस केस में ईडी ने बकायदा एक प्रेस रिलीज जारी किया है. जिसमें ईडी ने कथित शराब घोटाले में हुई कार्रवाई की जानकारी दी है.

ईडी का दावा शराब घोटाले में लखमा की भूमिका: ईडी ने इस प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर दावा किया कि कवासी लखमा शराब घोटाले के दौरान आबकारी मंत्री थी. इस शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया. एसीबी और EOW के दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरी की. ईडी की जांच में यह पता चला कि कवासी लखमा को शराब की जांच सहित आबकारी विभाग के पूरे मामलों की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने अवैध और अनधिकृत संचालन को रोकने के लिए कुछ नहीं किया.

"आबकारी नीति के बदलाव में लखमा की भूमिका": ईडी ने दावा किया कि आबकारी नीति के बदलाव में भी कवासी लखमा की भूमिका रही है. उन्होंने नीति परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण छत्तीसगढ़ राज्य में FL-10A लाइसेंस की शुरुआत हुई. कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम अंग थे. वह सिंडिकेट को सहायता करते थे. ईडी ने यह भी दावा किया है कि, जांच में शराब घोटाले से उत्पन्न होने वाली अपराध की आय (पीओसी) में से कवासी लखमा को प्रति माह कम से कम 2 करोड़ रुपये मिल रहे थे. इन पैसों का उपयोग कवासी लखमा ने अपने अचल संपत्तियों के निर्माण में किया.

"कई पार्ट में ली कई कमीशन": ईडी ने शराब घोटाले को लेकर यह भी दावा किया कि इसमें कई पार्ट में कमीशन लिए गए. पार्ट-ए कमीशन के तहत विभिन्न डिस्टिलर्स से सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) के तहत रिश्वत ली गई. शराब के प्रत्येक खरीद पर कमीशन लिया गया. पार्ट-बी कच्ची शराब की बिक्री के तहत कमीशन का खेल हुआ. इसमें बिना हिसाब-किताब के कच्ची देशी शराब की बिक्री की गई. इस मामले में, एक भी रुपया राज्य के खजाने में नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली. पार्ट सी और कमीशन के जरिए रिश्वतखोरी. डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई ताकि वे कार्टेल बना सकें और एक निश्चित बाजार में हिस्सेदारी रख सकें. एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से भी कमीशन लिया गया, जिन्हें विदेशी शराब की कमाई में पेश किया गया.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की वजह से राज्य को बड़ा नुकसान हुआ. शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों में 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध पीओसी भर गई. इस केस में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी को भी गिरफ्तार किया था.

सोर्स: ANI

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