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दिल्ली के इस मंदिर का इतिहास 150 साल पुराना, यहां हर दिन सुबह 4 बजे होती है आरती - JHANDEWALAN MANDIR NAVRATRI

झंडेवालान देवी मंदिर में नवरात्र के दौरान उत्सव सा माहौल है. यहां सुरक्षा व्यवस्था के विशेष इंतजाम है. विशेष लाइटिंग और सजावट भी आकर्षक है.

झंडेवालान देवी मंदिर में नवरात्र का उत्साह
झंडेवालान देवी मंदिर में नवरात्र का उत्साह (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 5, 2024, 5:37 PM IST

नई दिल्ली: देशभर में शारदीय नवरात्र की धूम जोरों पर है. दिल्ली के झंडेवाला देवी मंदिर में दिल्ली ही नहीं आस पास के श्रद्धालुओं की भी बड़ी आस्था है. नवरात्र के दिनों में यह मंदिर 4 घंटे ही बंद रहता है. भक्तों की भीड़ देखते हुए मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था, भजन कीर्तन और प्रसाद का विशेष प्रबंध कराया है. मंदिर को सुंदर लाइटिंग से सजाया गया है.

नवरात्रि के दिनों में मंदिर में आने वाले भक्तों को उत्सव का माहौल और आनंद की अनुभूति होती है. मंदिर में दोपहर के समय भंडारा भी बैठता है जिसमें व्रत वाला भोजन भी उपलब्ध होता है. इसके बाद बाहर निकलते ही भक्तों के लिए चाय और रस का भी इंतजाम किया जाता है. साथ ही मंदिर की एग्जिट के पास जलपान की व्यवस्था है. साथ ही मंदिर परिसर के अंदर एक मेडिकल टीम भी मौजूद रहती है.

डेढ़ सौ साल पूराना है मंदिर का इतिहास : झंडेवाला टेंपल सोसायटी के अतिरिक्त प्रबंधक रविंद्र गोयल बताते हैं कि मंदिर करीब ढाई हजार गज क्षेत्रफल में बना हुआ है. मंदिर का इतिहास करीब डेढ़ सौ साल पुराना है. पहले यहां अरावली की पहाड़ियां हुआ करती थी और वॉल सिटी के लोग यहां घूमने आया करते थे. इन्हीं में एक थे बद्री दास जी जिनका कपड़े का व्यापार था. वह भी इन पहाड़ियों पर घूमने आते थे. भगवान का ध्यान किया करते थे. इसी दौरान उन्हें आवाज आई कि 'मुझे यहां से निकालो'. जब ऐसा दो-तीन बार हुआ तो उन्होंने उस स्थान पर खुदाई करनी शुरू की. खुदाई के दौरान उनको एक मूर्ति मिली. लेकिन वह खंडित थी उसका एक हाथ नहीं था तभी थोड़ा और आगे खुदाई करने पर एक शिवलिंग प्राप्त हुआ जिसमें दो सर्प लिपटी हुई आकृति हुई थी.

झंडेवालान देवी मंदिर में नवरात्र का उत्साह (ETV BHARAT)

ऐसे पड़ा झंडेवाला मंदिर का नाम : रविंद्र गोयल ने कहा कि बद्रीनाथ जी ने माता की खंडित मूर्ति पर चांदी का हाथ लगाकर उसे स्थापित किया. इसके साथ ही उसी के ऊपर एक संपूर्ण प्रतिमा के साथ मां दुर्गा की मूर्ति को भी स्थापित किया. पहले मंदिर का आकार काफी छोटा हुआ करता था और मंदिर के ऊपर बने शिखर पर एक झंडे को लगाया गया. झंडा इस बात का प्रतीक था कि यहां एक मंदिर है, तभी लोग यहां घूमने आया करते थे और इस मंदिर को झंडा वाला मंदिर के नाम से बुलाते थे. तभी से यहां विराजित माता का नाम झंडेवाला माता पड़ा.

मंदिर में भक्तों की सुविधा का विशेष ख्याल : गोयल ने बताया कि नवरात्रि के दिनों में मंदिर परिसर प्रात: 4 बजे खुल जाता है, जो रात के 1 बजे तक खुला रहता हैं. हजारों उपस्थित भक्तों ने मां झंडेवाली का जयघोष किया. मंदिर प्रबंधन ने आने वाले भक्तों की सुविधा को ध्यान मे रखते हुए व्यापक प्रबंध किये हैं, जिन में मुख्यत: रानी झांसी मार्ग, पुराना नाज सिनेमा व फ्लैटिड फैक्ट्री कोम्पलेक्स में भक्तों के वाहन खड़े करने की निःशुल्क व्यवस्था की है. मंदिर में बीते कुछ वर्षों से मेहंदी कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है. जहां मंदिर ट्रस्ट की ओर से बालिकाओं और महिलाओं को निशुल्क मेहंदी लगाई जाती है.

मंदिर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम : छ: स्थानों पर भक्तों के लिये जूता स्टैंड बनाये गये हैं. सुरक्षा व्यवस्था व्यापक रूप से की गयी है. पूरे परिसर और आसपास पास 260 सीसीटीवी लगाये गये है. मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र की सज्जा भी आकर्षण का केंद्र है. मंदिर में सुबह 4 बजे और शाम 7 बजे आरती होती है. मां झण्डेवाली की पूजा-अर्चना का सीधा प्रसारण मंदिर द्वारा यू-टयूब चैनल, फेसबुक व मंदिर की वैबसाइट पर जाता है.

मंदिर में बाहर से प्रसाद व फूलमाला लाना निषेध: मंदिर में बाहर से प्रसाद, फूलमाला व किसी अन्य वस्तु का लाना निषेध है. पूरे 9 दिन विभिन्न कीर्तन मंडलियों द्वारा मुख्य प्रांगण में मां का गुणगान किया जाता है. भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर की ओर से online दर्शन बुकिंग की व्यवस्था भी की गई है, जिसे वे मंदिर की वेबसाइट से बुक कर सकते है और अपने निर्धारित समय पर विषेश प्रवेश द्वार से सीधे मंदिर में प्रवेश करते हैं.

मंदिर में 60 वर्षों से जल रही अखंड ज्योत : भक्तों का इस मंदिर में अटूट विश्वास है वह यहां से माता रानी की ज्योत लेकर के जाते हैं और अपने घरों में जलाते हैं. उनके लिए भी मंदिर कमेटी द्वारा विशेष इंतजाम किए जाते हैं. पिछले वर्ष नवरात्रों के दिनों में 15000 से ज्यादा संख्या में लोग जोत लेने आए थे. मंदिर में मौजूद गुफा के अंदर करीब 60 वर्षों से अखंड ज्योत जल रही है.

झंडेवालान मंदिर में कैसे पहुंचे : अगर इस नवरात्रि आप भी झंडा वाला मंदिर आना चाहते हैं तो यहां पहुंचना बेहद आसान है. यहां पहुंचने के लिए दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के बस स्टॉप झंडेवालान पहुंचकर आसानी से मंदिर परिसर पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा दिल्ली मेट्रो का झंडेवालान मेट्रो स्टेशन भी मंदिर के बेहद नजदीक है. मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने के लिए मंदिर प्रबंधन कमेटी ने मैट्रो से आने वाले भक्तो के लिए अनेक निशुल्क ई-रिक्शा लगाए गए है.

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ये भी पढ़ें : नवरात्र के तीसरे दिन मंदिरों में मां चंद्रघंटा की पूजा, उमड़े श्रद्धालु

नई दिल्ली: देशभर में शारदीय नवरात्र की धूम जोरों पर है. दिल्ली के झंडेवाला देवी मंदिर में दिल्ली ही नहीं आस पास के श्रद्धालुओं की भी बड़ी आस्था है. नवरात्र के दिनों में यह मंदिर 4 घंटे ही बंद रहता है. भक्तों की भीड़ देखते हुए मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था, भजन कीर्तन और प्रसाद का विशेष प्रबंध कराया है. मंदिर को सुंदर लाइटिंग से सजाया गया है.

नवरात्रि के दिनों में मंदिर में आने वाले भक्तों को उत्सव का माहौल और आनंद की अनुभूति होती है. मंदिर में दोपहर के समय भंडारा भी बैठता है जिसमें व्रत वाला भोजन भी उपलब्ध होता है. इसके बाद बाहर निकलते ही भक्तों के लिए चाय और रस का भी इंतजाम किया जाता है. साथ ही मंदिर की एग्जिट के पास जलपान की व्यवस्था है. साथ ही मंदिर परिसर के अंदर एक मेडिकल टीम भी मौजूद रहती है.

डेढ़ सौ साल पूराना है मंदिर का इतिहास : झंडेवाला टेंपल सोसायटी के अतिरिक्त प्रबंधक रविंद्र गोयल बताते हैं कि मंदिर करीब ढाई हजार गज क्षेत्रफल में बना हुआ है. मंदिर का इतिहास करीब डेढ़ सौ साल पुराना है. पहले यहां अरावली की पहाड़ियां हुआ करती थी और वॉल सिटी के लोग यहां घूमने आया करते थे. इन्हीं में एक थे बद्री दास जी जिनका कपड़े का व्यापार था. वह भी इन पहाड़ियों पर घूमने आते थे. भगवान का ध्यान किया करते थे. इसी दौरान उन्हें आवाज आई कि 'मुझे यहां से निकालो'. जब ऐसा दो-तीन बार हुआ तो उन्होंने उस स्थान पर खुदाई करनी शुरू की. खुदाई के दौरान उनको एक मूर्ति मिली. लेकिन वह खंडित थी उसका एक हाथ नहीं था तभी थोड़ा और आगे खुदाई करने पर एक शिवलिंग प्राप्त हुआ जिसमें दो सर्प लिपटी हुई आकृति हुई थी.

झंडेवालान देवी मंदिर में नवरात्र का उत्साह (ETV BHARAT)

ऐसे पड़ा झंडेवाला मंदिर का नाम : रविंद्र गोयल ने कहा कि बद्रीनाथ जी ने माता की खंडित मूर्ति पर चांदी का हाथ लगाकर उसे स्थापित किया. इसके साथ ही उसी के ऊपर एक संपूर्ण प्रतिमा के साथ मां दुर्गा की मूर्ति को भी स्थापित किया. पहले मंदिर का आकार काफी छोटा हुआ करता था और मंदिर के ऊपर बने शिखर पर एक झंडे को लगाया गया. झंडा इस बात का प्रतीक था कि यहां एक मंदिर है, तभी लोग यहां घूमने आया करते थे और इस मंदिर को झंडा वाला मंदिर के नाम से बुलाते थे. तभी से यहां विराजित माता का नाम झंडेवाला माता पड़ा.

मंदिर में भक्तों की सुविधा का विशेष ख्याल : गोयल ने बताया कि नवरात्रि के दिनों में मंदिर परिसर प्रात: 4 बजे खुल जाता है, जो रात के 1 बजे तक खुला रहता हैं. हजारों उपस्थित भक्तों ने मां झंडेवाली का जयघोष किया. मंदिर प्रबंधन ने आने वाले भक्तों की सुविधा को ध्यान मे रखते हुए व्यापक प्रबंध किये हैं, जिन में मुख्यत: रानी झांसी मार्ग, पुराना नाज सिनेमा व फ्लैटिड फैक्ट्री कोम्पलेक्स में भक्तों के वाहन खड़े करने की निःशुल्क व्यवस्था की है. मंदिर में बीते कुछ वर्षों से मेहंदी कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है. जहां मंदिर ट्रस्ट की ओर से बालिकाओं और महिलाओं को निशुल्क मेहंदी लगाई जाती है.

मंदिर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम : छ: स्थानों पर भक्तों के लिये जूता स्टैंड बनाये गये हैं. सुरक्षा व्यवस्था व्यापक रूप से की गयी है. पूरे परिसर और आसपास पास 260 सीसीटीवी लगाये गये है. मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र की सज्जा भी आकर्षण का केंद्र है. मंदिर में सुबह 4 बजे और शाम 7 बजे आरती होती है. मां झण्डेवाली की पूजा-अर्चना का सीधा प्रसारण मंदिर द्वारा यू-टयूब चैनल, फेसबुक व मंदिर की वैबसाइट पर जाता है.

मंदिर में बाहर से प्रसाद व फूलमाला लाना निषेध: मंदिर में बाहर से प्रसाद, फूलमाला व किसी अन्य वस्तु का लाना निषेध है. पूरे 9 दिन विभिन्न कीर्तन मंडलियों द्वारा मुख्य प्रांगण में मां का गुणगान किया जाता है. भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर की ओर से online दर्शन बुकिंग की व्यवस्था भी की गई है, जिसे वे मंदिर की वेबसाइट से बुक कर सकते है और अपने निर्धारित समय पर विषेश प्रवेश द्वार से सीधे मंदिर में प्रवेश करते हैं.

मंदिर में 60 वर्षों से जल रही अखंड ज्योत : भक्तों का इस मंदिर में अटूट विश्वास है वह यहां से माता रानी की ज्योत लेकर के जाते हैं और अपने घरों में जलाते हैं. उनके लिए भी मंदिर कमेटी द्वारा विशेष इंतजाम किए जाते हैं. पिछले वर्ष नवरात्रों के दिनों में 15000 से ज्यादा संख्या में लोग जोत लेने आए थे. मंदिर में मौजूद गुफा के अंदर करीब 60 वर्षों से अखंड ज्योत जल रही है.

झंडेवालान मंदिर में कैसे पहुंचे : अगर इस नवरात्रि आप भी झंडा वाला मंदिर आना चाहते हैं तो यहां पहुंचना बेहद आसान है. यहां पहुंचने के लिए दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के बस स्टॉप झंडेवालान पहुंचकर आसानी से मंदिर परिसर पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा दिल्ली मेट्रो का झंडेवालान मेट्रो स्टेशन भी मंदिर के बेहद नजदीक है. मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने के लिए मंदिर प्रबंधन कमेटी ने मैट्रो से आने वाले भक्तो के लिए अनेक निशुल्क ई-रिक्शा लगाए गए है.

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