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सावन के महीने में कांवड़ और गंगाजल का है विशेष महत्व, जानिए क्या कहते हैं पुजारी - Kanwar Yatra 2024

KANWAR YATRA 2024: हिंदू धर्म में सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना, सोमवार के व्रत और कांवड़ियों के शिवलिंग के जलाभिषेक का विशेष महत्व है. सावन शुरू होते ही देश के कई राज्यों से शिव भक्त कांवड़िए बम-बम भोले, हर-हर महादेव और बोल बम जैसे नारे लगाते हुए इस धार्मिक यात्रा पर निकल पड़े हैं. आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा का महत्व और नियम...

सावन के महीने में कावड़ और गंगाजल का महत्व
सावन के महीने में कावड़ और गंगाजल का महत्व (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 24, 2024, 12:11 PM IST

Updated : Jul 24, 2024, 12:39 PM IST

नई दिल्ली: सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के भक्त पैदल यात्रा कर बांस की कांवड़ पर दोनों ओर टोकरियां बांध कर उसमे गंगा जल लाते हैं. फिर शिवरात्रि के दिन उसी जल से महादेव का अभिषेक करते हैं. मान्यता है कि यात्रा करने से व्यक्ति के जीवन में सरलता आती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. कांवड़ यात्रा करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और शिवधाम को प्राप्त होता है. आइये जानते हैं कांवड़ यात्री कहां-कहां से गंगाजल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं? सावन में गंगा जल का क्या महत्व हैं?

भगवान शिव की पूजा-अर्चना (ETV Bharat)

पुरानी दिल्ली के प्राचीन वनखंडी मंदिर के पुजारी लवपुरी ने बताया कि सावन में शिव भक्त कांवड़ यात्रा कर गंगाजल लाते हैं और भगवान शिव पर चढ़ाते हैं. कांवड़ यात्रा को श्रवण कुमार से भी जोड़ा जाता है. श्रवण कुमार ने अपने माता पिता को कांवड़ में बिठाकर चार धामों के दर्शन करवाए थे. सावन में भक्त उसकी तरह अपने कंधे पर कांवड़ रख गंगा जल लाते हैं. प्रति वर्ष दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से भक्त हरिद्वार से गंगाजल लाते हैं। हरिद्वार के अलावा भगवान भोलेनाथ के भक्त गंगोत्री और मां गंगा के घाटों से भी जल लाकर चढ़ते हैं.

सावन में गंगा जल का महत्व: पुजारी लवपुरी ने बताया कि सावन में गंगा जल का विशेष महत्व है. भोलेनाथ को गंगा जल अति प्रिय हैं. मां गंगा को त्रिपद गमनी कहा जाता है. यह भगवान विष्णु के चरणों से निकल कर ब्रह्मा के कमंडल से निकल कर शिव की जटाओं के माध्यम से धरती पर प्रकट हुई हैं. इसलिए गंगा जल को सब से पवित्र जल कहा जाता है.

कांवड़ यात्रा के नियम

  • कांवड़ यात्रा के समय मन, कर्म और वचन शुद्ध होना चाहिए.
  • इस दौरान शराब, पान, गुटखा, तंबाकू, सिगरेट के सेवन से दूर रहना रहना होता हैं.
  • एक बार कांवड़ उठाने के बाद उसे रास्ते में कहीं भी जमीन पर नहीं रखा जाता है, ऐसा करने पर कांवड़ यात्रा अधूरी मानी जाती है.
  • अगर गलती से किसी ने भी कांवड़ को गलती से नीचे रख दिया तो कांवड़िए को फिर से कांवड़ में पवित्र जल भरना होता है.
  • शौच आदि के बाद स्नान करके ही कांवड़ को उठाना चाहिए.

बता दें कि 21 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया है. आज, 22 जुलाई से सावन का पहला सोमवार रहा. वहीं सावन माह का समापन 19 अगस्त को होगा. खास बात यह है कि इस माह में पांच सोमवार पड़ रहे हैं और सोमवार से शुरू होकर सोमवार के दिन ही सावन माह का समापन होगा.

यह भी पढ़ें- कांवड़ यात्रा: जानें कब से यात्रा की हो रही शुरुआत, किन-किन बातों का रखना होता है ध्यान

नई दिल्ली: सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के भक्त पैदल यात्रा कर बांस की कांवड़ पर दोनों ओर टोकरियां बांध कर उसमे गंगा जल लाते हैं. फिर शिवरात्रि के दिन उसी जल से महादेव का अभिषेक करते हैं. मान्यता है कि यात्रा करने से व्यक्ति के जीवन में सरलता आती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. कांवड़ यात्रा करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और शिवधाम को प्राप्त होता है. आइये जानते हैं कांवड़ यात्री कहां-कहां से गंगाजल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं? सावन में गंगा जल का क्या महत्व हैं?

भगवान शिव की पूजा-अर्चना (ETV Bharat)

पुरानी दिल्ली के प्राचीन वनखंडी मंदिर के पुजारी लवपुरी ने बताया कि सावन में शिव भक्त कांवड़ यात्रा कर गंगाजल लाते हैं और भगवान शिव पर चढ़ाते हैं. कांवड़ यात्रा को श्रवण कुमार से भी जोड़ा जाता है. श्रवण कुमार ने अपने माता पिता को कांवड़ में बिठाकर चार धामों के दर्शन करवाए थे. सावन में भक्त उसकी तरह अपने कंधे पर कांवड़ रख गंगा जल लाते हैं. प्रति वर्ष दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से भक्त हरिद्वार से गंगाजल लाते हैं। हरिद्वार के अलावा भगवान भोलेनाथ के भक्त गंगोत्री और मां गंगा के घाटों से भी जल लाकर चढ़ते हैं.

सावन में गंगा जल का महत्व: पुजारी लवपुरी ने बताया कि सावन में गंगा जल का विशेष महत्व है. भोलेनाथ को गंगा जल अति प्रिय हैं. मां गंगा को त्रिपद गमनी कहा जाता है. यह भगवान विष्णु के चरणों से निकल कर ब्रह्मा के कमंडल से निकल कर शिव की जटाओं के माध्यम से धरती पर प्रकट हुई हैं. इसलिए गंगा जल को सब से पवित्र जल कहा जाता है.

कांवड़ यात्रा के नियम

  • कांवड़ यात्रा के समय मन, कर्म और वचन शुद्ध होना चाहिए.
  • इस दौरान शराब, पान, गुटखा, तंबाकू, सिगरेट के सेवन से दूर रहना रहना होता हैं.
  • एक बार कांवड़ उठाने के बाद उसे रास्ते में कहीं भी जमीन पर नहीं रखा जाता है, ऐसा करने पर कांवड़ यात्रा अधूरी मानी जाती है.
  • अगर गलती से किसी ने भी कांवड़ को गलती से नीचे रख दिया तो कांवड़िए को फिर से कांवड़ में पवित्र जल भरना होता है.
  • शौच आदि के बाद स्नान करके ही कांवड़ को उठाना चाहिए.

बता दें कि 21 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया है. आज, 22 जुलाई से सावन का पहला सोमवार रहा. वहीं सावन माह का समापन 19 अगस्त को होगा. खास बात यह है कि इस माह में पांच सोमवार पड़ रहे हैं और सोमवार से शुरू होकर सोमवार के दिन ही सावन माह का समापन होगा.

यह भी पढ़ें- कांवड़ यात्रा: जानें कब से यात्रा की हो रही शुरुआत, किन-किन बातों का रखना होता है ध्यान

Last Updated : Jul 24, 2024, 12:39 PM IST
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