नई दिल्ली: राजधानी में नई दिल्ली लोकसभा सीट, आजादी के बाद देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव से ही अस्तित्व में है. वर्ष 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से उस समय की सबसे ताकतवर पार्टी कांग्रेस को भी हार का सामना करना पड़ा था. पहले चुनाव में यहां से उस समय उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं सुचेता कृपलानी ने किसान मजदूर प्रजा पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. तब सुचेता कृपलानी के पति आचार्य जेबी कृपलानी पहले कांग्रेस में ही थे, लेकिन बाद में जवाहरलाल नेहरू से मतभेद होने पर जेबी कृपलानी ने अपनी अलग पार्टी 'किसान मजदूर प्रजा पार्टी' बना ली थी.
हालांकि 1957 के चुनाव के समय सुचेता कृपलानी वापस कांग्रेस में लौट आई और कांग्रेस के टिकट पर ही वह दूसरी बार नई दिल्ली लोकसभा से निर्वाचित हुईं. बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने के कारण नई दिल्ली लोकसभा सीट हमेशा से ही हॉट सीट रही है. यहां से भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य बलराज मधोक, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवणी, बॉलीवुड सुपस्टार राजेश खन्ना सहित कई गणमान्य लोग लड़े और जीते.
नई दिल्ली लोकसभा सीट में आती हैं ये विधानसभा सीटें: इस लोकसभा सीट के अंतर्गत दिल्ली के 10 विधानसभा क्षेत्र करोल बाग, पटेल नगर, मोती नगर, दिल्ली कैंट, राजेंद्र नगर, नई दिल्ली, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर, आरके पुरम और ग्रेटर कैलाश आते हैं. वर्तमान में इन सभी 10 सीटों पर आम आदमी पार्टी के ही विधायक हैं. भाजपा के पास इनमें से कोई सीट नहीं है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद नई दिल्ली विधानसभा सीट से लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं.
आडवाणी और राजेश खन्ना के बीच हुई थी कांटे की टक्कर: वर्ष 1989 में नई दिल्ली लोकसभा सीट से वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी सांसद चुने गए थे. इसके दो साल बाद ही आम चुनाव की घोषणा के बाद उन्हें फिर से चुनाव मैदान में उतरना पड़ा. लेकिन, इस बार कांग्रेस ने उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए उस जमाने के बॉलीवुड सुपरस्टार राजेश खन्ना को टिकट दे दिया था. जिसके बाद इस सीट का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया था. भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद लालकृष्ण आडवाणी बहुत ही मुश्किल से मात्र 1,496 वोट से जीत सके थे. इस कम अंतर की जीत से नाराज होकर आडवाणी ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था. इस चुनाव के बाद आडवाणी ने दिल्ली से चुनाव लड़ना बंद कर दिया था और वे गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने लगे थे. फिर वर्ष 1992 में हुए उपचुनाव में इस सीट से चुनाव लड़कर राजेश खन्ना सांसद बने थे. राजेश खन्ना ने भाजपा उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा को हराया था.
2019 में जीती भाजपा: वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस तीनों पार्टियों ने चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी लेखी ने ने कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन को हराया था. मीनाक्षी लेखी को कुल 5,40,206 वोट मिले थे. अजय माकन को उनसे 2,56,504 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में आप प्रत्याशी बृजेश गोयल तीसरे स्थान पर रहे थे.
लोकसभा चुनाव 2024 के संभावित प्रत्याशी: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आप गठबंधन में यह सीट आम आदमी पार्टी के खाते में गई है. आप ने इस सीट से मालवीय नगर के विधायक सोमनाथ भारती को प्रत्याशी बनाया है. वह तीन बार के विधायक हैं, जबकि भाजपा से इस सीट पर बांसुरी स्वराज को प्रत्याशी बनाया गया है, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री रही सुषमा स्वराज की बेटी हैं.
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