नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म के व्रतों में प्रदोष व्रत एक खास महत्व रखता है. मान्यता के अनुसार, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत सबसे सरल और अचूक उपायों में से एक है. इस बार ज्येष्ठ महीने का दूसरा प्रदोष व्रत बुधवार 19 जून को मनाया जाएगा. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को बुध प्रदोष व्रत कहते हैं. इस दिन लोग व्रत रखकर भगवान शिव एवं माता पार्वती की आराधना करते हैं. ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि, बुध प्रदोष व्रत करने से जीवन में आ रही आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है. साथ ही सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. भगवान शिव को आशुतोष भी कहते है. आशुतोष का अर्थ होता है बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले.
- ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि बुधवार, 19 जून को सुबह 07:29 से आरंभ होगी.
- वहीं गुरुवार को सुबह 07:51 त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी.
- इस व्रत में प्रदोष काल में पूजा करने का महत्व है, इसलिए इसे बुधवार को ही मनाया जाएगा.
पूजा विधि: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. फिर घर के मंदिर में साफ सफाई करने के बाद भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति की स्थापित करें. इसके बाद उन्हें पंचमेवा, मिष्ठान और खीर आदि का भोग लगाएं. इस दिन शाम की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए शाम में पूजा अवश्य करें. इस बार बुध प्रदोष के दिन शाम 5:36 बजे से 7:21 बजे तक पूजा कर सकते हैं.
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उपाय: यदि कठिन परिश्रम करने के बाद भी आपको अपने क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति नहीं हो रही है, तो इस दिन भगवान शिव को शंख और श्रीफल अर्पित करें. मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से सफलता के रास्ते में आ रही बाधाएं और कठिनाइयां दूर होती हैं.
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