नई दिल्ली: चिकित्सा क्षेत्र में रोबोटिक्स तकनीक ने कई बड़े क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं. रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी से मरीजों की सबसे तेज और बेहतर रिकवरी हो रही है. स्थिति ये है कि पारंपरिक तरीकों से अलग इस प्रक्रिया के जरिए अब तक 98 फीसदी रोगियों को ठीक करने में सफलता मिली है. यह जानकारी नई दिल्ली के एक निजी अस्पताल के सर्जन डॉ. एमएम यूसुफ और डॉ. वरुण बंसल ने साझा की.
डॉ. वरुण बंसल के अनुसार पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में रोबोटिक्स विधि के कई फायदे हैं. इसमें सभी धमनी ग्राफ्ट का उपयोग, कम जटिलताएं और काफी कम रिकवरी समय के साथ न्यूनतम घाव शामिल हैं. अगर सफलता की बात करें तो यह 98 प्रतिशत है और इसमें न्यूनतम जोखिम होता है. रोबोटिक हार्ट सर्जरी अत्यंत छोटे चीरों के माध्यम से पूरी की जाने वाली प्रक्रिया है. इस सर्जरी के 24 घंटे के अंदर मरीज चलना शुरू कर देते हैं. अक्सर 48-72 घंटों के अंदर छुट्टी भी दे दी जाती है. इसके अलावा यह सर्जरी कोरोनरी धमनी रोग, हार्ट वॉल्व रोग, हार्ट ट्यूमर आदि के रोगियों के लिए भी लाभदायक है.
रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी के पांच बड़े फायदे
- डॉक्टर वरुण बंसल ने बताया कि रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी में बिना छाती की हड्डी काटे सर्जरी की जाती है.
- इसमें हार्ट के बाईं और दाईं ओर दो-दो छेद करके उन छेदों के माध्यम से कैमरा और अन्य सर्जरी के उपकरण अंदर डाले जाते हैं. फिर रोबोट की सहायता से सटीक सर्जरी की जाती है.
- छाती की हड्डी नहीं काटी जाती है, इसलिए खून बहुत कम बहता है और 80 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को सर्जरी के दौरान ब्लड की जरूरत नहीं पड़ती है.
- रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी में मरीज को एक दिन आईसीयू में और तीन दिन आईसीयू से बाहर रखना पड़ता है. उसके बाद 4 दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है.
नॉर्मल सर्जरी से कितनी महंगी है रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी: डॉ. वरुण बंसल ने बताया कि रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी नॉर्मल सर्जरी से थोड़ी सी ही महंगी है. लेकिन नॉर्मल सर्जरी में मरीज को एक दिन आईसीयू में रखने के बाद करीब एक सप्ताह तक अस्पताल में रखना पड़ता है. उसके बाद छुट्टी होती है. इसके बाद मरीज को कम से कम 6 से 8 सप्ताह का समय पूरी तरह फिट होने में लगता है. ऐसे में वह अपना काम भी नहीं देख पाता है. काम के नुकसान के साथ अस्पताल में एक सप्ताह तक रुकने के कारण खर्चा भी बढ़ जाता है. इसलिए नॉर्मल सर्जरी भी रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी के बराबर खर्च पड़ जाती है. जबकि रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी में मरीज को छुट्टी मिलने के बाद एक सप्ताह में वह फिट हो जाता है.
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वहीं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एमएम यूसुफ ने कहा कि इस तकनीक की बढ़ती मांग को रेखांकित करते हुए रोबोटिक सर्जरी बाजार में 2030 तक 25.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो मौजूदा वैश्विक बाजार हिस्सेदारी 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. भारत में यह न्यूनतम इनवेसिव दृष्टिकोण लोकप्रियता हासिल कर रहा है, जिसमें प्रतिदिन अनुमानित 20 रोबोटिक कार्डिएक सर्जरी की जाती है.
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