रायपुर: सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है. सूर्य साल भर में सभी 12 राशियों में एक के बाद एक गोचर करते हैं. अभी देव गुरु बृहस्पति की राशि मीन में सूर्य मौजूद हैं. जब भी सूर्य मीन या धनु राशि में होते हैं तो इसे खरमास कहा जाता है. अभी सूर्य गुरु की राशि मीन में भ्रमण कर रहे हैं. इसलिए अभी खरमास जारी है. खरमास के एक महीने के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते.
कब खत्म हो रहा है खरमास ? : खरमास यानी की सूर्य जब गुरु की राशि मीन या धनु में प्रवेश करते हैं, तो उसे खरमास माना गया है. इस साल सूर्य ने 16 मार्च को मीन राशि में गोचर किया था, इसलिए अभी खरमास चल रहा है. सूर्य देव 13 अप्रैल को मीन राशि से गोचर कर दूसरी राशि में जाएंगे. इसलिए 13 अप्रैल अर्थात पंचमी तक खरमास का प्रभाव रहेगा. इसके बाद खरमास समाप्त हो जाएगा. 13 अप्रैल के बाद दोबारा सभी मांगलिक कार्य शुरु किए जाएंगे.
खरमास में इन मंत्रों का करें पाठ: खरमास के दौरान हवन पूजन करते समय कुछ दिव्य मंत्रों का उपयोग करना शुभ माना गया है. खरमास के प्रभाव को उज्जवल बनाने के लिए हर दिन साधकों को गायत्री मंत्र का पाठ करना चाहिए. सूर्य चालीसा, सूर्य सहस्त्रनाम, आदित्य हृदय स्त्रोत, राम रक्षा स्त्रोत आदि का पाठ करना खरमास में अत्यंत शुभ माना गया है. खरमास के समय पड़ने वाले रविवार को उपवास, व्रत, दान, स्नान, ध्यान और योग करना अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है. इस समय माणिक, रत्न, पहनना या माणिक रत्न प्रदान करना कल्याणकारी माना जाता है.
खरमास में पितृ पूजन का महत्व: साथ ही पिता की पूजा करना, पिता के प्रति श्रद्धा, सेवा, अर्पण की भावना रखना भी बहुत कल्याणकारी माना गया है. पितरों को स्मरण करते हुए पितरों की याद में दान, पुण्य, दीपदान, ज्योति जलाना श्रेष्ठ माना गया है. माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद आपके मिलेगा.
खरमास के दौरान क्या करें: खरमास के समय दीपदान, यज्ञ, दान, सरोवर स्नान, नदी स्नान और ब्राह्मणों को दान देना अत्यंत उत्तम माना जाता है. इस समय पूरे मन से सूर्य देव की पूजा करना चाहिए, ऐसा करना अत्यंत शुभ माना गया है. मां भगवती की पूजा करते समय सूर्य, गायत्री अथवा गुरु गायत्री मंत्रों के जरिए भगवती का पूजन करना चाहिए. खरमास के समय नामकरण, गर्भाधान, अन्नप्राशन आदि संस्कार करना और कराना शुभ माना जाता है.
खरमास के दौरान क्या नहीं करें: खरमास एक साल में दो बार आता है. एक बार दिसंबर या जनवरी में और दूसरी बार मार्च या अप्रैल के महीने में खरमास होता है. इस समय विवाह संस्कार निषेध माना गया है, इसलिए इस समय मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. लेकिन पूजा-पाठ, अनुष्ठान, साधना, व्रत, उपवास और तप जैसे कार्य करना इस समय बहुत शुभ होता है.