खजुराहो। खजुराहो डांस फेस्टिवल के चौथे दिन की शुरुआत मोमिता घोष वत्स के ओडिसी नृत्य से हुई. उन्होंने विष्णु ध्यान से अपने नृत्य की शुरुआत की. राग विभास और एक ताल में निबद्ध नाजिया आलम की संगीत रचना पर मोमिता घोष ने मनोहारी ढंग से अपने नृत्य अभिनय और भंगिमाओं से भगवान विष्णु को साकार किया. अगली पेशकश में उन्होंने समध्वनि की प्रस्तुति दी. यह शुद्ध ओडिसी नृत्य था. इस प्रस्तुति में मोमिता घोष ने अंग क्रियाओं और लय का तालमेल दिखाया. राग गोरख कल्याण और एक ताल में निबद्ध रचना पर उन्होंने विविध लयकारियों का चलन दिखाया. इस प्रस्तुति में भी संगीत संयोजन नाजिया आलम का रहा. नृत्य संयोजन स्वयं मोमिता घोष का था. उन्होंने नृत्य का समापन जयदेव कृत गीत गोविंद की अष्टपदी "धीर समीरे यमुना तीरे" से किया.
बनारस घराने की नलिनी कमलिनी की शिव स्तुति
इसके बाद कथक के बनारस घराने की प्रतिनिधि कलाकार नलिनी कमलिनी ने शिव स्तुति से कंदरिया महादेव को नृत्यांजलि अर्पित की. राग मालकौंस के सुरों में पागी और 12 मात्रा में निबद्ध ध्रुपद अंग की रचना "चंद्रमणि ललाट भोला भस्म अंगार" पर दोनों बहनों ने नृत्य की प्रस्तुति से शिव को साकार करने की कोशिश की. इसके बाद तीन ताल में कलावती के लहरे पर उन्होंने शुद्ध नृत्य की प्रस्तुति दी. इसमें उन्होंने विविधतापूर्ण लयकारी का प्रदर्शन किया. दोनों बहनों ने होली की ठुमरी पर भाव नृत्य भी किया. पंडित जितेंद्र महाराज द्वारा लिखी गई ठुमरी "मत मारो श्याम पिचकारी" पर उन्होंने बेहतरीन नृत्य प्रस्तुति दी. इस प्रस्तुति में नीलाक्षी सक्सेना और शालिनी तिवारी ने भी साथ दिया. समापन में भैरवी में पद संचालन करके उन्होंने द्रुत तीन ताल का काम दिखाया. उनके साथ गायन में नलिनी निगम, तबले पर अकबर लतीफ, वायलिन पर अफजल जहूर, बांसुरी पर शिवम ने साथ दिया. होली का नृत्य संयोजन पंडित जितेंद्र महाराज का रहा.
सुचित्रा हरमलकर ने अपने समूह के साथ दी प्रस्तुति
मध्यप्रदेश की जानी मानी कथक नृत्यांगना डॉ.सुचित्रा हरमलकर ने भी अपने समूह के साथ खजुराहो के समृद्ध मंच पर खूब रंग भरे. रायगढ़ घराने से ताल्लुक रखने वाली सुचित्रा हरमलकर ने भी अपने नृत्य का आगाज शिव आराधना से किया. तीनताल में दरबारी की बंदिश "हर हर भूतनाथ पशुपति" पर नृत्य करके उन्होंने शिव के रूपों को सामने रखने की कोशिश की. दूसरी प्रस्तुति में उन्होंने जटायु मोक्ष की कथा को नृत्य भावों में पिरोकर पेश किया. अगली प्रस्तुति में उन्होंने जयदेव कृत दशावतार पर ओजपूर्ण नृत्य की प्रस्तुति दी. समापन उन्होंने द्रुत तीन ताल में तराने से किया. इन प्रस्तुतियों में उनके साथ योगिता गड़ीकर, निवेदिता पंड्या, साक्षी सोलंकी, उन्नति जैन, फागुनी जोशी, महक पांडे और श्वेता कुशवाह ने साथ दिया.
भागवत परंपरा की पंचाध्यायी पर आधारित बसंत रास
मणिपुरी नृत्य की जानी मानी कलाकार रोशली राजकुमारी के समूह ने भी खजुराहो नृत्य समारोह में अपनी प्रस्तुति दी. इस समूह ने भागवत परंपरा की पंचाध्यायी पर आधारित बसंत रास की प्रस्तुति दी. जयदेव की कृतियों पर मणिपुरी नर्तकों की टोली ने यह प्रस्तुति दी. वास्तव में ये एक तरह की रासलीला थी, जिसमें नर्तकों के हाव भाव और चाल बेहद संयमित थे. इस प्रस्तुति में संध्यादेवी, लिंडा लेईसंघथेम विद्याश्वरी देवी, मोनिका राकेश्वरी देवी, सनाथोंबी देवी ने नृत्य में सहयोग किया. जबकि गायन में लांसन चानू ने साथ दिया. संगीत राजकुमार उपेंद्रो सिंह और नंदीकुमार सिंह का रहा. समूह ने राकेश सिंह के निर्देशन में यह प्रस्तुति दी.
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कोच्चि कोडिअट्टम नृत्य की बात ही निराली
अंतिम पेशकश केरल के प्रसिद्ध कोच्चि कोडिअट्टम नृत्य की रही. केरल के कलाकार मार्गी मधु और उनके साथियों ने इस नृत्य के माध्यम से जटायु मोक्ष की लीला का प्रदर्शन किया. यह नृत्य नाटिका थी. इसमें गुरु मार्गी मधु चक्यार ने रावण सौ इंदु ने सीता, श्री हरि चकयार ने जटायु का अभिनय किया. इस प्रस्तुति में सीता हरण से लेकर जटायु मोक्ष तक की लीला का वर्णन दिखाया गया. खजुराहो नृत्य समारोह न सिर्फ विविध नृत्य शैलियों का उल्लास है, बल्कि यहां समकालीन कलाओं के साथ-साथ व्यंजन और हुनर जैसी गतिविधियां भी कलानुरागियों को प्रफुल्लित कर रही हैं.