लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ में करीब 19 साल से बिना पासपोर्ट और वीजा के रह रहे केन्या के एक नागरिक को इंदिरा नगर पुलिस ने गुरुवार रात गिरफ्तार किया. पकड़ा गया केन्याई नागरिक 2002 में वाराणसी में धोखाधड़ी के मामले में जेल भी जा चुका है. इसके बाद भी उसको डिपोट नहीं किया. इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है. उसे नशीली दवा सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
इंदिरा नगर से गाजीपुर थाने और क्राइम ब्रांच की टीम ने केन्या के मूल नागरिक मॉरिस को बिना वीजा व पासपोर्ट के गिरफ्तार किया है. मॉरिस के पास से कोई दस्तावेज नहीं मिलने पर उससे लम्बी पूछताछ कर विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा भी दर्ज किया गया है.
केन्या के नैरोबी का रहने वाला मॉरिस अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए भारत आया था. उसने बी-कॉम, एम-कॉम करने के बाद आगे की पढ़ाई करनी चाही. इसी बीच वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र में धोखाधड़ी के एक मामले में उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई. उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. जेल से छूटने के बाद मॉरिस काम की तलाश में राजधानी लखनऊ आ गया. यहां केबल तार जोड़ने का काम करने लगा, उसने पहचान छुपाकर रखी.
हाथ में हुनर होने के बावजूद पासपोर्ट और वीजा को लेकर वह गम्भीर नहीं हुआ. इसी दौरान उसकी शिकायत हुई और कमिश्नरेट पुलिस ने उसे इंदिरा नगर के सेक्टर 9 से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने मॉरिस के खिलाफ पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है.
डीसीपी नॉर्थ अभिजीत आर शंकर ने बताया कि इंदिरानगर के सेक्टर 9 इलाके से विदेशी नागरिक को गिरफ्तार किया गया है. वो बिना वीजा के कई साल से लखनऊ में रह रहा था. 2005 में मॉरिस का वीजा और पासपोर्ट एक्सपायर हो गया था. उसके बाद वो अलग-अलग जगह पर अवैध रूप से रह रह था.
लखनऊ में रहकर टीवी और एलसीडी बनाने का काम करता था. वो 1992 में भारत आया था. 1995 में अयोध्या के साकेत यूनिवर्सिटी से बी कॉम की पढ़ाई कर डिग्री हासिल की. 1998 में बरेली के विश्वविद्यालय से एम कॉम किया. वाराणसी में दर्ज ठगी के मुकदमे में जेल भी जा चुका हैं.