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काशी विश्वनाथ मंदिर 8 घंटे तक रहेगा बंद, प्रशासन ने लिया फैसला, जानिए क्यों किया गया ऐसा

Kashi Vishwanath Temple: विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में बड़ा बदलाव किया जाना है. गर्भगृह के अरघे को चांदी से सुसज्जित किया जाएगा. इसको लेकर मंदिर प्रशासन ने तैयारियां कर ली है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 14, 2024, 3:25 PM IST

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ का कॉरिडोर बनाए जाने के बाद अब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में बड़ा बदलाव देखने को मिलने वाला है. विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के अरघे को चांदी से सुसज्जित किया जाएगा. इसको लेकर मंदिर प्रशासन ने तैयारियां कर ली हैं.

कल यानी गुरुवार 15 फरवरी को गर्भगृह में इस पूरी प्रक्रिया को किया जाएगा. इसको लकेर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. यह रोक कुल 8 घंटे तक रहेगी. ऐसे में जो लोग मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं, उन्हें रोक लगे रहने तक गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

गर्भगृह के बाहर से ही लोग भगवान शिव के दर्शन कर सकेंगे. काशी में इस समय सभी देव स्थानों को सुसज्जित और उनका कायाकल्प करने की प्रक्रिया की जा रही है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद जो बदलाव हुआ वो सभी के सामने है. बनारस का पर्यटन ऐसा आसमान चढ़ा कि यहां का कारोबार तक बदल गया.

आज हर कोई बनारस आने के साथ ही यहां प्रमुख मंदिरों में घूमना चाहता है. ऐसे में एक और कड़ी विश्वनाथ मंदिर की जुड़ रही है. यहां पर विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के अरघे को चांदी से सुसज्जित किया जाएगा. विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु रोजाना आते हैं.

ऐसे में मंदिर में इस तरह से कायाकल्प हो जाने के बाद लोगों की संख्या में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है. यह मंदिर भी बहुत पुराना मंदिर है. स्वामी कृष्णम ने इसकी आधारशिला रखी थी. मंदिर के मानित व्यवस्थापक प्रो. विनय कुमार पांडेय ने इस बारे में जानकारी दी है.

उन्होंने बताया कि गर्भगृह में 15 फरवरी को दोपहर 12 से रात 8 बजे तक श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि उस दौरान मंदिर में बाबा के अर्घा को चांदी से सुसज्जित किए जाएगा. इस दौरान मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा.

जो लोग भी मंदिर में बाबा के दर्शन करना चाहते हैं वे गर्भगृह में नहीं जा सकेंगे. उन्हें बाहर से ही दर्शन करना होगा. मंदिर के बारे में बताते हुए बीएचयू के प्रोफेसर बताते हैं कि, काशी विश्वनाथ मंदिर का शिखर 252 फीट ऊंचा है. ऐसे में यह मंदिर देश का सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर है.

यह मंदिर द्रविण और नागर के साथ बेसर वास्तुशैली पर आधारित है. मंदिर प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, मार्च 1931 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने इस मंदिर के निर्माण के बारे में सोचा था. इसके बाद उन्होंने तपस्वी स्वामी कृष्णम ने इसकी आधारशिला रखी थी.

मंदिर की आधारशिला रखे जाने के बाद उद्योगपति जुगल किशोर बिरला ने साल 1954 में इस मंदिर का निर्माण पूरा कराया था. जब मंदिर का निर्माण पूरा हुआ तो उस समय मंदिर के शिखर का निर्माण पूरा नहीं किया गया था. इसके बाद साल 1962 में यह मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था.

बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कई खंड में हुआ है. बता दें कि विश्वनाथ मंदिर जाने के लिए लंका गेट से होकर आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर से जा सकते हैं. यहां आपको खाने-पीने की दुकानें भी मिल जाएंगी.

ये भी पढ़ेंः फोटोग्राफी का है शौक तो काशी सांसद प्रतियोगिता में लीजिए हिस्सा, ऐसे होगा रजिस्ट्रेशन

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ का कॉरिडोर बनाए जाने के बाद अब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में बड़ा बदलाव देखने को मिलने वाला है. विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के अरघे को चांदी से सुसज्जित किया जाएगा. इसको लेकर मंदिर प्रशासन ने तैयारियां कर ली हैं.

कल यानी गुरुवार 15 फरवरी को गर्भगृह में इस पूरी प्रक्रिया को किया जाएगा. इसको लकेर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. यह रोक कुल 8 घंटे तक रहेगी. ऐसे में जो लोग मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं, उन्हें रोक लगे रहने तक गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

गर्भगृह के बाहर से ही लोग भगवान शिव के दर्शन कर सकेंगे. काशी में इस समय सभी देव स्थानों को सुसज्जित और उनका कायाकल्प करने की प्रक्रिया की जा रही है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद जो बदलाव हुआ वो सभी के सामने है. बनारस का पर्यटन ऐसा आसमान चढ़ा कि यहां का कारोबार तक बदल गया.

आज हर कोई बनारस आने के साथ ही यहां प्रमुख मंदिरों में घूमना चाहता है. ऐसे में एक और कड़ी विश्वनाथ मंदिर की जुड़ रही है. यहां पर विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के अरघे को चांदी से सुसज्जित किया जाएगा. विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु रोजाना आते हैं.

ऐसे में मंदिर में इस तरह से कायाकल्प हो जाने के बाद लोगों की संख्या में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है. यह मंदिर भी बहुत पुराना मंदिर है. स्वामी कृष्णम ने इसकी आधारशिला रखी थी. मंदिर के मानित व्यवस्थापक प्रो. विनय कुमार पांडेय ने इस बारे में जानकारी दी है.

उन्होंने बताया कि गर्भगृह में 15 फरवरी को दोपहर 12 से रात 8 बजे तक श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि उस दौरान मंदिर में बाबा के अर्घा को चांदी से सुसज्जित किए जाएगा. इस दौरान मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा.

जो लोग भी मंदिर में बाबा के दर्शन करना चाहते हैं वे गर्भगृह में नहीं जा सकेंगे. उन्हें बाहर से ही दर्शन करना होगा. मंदिर के बारे में बताते हुए बीएचयू के प्रोफेसर बताते हैं कि, काशी विश्वनाथ मंदिर का शिखर 252 फीट ऊंचा है. ऐसे में यह मंदिर देश का सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर है.

यह मंदिर द्रविण और नागर के साथ बेसर वास्तुशैली पर आधारित है. मंदिर प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, मार्च 1931 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने इस मंदिर के निर्माण के बारे में सोचा था. इसके बाद उन्होंने तपस्वी स्वामी कृष्णम ने इसकी आधारशिला रखी थी.

मंदिर की आधारशिला रखे जाने के बाद उद्योगपति जुगल किशोर बिरला ने साल 1954 में इस मंदिर का निर्माण पूरा कराया था. जब मंदिर का निर्माण पूरा हुआ तो उस समय मंदिर के शिखर का निर्माण पूरा नहीं किया गया था. इसके बाद साल 1962 में यह मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था.

बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कई खंड में हुआ है. बता दें कि विश्वनाथ मंदिर जाने के लिए लंका गेट से होकर आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर से जा सकते हैं. यहां आपको खाने-पीने की दुकानें भी मिल जाएंगी.

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