वाराणसी : भारत और नेपाल के रिश्ते हमेशा से ही काफी अच्छे रहे हैं. इन दोनों देशों के बीच का संबंध आज से नहीं बल्कि सदियों से है. नेपाल-भारत के इस रिश्ते को बनारस और मजबूत करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से नेपाल का बेहद पुराना रिश्ता है. यूं कहें कि 240 साल पहले नेपाल के तत्कालीन राजा रणबहादुर वीर विक्रम शाह ने बनारस में इन दोनों देशों के रिश्ते की एक मजबूत आधारशिला रखी थी, लेकिन वक्त के थपेड़ों ने दोनों के रिश्तों के मजबूत धरोहर को कमजोर करना शुरू कर दिया, लेकिन एक बार फिर 240 वर्षों के बाद नेपाल सरकार की इस अद्भुत और अलौकिक स्ट्रक्चर के कायाकल्प की तैयारी शुरू हो गई है. इसकी आधारशिला तो 2022 में ही रख दी गई थी, लेकिन अब 14 करोड़ रुपए की लागत से इसे नया रूप दिया जाने वाला है. आप भी जानिए आखिर नेपाल भारत के रिश्ते की यह अद्भुत चीज है क्या?
दरअसल, वाराणसी में 240 साल पुराना नेपाल के तत्कालीन राजा रणबहादुर वीर विक्रम शाह के द्वारा स्थापित पशुपतिनाथ मंदिर नेपाली धर्मशाला और नेपाली वृद्ध माता के लिए स्थापित एक आश्रम है. 1784 में इस मंदिर के काम की शुरुआत हुई और 3 सालों बाद 1787 में यह बनकर तैयार हुआ. श्री साम्राजेश्वर पशुपतिनाथ महादेव मंदिर धर्मशाला के निर्माण के पीछे मकसद सिर्फ नेपाल के लोगों और भारत के लोगों को एकजुट करना था.
यहां के ट्रस्ट के वर्तमान प्रबंधक रोहित कुमार ढाकाल ने बताया कि काशी का यह पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की कॉपी है. यहां तक की अंदर शिवलिंग भी पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर ही स्थापित किया गया है. बाबा विश्वनाथ के मंदिर से महज कुछ दूरी पर स्थापित यह स्थान ललिता घाट पर है और यहां पर बड़ी संख्या में आने वाले नेपाली दर्शनार्थियों के अलावा विश्व भर के लोग पहुंचते हैं.
इस मंदिर की सबसे खास बात है यहां की काष्ठ कला. सैकड़ों साल पहले नेपाल में तैयार की गई. अद्भुत कलाकृतियों से सजी हुई लकड़ियों से ही इस पूरे मंदिर धर्मशाला और आश्रम का निर्माण करवाया गया है. बहुत पुराने वक्त से इन लकड़ियों की देखरेख की जा रही है, लेकिन समय के साथ अब यह पुरानी हो चली है. यही वजह है कि अब इस पूरे मंदिर और पूरे परिसर का कायाकल्प होने जा रहा है.
रोहित कुमार ढाकाल बताते हैं कि इस कार्य का शिलान्यास अप्रैल 2022 में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने किया था. लगभग 2 साल बाद अब 14 करोड़ की नेपाली मुद्रा कई किस्तों में देकर सरकार इस मंदिर में काम शुरू करवाने जा रही है. यहां वृद्धाश्रम और भोजनालय का भी कायाकल्प होगा और मंदिर के साथ ही धर्मशाला का भी पूरा कायाकल्प किया जाएगा.
उनका कहना है कि ललिता घाट पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर पूरी तरह से काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर की अनुकृति है और इसके लिए सरकार बड़ी धनराशि देकर कायाकल्प करवाने वाली है, जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है क्योंकि बनारस में सैलानियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और उन्हें भी एक अद्भुत और अलौकिक जगह देखने को मिलती है.
इसके लिए लोगों को नेपाल जाना पड़ता है लेकिन ऐसी मान्यता है कि जो भी एक लोटा जल यहां पर पशुपतिनाथ को अर्पित करता है वह सीधे नेपाल में उन्हें प्राप्त होता है और उसका फल भी लोगों को मिलता है. फिलहाल 14 करोड़ की नेपाली मुद्रा मिलने के बाद इस जगह का पूरा कायाकल्प होने की उम्मीद है और यहां पर एक म्यूजियम और लाइब्रेरी बनाने की भी तैयारी है. जिसमें नेपाल की तमाम कलाकृतियों के साथ नेपाल से जुड़े अन्य चीजों को रखकर लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचाने की तैयारी की जा रही है.
उन्होंने बताया कि मंदिर की पौराणिकता व भव्यता को ध्यान में रखते हुए कार्य करवाया जाएगा और इसके पुरातन स्वरूप को न छेड़ा जाए, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही वहां से राशि आएगी और काम भी शुरू होगा. रोहित कुमार ढाकाल का कहना है कि इसके लिए भारत और नेपाल के दूतावास आपस में लगातार संपर्क में हैं.
हाल ही में नेपाल के विदेश मंत्री भी भारत दौरे पर आए थे तो उन्होंने इसे लेकर सरकार से बातचीत की है. उम्मीद है कि भारत सरकार भी इस पर ध्यान देगी और इस पूरे स्थान का कायाकल्प करेगी और लोगों को बेहतर से बेहतर कल आकृतियों और अद्भुत स्वरूप भारत में ही नेपाल के रूप का मिलेगा.
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