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पुष्कर में कार्तिक मेले का शुभारंभ: एकादशी पर सरोवर में हजारों श्रद्धालु ने लगाई आस्था की डुबकी

पुष्कर में कार्तिक मेले का शुभारंभ हो गया है. यहां श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक चलेगा.

Kartik fair in Pushkar 2024
पुष्कर में कार्तिक मेले का शुभारंभ (Photo ETV Bharat Ajmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 12, 2024, 9:42 AM IST

Updated : Nov 12, 2024, 12:43 PM IST

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अजमेर: तीर्थराज पुष्कर में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है. मंगलवार को पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर तीर्थ यात्रियों का सुबह से स्नान, पूजा अर्चना के लिए तांता लगा हुआ है. महास्नान के लिए देश के कोने कोने से साधु संत भी पुष्कर आए हैं. पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना के बाद जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन करेंगे. सरोवर के आसपास पुलिस की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था है.

पुष्कर के पवित्र सरोवर में सुबह से ही श्रद्धालुओं के स्नान करने आने का सिलसिला जारी है. कई श्रद्धालु तो ब्रह्म मुहर्त में ही सरोवर पहुंच गए. उन्होंने आस्था की डुबकी लगाकर तीर्थराज पुष्कर की पूजा की. कई श्रद्धालुओं ने पूर्वजों के निमित्त तर्पण व पिंडदान कर बाद में ब्रह्माजी के दर्शन किए. श्रद्धालु पुष्कर के अन्य प्राचीन मंदिरों में भी दर्शनों के लिए जा रहे हैं. पुष्कर की हर धर्मशाला, गेस्ट हाउस और होटल तीर्थ यात्रियों से आबाद हैं. बता दें कि 12 से 15 नवम्बर तक पुष्कर में धार्मिक मेला रहेगा.

पुष्कर में कार्तिक मेले का शुभारंभ (Photo ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें: पुष्कर कार्तिक मेला, अजमेर-पुष्कर स्पेशल ट्रेन कल से होगी शुरू

यह है धार्मिक मान्यता: तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि पुष्कर में कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक समस्त देवी देवता यहां विराजमान रहते हैं. पुराणों के अनुसार जगतपिता ब्रह्मा ने समस्त देवी देवताओं और ऋषि मुनियों की उपस्थिति में कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक सृष्टि यज्ञ किया था. इस दौरान समस्त देवी देवता और ऋषि मुनि पुष्कर में निवास कर नित्य सरोवर में स्नान करते हैं. माना जाता है कि पुष्कर सरोवर का जल ब्रह्माजी के कमंडल में स्थित जल के समान पवित्र है.यही वजह है कि एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर में पंच तीर्थ स्थान का विशेष महत्व है. इन पांच दिनों में धार्मिक मेले का आयोजन होता है. कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक धार्मिक मेला रहता है.

पुष्कर कार्तिक मेला
पुष्कर कार्तिक मेला (फोटो ईटीवी भारत अजमेर)

चार दिन ही होगा धार्मिक स्नान: यहां के पंडित कैलाश नाथ दाधीच ने बताया कि पुष्कर में एकादशी से पूर्णिमा तक पंचतीर्थ स्थान का धार्मिक महत्व है, लेकिन इस बार धार्मिक स्नान भीष्क पंचक स्नान न होकर भीष्क चतुर्थ स्नान ही रहेगा. इस बार ब्रह्म चतुर्दशी तिथि के शय होने से धार्मिक स्नान 4 दिन ही रहेगा.

पुष्कर सरोवर पर श्रद्धालुओं का जमघट
पुष्कर सरोवर पर श्रद्धालुओं का जमघट (फोटो ईटीवी भारत अजमेर)

यह भी पढ़ें: चंद्रभागा कार्तिक मेले का हुआ आगाज, नदी तट पर आयोजित दीपदान में शामिल हुए सैलानी

पुलिस और पुलिस मित्र ने संभाला मोर्चा: पुष्कर में तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस संभाल रही है.इस बार बारिश अधिक होने से सरोवर लबालब भरा हुआ है.ऐसे में पुष्कर में तीर्थ यात्रियों की आवक को देखकर पहले से ही प्रशासन ने तैयारी की है. पुष्कर के सभी 52 घाटों पर नागरिक सुरक्षा और पुलिस मित्र के जवान तैनात है. नगर पालिका की ओर से पुष्कर सरोवर में गहराई प्रदर्शित करने के लिए लाल झंडियां लगाई गई है. पुलिस मित्र, नागरिक सुरक्षा के अलावा स्थानीय तीर्थ पुरोहित भी बार-बार तीर्थ यात्रियों को सरोवर में गहराई में नहीं जाने के प्रति आगाह कर रहे हैं.

अक्षय फल मिलता है: वराह घाट के प्रधान पंडित रविकांत शर्मा ने बताया कि 33 कोटि देवी देवता और यश, गंधर्व नाग सभी का वास एकादशी से पूर्णिया तक पुष्कर में रहता है. सभी देवी देवता पुष्पराज में स्नान करते हैं. जगतपिता ब्रह्मा ने एकादशी से पूर्णिमा तक सृष्टि यज्ञ किया था. इसकी महिमा युगों युगों तक आज भी है. तीर्थ पुरोहित पंडित दिलीप शास्त्री बताते हैं कि धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के मुताबिक एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर तीर्थ में स्नान पूजा अर्चना दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

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अजमेर: तीर्थराज पुष्कर में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है. मंगलवार को पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर तीर्थ यात्रियों का सुबह से स्नान, पूजा अर्चना के लिए तांता लगा हुआ है. महास्नान के लिए देश के कोने कोने से साधु संत भी पुष्कर आए हैं. पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना के बाद जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन करेंगे. सरोवर के आसपास पुलिस की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था है.

पुष्कर के पवित्र सरोवर में सुबह से ही श्रद्धालुओं के स्नान करने आने का सिलसिला जारी है. कई श्रद्धालु तो ब्रह्म मुहर्त में ही सरोवर पहुंच गए. उन्होंने आस्था की डुबकी लगाकर तीर्थराज पुष्कर की पूजा की. कई श्रद्धालुओं ने पूर्वजों के निमित्त तर्पण व पिंडदान कर बाद में ब्रह्माजी के दर्शन किए. श्रद्धालु पुष्कर के अन्य प्राचीन मंदिरों में भी दर्शनों के लिए जा रहे हैं. पुष्कर की हर धर्मशाला, गेस्ट हाउस और होटल तीर्थ यात्रियों से आबाद हैं. बता दें कि 12 से 15 नवम्बर तक पुष्कर में धार्मिक मेला रहेगा.

पुष्कर में कार्तिक मेले का शुभारंभ (Photo ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें: पुष्कर कार्तिक मेला, अजमेर-पुष्कर स्पेशल ट्रेन कल से होगी शुरू

यह है धार्मिक मान्यता: तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि पुष्कर में कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक समस्त देवी देवता यहां विराजमान रहते हैं. पुराणों के अनुसार जगतपिता ब्रह्मा ने समस्त देवी देवताओं और ऋषि मुनियों की उपस्थिति में कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक सृष्टि यज्ञ किया था. इस दौरान समस्त देवी देवता और ऋषि मुनि पुष्कर में निवास कर नित्य सरोवर में स्नान करते हैं. माना जाता है कि पुष्कर सरोवर का जल ब्रह्माजी के कमंडल में स्थित जल के समान पवित्र है.यही वजह है कि एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर में पंच तीर्थ स्थान का विशेष महत्व है. इन पांच दिनों में धार्मिक मेले का आयोजन होता है. कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक धार्मिक मेला रहता है.

पुष्कर कार्तिक मेला
पुष्कर कार्तिक मेला (फोटो ईटीवी भारत अजमेर)

चार दिन ही होगा धार्मिक स्नान: यहां के पंडित कैलाश नाथ दाधीच ने बताया कि पुष्कर में एकादशी से पूर्णिमा तक पंचतीर्थ स्थान का धार्मिक महत्व है, लेकिन इस बार धार्मिक स्नान भीष्क पंचक स्नान न होकर भीष्क चतुर्थ स्नान ही रहेगा. इस बार ब्रह्म चतुर्दशी तिथि के शय होने से धार्मिक स्नान 4 दिन ही रहेगा.

पुष्कर सरोवर पर श्रद्धालुओं का जमघट
पुष्कर सरोवर पर श्रद्धालुओं का जमघट (फोटो ईटीवी भारत अजमेर)

यह भी पढ़ें: चंद्रभागा कार्तिक मेले का हुआ आगाज, नदी तट पर आयोजित दीपदान में शामिल हुए सैलानी

पुलिस और पुलिस मित्र ने संभाला मोर्चा: पुष्कर में तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस संभाल रही है.इस बार बारिश अधिक होने से सरोवर लबालब भरा हुआ है.ऐसे में पुष्कर में तीर्थ यात्रियों की आवक को देखकर पहले से ही प्रशासन ने तैयारी की है. पुष्कर के सभी 52 घाटों पर नागरिक सुरक्षा और पुलिस मित्र के जवान तैनात है. नगर पालिका की ओर से पुष्कर सरोवर में गहराई प्रदर्शित करने के लिए लाल झंडियां लगाई गई है. पुलिस मित्र, नागरिक सुरक्षा के अलावा स्थानीय तीर्थ पुरोहित भी बार-बार तीर्थ यात्रियों को सरोवर में गहराई में नहीं जाने के प्रति आगाह कर रहे हैं.

अक्षय फल मिलता है: वराह घाट के प्रधान पंडित रविकांत शर्मा ने बताया कि 33 कोटि देवी देवता और यश, गंधर्व नाग सभी का वास एकादशी से पूर्णिया तक पुष्कर में रहता है. सभी देवी देवता पुष्पराज में स्नान करते हैं. जगतपिता ब्रह्मा ने एकादशी से पूर्णिमा तक सृष्टि यज्ञ किया था. इसकी महिमा युगों युगों तक आज भी है. तीर्थ पुरोहित पंडित दिलीप शास्त्री बताते हैं कि धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के मुताबिक एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर तीर्थ में स्नान पूजा अर्चना दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

Last Updated : Nov 12, 2024, 12:43 PM IST
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