जैसलमेर. जिले में गर्मी के मौसम में मृत पशुओं के अवशेष व हड्डियां खाने के कारण दुधारू गायों के साथ ही अन्य पशुओं में फैल रहे कर्रा रोग के उपचार के लिए जिम्मेदार हरकत में आ गए हैं. जिला कलेक्टर प्रताप सिंह के निर्देशानुसार पशुओं में फैलने वाले कर्रा रोग के इलाज के लिए पशुपालन विभाग ने 17 मोबाइल वेटनरी टीमें लगा रखी हैं. यह मोबाइल पशु चिकित्सा टीमें जहां से भी पशुओं में कर्रा रोग की सूचना मिलती है, वहां पर जाकर पशुओं का टीकाकरण एवं अन्य दवाइयां देकर इलाज कर रही हैं.
गौरतलब है कि जैसलमेर जिले में कर्रा रोग से सैकड़ों पशुओं की मौत हो चुकी है. पशु चिकित्सा विभाग के अनुसार कर्रा रोग होते ही गाय के आगे के पैर जकड़ जाते हैं और गाय चलना बंद कर देती है. मुंह से लार टपकती है और चारा खाना व पानी पीना भी बंद हो जाता है. कर्रा रोग लगने के 4 से 5 दिन में गाय की मौत हो जाती है. ज्यादातर गर्मियों में मृत पशुओं के अवशेष व हड्डियां खाने के कारण दुधारू गायों के साथ ही अन्य पशुओं में कर्रा रोग हो जाता है.
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जैसलमेर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि पशुपालन विभाग कर्रा रोग के आवश्यक रोकथाम के लिए पूरी तरह सजग एवं सतर्क है. पशुधन के इलाज के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पशुपालकों से भी पशुओं में कर्रा रोग के उपचार के लिए समय-समय पर अपील जारी कर उन्हें सलाह दी गई है कि वे अपने दुधारू गायों को बाड़े में बांध कर रखें, साथ ही कैल्शियम की कमी की पूर्ति के लिए मिनरल मिक्सचर व नमक-दालें साथ मिलाकर देने की सलाह दी गई है.
इसके साथ ही मृत पशुओं को वैज्ञानिक पद्धति के अनुरूप चारदीवारी परिसर में गड्ढा खोद कर उसको अच्छी तरह से दफनाने की भी सलाह दी गई है. कर्रा रोग के लिए पशुओं में प्राथमिक बचाव से ही इलाज संभव हो रहा है. संयुक्त निदेशक ने बताया कि अब तक करीब 32 गांवों में कैंप लगाकर पशुओं का इलाज किया जा रहा है, साथ ही मोबाइल वेटनरी पशु चिकित्सा टीम विभिन्न गांवों में कैम्प लगाकर कर्रा रोग के संबंध में पशुओं का टीकाकरण कर इलाज कर रही है. वहीं, पशुपालकों को पशुओं के कर्रा रोग से बचाव व आवश्यक उपायों के बारे में भी विस्तार से जानकारी देकर कर उन्हें जागरूक किया गया है.