करनाल: करनाल के दयाल सिंह स्कूल मुख्य शाखा 11वीं की छात्रा दीक्षा ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. दीक्षा ने आल इंडिया एस्ट्रॉएड सर्च कैम्पेन यानी कि एआईएएससी के तहत मुख्य बेल्ट के एक क्षुद्रग्रह को खोज निकाला है. दीक्षा हरियाणा की पहली ऐसी छात्रा है, जिसने ये काम कर दिखाया है. नासा विशेषज्ञों की ओर से दीक्षा की 12 सदस्यीय टीम को मेल के जरिए प्रशंसा पत्र भेजकर सम्मानित किया गया. इस क्षुद्र ग्रह पर नासा शोध करेगा. साथ ही इसका नाम दीक्षा के नाम पर रखने की बात कही जा रही है.
12 स्टूडेंट की टीम ने किया कमाल: दरअसल दयाल सिंह स्कूल के बच्चों ने 2 साल पहले क्षुद्रग्रह की खोज थी. IASC की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित हुआ था. पूरे विश्व से स्कूल, कॉलेज के बच्चों और वैज्ञानिकों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. स्कूल के 12 छात्रों की टीम ने क्षुद्रग्रह खोजने का काम किया था. इन छात्रों ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी-नासा से जुड़ी एक अद्वितीय खगोल विज्ञान परियोजना के तहत ये काम किया था.
नासा ने मेल के जरिए भेजा प्रशंसा पत्र: इस उपलब्धि के बाद दयाल सिंह स्कूल की प्रधानाचार्य सुषमा देवगन ने कहा "बड़ा ही गर्व का विषय है. इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते, लेकिन ऐसा करने की इच्छा बहुत थी. हम सफल हुए हैं. दयाल सिंह स्कूल में इसी प्रोजेक्ट पर काम करने वाली छात्रों की 12 सदस्यीय टीम में से कक्षा 11वीं की छात्रा दीक्षा ने आल इंडिया एस्ट्रॉयड सर्च कैंपेन के तहत मुख्य बेल्ट के एक क्षुद्रग्रह को खोज निकाला है, जिसे लेकर नासा ने स्कूल को एक मेल के जरिए जानकारी दी है. साथ साथ नासा के विशेषज्ञों ने हमारे इस प्रोजेक्ट के 12 सदस्यीय टीम को प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया है."
साइंटिस्ट बनना चाहती है दीक्षा: इस बारे में अचीवर दीक्षा ने बताया "दयाल सिंह स्कूल के कुल 88 बच्चों ने इस प्रोजेक्ट के हिस्सा लिया था. पिछले 2 से 3 सालों से हम इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. टीम द्वारा 2 साल पहले 11 क्षुद्रग्रहों की खोज की थी. मुझे मुख्य बेल्ट क्षुद्रग्रह का दर्जा दिया गया है. इस प्रोजेक्ट में पहले साल हमें सफलता नहीं मिली थी. तीसरे साल में हमने 11 क्षुद्र ग्रहों को खोजने में सफलता हासिल की है. ऑब्जेक्ट देखकर हमें ग्रहों की खोज करनी होती है. इसमें चार मुख्य क्राइटेरिया थे, जिनको पूरा करना होता है. मैं एक साइंटिस्ट बनना चाहती हूं. रिसर्च फील्ड में ही मैं अपना करियर बनाना चाहती हूं." दीक्षा ने इस उपलब्धि का श्रेय स्कूल के अध्यापकों और मैनेजमेंट को दिया है.
बता दें कि भारत में साइंटिस्टों की बात की जाती है तो उसमें करनाल जिले का नाम आता है, क्योंकि यहां की बेटी कल्पना चावला ने अंतरिक्ष जाकर भारत का नाम रोशन किया था. वहीं अब उनके पद चिन्ह पर करनाल के अन्य विद्यार्थी भी चल रहे हैं. करनाल के दयाल सिंह स्कूल के बच्चों ने नासा के प्रोजेक्ट से जुड़कर क्षुद्र ग्रहों की खोज कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन किया है.
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