मैनपुरी: यूपी की जिन 9 सीट पर उपचुनाव हो रहा है, उनमें सबसे ज्यादा रोमांचक मुकाबला मैनपुरी की करहल सीट पर देखने को मिलेगा. इसका कारण मुलायम सिंह परिवार के 2 लोगों का आमने-सामने होना है. दरअसल, सपा ने करहल उपचुनाव में तेज प्रताप सिंह को उतारा है, जो मुलायम सिंह यादव के पोते और अखिलेश यादव के भतीजे हैं.
वहीं भाजपा ने इस सीट पर अनुजेश यादव को उतारा है, जो अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं. यानी धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव के पति हैं अनुजेश यादव. हालांकि, संध्या और अनुजेश से काफी साल पहले मुलायम परिवार ने रिश्ता खत्म कर लिया था. इसके बाद ही अनुजेश ने भाजपा का दामन थाम लिया था.
करहल सीट पर कुल मतदाता
- पुरुष मतदाता- 201394
- महिला मतदाता- 169851
- अन्य- 16
- कुल मतदाता- 371261
करहल में किस जाति के कितने मतदाता
- यादव- 1.25 लाख
- शाक्य- 35 हजार
- बघेल- 30 हजार
- क्षत्रिय- 30 हजार
- एससी- 22 हजार
- मुस्लिम- 18 हजार
- ब्राह्मण- 16 हजार
- लोधी- 15 हजार
- वैश्य- 15 हजार
वैसे इस वक्त देश की राजनीति का केंद्र उत्तर प्रदेश में दो ही ऐसी राजनीतिक पार्टियां हैं जिनका वजूद जनता के बीच न केवल जिंदा है बल्कि दिखता भी है. एक है भारतीय जनता पार्टी और दूसरी समाजवादी पार्टी. सपा ने दशकों तक उत्तर प्रदेश की सियासत में अपना सिक्का जमाए रखा. इसका सबसे बड़ा कारण था उनका एकजुट परिवार. लेकिन, 2012 में प्रदेश की सत्ता में आई सपा के बाद पार्टी और उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुत कुछ बदल गया.
सबसे ज्यादा बदलाव हुए समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह के परिवार में. अखिलेश यादव के हाथों में सत्ता आते ही मुलायम परिवार टूटने लगा. मुलायम सिंह यादव की परछाई कहे जाने वाले उनके छोटे भाई शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी से अलग हो गए. इसके बाद संध्या यादव और अनुजेश यादव भी अलग हो गए. इन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया.
बीजेपी का दामन संध्या यादव ने क्यों थामा: संध्या यादव पहले मैनपुरी से समाजवादी पार्टी से ही जिला पंचायत अध्यक्ष थीं. लेकिन, जब समाजवादी पार्टी ही उन्हें हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई तब उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. हालांकि, उस वक्त भारतीय जनता पार्टी ने उनकी मदद की.
बीजेपी ने मदद देकर संध्या यादव का विश्वास जीता, जिसके बाद अब संध्या यादव औपचारिक रूप से अपने पति के साथ बीजेपी में हैं. हालांकि अपनी भतीजी का इस तरह से बीजेपी में जाना मुलायम परिवार को रास नहीं आया और अपनी राजनीतिक साख बचाने के लिए उन्हें जनता के बीच आकर कहना पड़ा कि संध्या यादव और उनके पति से इस परिवार का कोई रिश्ता नहीं है.
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