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पंडरिया के डोंगरिया जलेश्वर महादेव घाट पर कांवरियों की भीड़, चट्टानों पर प्रकट हुए थे जलेश्वर महादेव - Jaleshwar Mahadev Ghat

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 30, 2024, 2:20 PM IST

SAWAN SOMWAR 2024 सावन माह शुरू होते ही पंडरिया के डोंगरिया जलेश्वर महादेव के दर्शन करने कांवरियों की भीड़ उमड़ने लगी है. दूर दूर से श्रद्धालु और कांवरिए महादेव के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. DONGARIA JALESHWAR MAHADEV GHAT

Jaleshwar Mahadev Ghat
जलेश्वर महादेव घाट पर कांवरियों की भीड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

पंडरिया: सावन महीने में जलेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों और कांवरियों की भीड़ लगी हुई है. अमरकंटक के नर्मदा नदी से जल लेकर 130 किलोमीटर पैदल यात्रा कर कांवरिये जलेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. जलेश्वर के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु और कांवरिए कवर्धा में बूढ़ादेव के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

जलेश्वर महादेव घाट में कांवरियों की भीड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

नर्मदा के जल से जलेश्वर महादेव का करते हैं जलाभिषेक: कांवरिया नूतन शर्मा ने बताया कि 8 साल से लगातार वह जलेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर रहे हैं. अमरकंटक से जल लेकर संकल्प कर डोंगरिया के जलेश्वर महादेव और कवर्धा के बूढ़ा महादेव के दरबार पहुंचते हैं. अमरकंटक से पैदल यात्रा कर आने पर कांवड़ियों को कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है लेकिन बाबा के दर्शन करने के बाद सारी परेशानी और बाधाएं दूर हो जाती है. बाबा सभी की मनोकामना पूरी करते हैं.

Jaleshwar Mahadev Ghat
जलेश्वर महादेव घाट पर कांवरियों की भीड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

सावन के महीने में शिव पूरी करते हैं हर मनोकामना: श्रद्धालु तुकाराम चंद्रवंशी ने बताया जलेश्वर महादेव घाट में अमरकंटक के नर्मदा से जल लाकर जलाभिषेक किया जाता है. जिससे श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. सावन में हर साल हजारों श्रद्धालु और कांवरिए जलेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंचते हैं. कई श्रद्धालु कांवरियों के लिए प्रसाद और लंगर की व्यवस्था भी करते हैं.

कांवरियों और श्रद्धालुओं के लिए भंडारा की व्यवस्था: जलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी ने बताया नर्मदा से जल लेकर कांवरिए हर साल जलेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करने पहुंचे हैं. श्रद्धालु पहले जलेश्वर महादेव की पूजा के बाद कवर्धा में बूढ़ा महादेव के दर्शन करते हैं. पिछले तीन साल से कांवरियों के लिए भंडारा की व्यवस्था की गई है.

जलेश्वर महादेव की महिमा: मान्यता है कि लगभग 100 साल पहले नदी के उद्गम में चट्टानों पर जलेश्वर महादेव की आकृति उत्पन्न हुई थी. तभी से यहां आसपास के लोगों ने पूजा पाठ शुरू किया. कुछ ही दिनों में जलेश्वर महादेव की ख्याति फैलती गई. अब आसपास के कई जिलों और दूसरे प्रदेश लोग महादेव के दर्शन करने डोंगरिया पहुंचते हैं. माघ पूर्णिमा में तीन दिन लगता है. कहा जाता है कि यहां आकर दर्शन करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है.

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पंडरिया: सावन महीने में जलेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों और कांवरियों की भीड़ लगी हुई है. अमरकंटक के नर्मदा नदी से जल लेकर 130 किलोमीटर पैदल यात्रा कर कांवरिये जलेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. जलेश्वर के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु और कांवरिए कवर्धा में बूढ़ादेव के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

जलेश्वर महादेव घाट में कांवरियों की भीड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

नर्मदा के जल से जलेश्वर महादेव का करते हैं जलाभिषेक: कांवरिया नूतन शर्मा ने बताया कि 8 साल से लगातार वह जलेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर रहे हैं. अमरकंटक से जल लेकर संकल्प कर डोंगरिया के जलेश्वर महादेव और कवर्धा के बूढ़ा महादेव के दरबार पहुंचते हैं. अमरकंटक से पैदल यात्रा कर आने पर कांवड़ियों को कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है लेकिन बाबा के दर्शन करने के बाद सारी परेशानी और बाधाएं दूर हो जाती है. बाबा सभी की मनोकामना पूरी करते हैं.

Jaleshwar Mahadev Ghat
जलेश्वर महादेव घाट पर कांवरियों की भीड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

सावन के महीने में शिव पूरी करते हैं हर मनोकामना: श्रद्धालु तुकाराम चंद्रवंशी ने बताया जलेश्वर महादेव घाट में अमरकंटक के नर्मदा से जल लाकर जलाभिषेक किया जाता है. जिससे श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. सावन में हर साल हजारों श्रद्धालु और कांवरिए जलेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंचते हैं. कई श्रद्धालु कांवरियों के लिए प्रसाद और लंगर की व्यवस्था भी करते हैं.

कांवरियों और श्रद्धालुओं के लिए भंडारा की व्यवस्था: जलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी ने बताया नर्मदा से जल लेकर कांवरिए हर साल जलेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करने पहुंचे हैं. श्रद्धालु पहले जलेश्वर महादेव की पूजा के बाद कवर्धा में बूढ़ा महादेव के दर्शन करते हैं. पिछले तीन साल से कांवरियों के लिए भंडारा की व्यवस्था की गई है.

जलेश्वर महादेव की महिमा: मान्यता है कि लगभग 100 साल पहले नदी के उद्गम में चट्टानों पर जलेश्वर महादेव की आकृति उत्पन्न हुई थी. तभी से यहां आसपास के लोगों ने पूजा पाठ शुरू किया. कुछ ही दिनों में जलेश्वर महादेव की ख्याति फैलती गई. अब आसपास के कई जिलों और दूसरे प्रदेश लोग महादेव के दर्शन करने डोंगरिया पहुंचते हैं. माघ पूर्णिमा में तीन दिन लगता है. कहा जाता है कि यहां आकर दर्शन करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है.

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