भिवानी: हरियाणा के भिवानी में सतयुग के श्रवण कुमार की झलक देखने को मिली. जहां दो बेटों ने श्रवण कुमार बनकर अपने माता-पिता को हरिद्वार से कांवड़ में बैठाकर घर तक पहुंचाया. ऐसे में जिला प्रशासन ने इन दोनों बेटों का जोरदार स्वागत किया. आज के समय में बहुत कुछ बदल गया है. सुविधाओं के साथ लोगों का जीवन भी बदल चुका है. लेकिन इस समय में माता-पिता की कद्र कम हुई है. कलयुग में इसका सबसे बड़ा उदाहरण है वृद्धाश्रम.
रोजाना तय किया 10 घंटे का सफर: भिवानी में ढाणी माहू गांव के दो युवकों ने कलयुग के 'श्रवण कुमार' बनकर दिखाया है. जो अपने माता-पिता को सावन माह में हरिद्वार से सन्नान करवाकर अपने कंधों पर कांवड़ में बैठाकर अपने गांव लाए हैं. गांव पहुंचने पर एसडीएम मनोज दलला ने दोनों बेटों और माता-पिता को सम्मानित किया है. अपने माता-पिता को कांवड़ में लेकर आने वाले युवक अशोक ने बताया कि वो 10 जुलाई को हरिद्वार से चले थे और हर रोज 10 घंटे 22-23 किलोमीटर की दूरी तय करते थे.
मां को अपने बेटों पर है गर्व: उन्होंने बताया कि जब हम माता-पिता की सेवा करेंगे तभी भगवान भी साथ देगा. अपने माता-पिता को लाते समय तय किया कि अगले साल से वो बिना बच्चों के बुजुर्गों को ऐसे ही हरिद्वार स्नान करवाकर कांवड़ में लाया करेंगे. अपने बेटे द्वारा ऐसा सम्मान पाकर उनकी माता राजबाला बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि भगवान ऐसे बेटे हर मां को दे.
एसडीएम ने किया स्वागत: वहीं, अशोक व उसके भाई तथा उनके माता-पिता का गांव पहुंचने पर एसडीएम मनोज दलाल ने कहा कि ये सतयुवग व इतिहास की पुनरावर्ती हुई है. हर मां-बाप को अपने बच्चों को ऐसे संस्कार देने चाहिए. उन्होंने कहा कि वो यहां अधिकारी की बजाय अपनी संस्कृति से प्रेरित होकर हिंदू के रूप में आए हैं. साथ ही कहा कि माता-पिता और शिक्षक भगवान का रूप होते हैं. वहीं, अपने बच्चों व शिष्यों की तरकी चाहते हैं.
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