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50 साल का कानपुर जू: चिंपैंजी छज्जू था सेलिब्रिटी, 14 लोगों को खाने वाले बाघ व शराबी बंदर ने खूब काटा उत्पात, आरिफ का दोस्त सारस भी यहीं पल रहा - कानपुर जू न्यूज

कानपुर प्राणि उद्यान आज 50 साल का हो गया है. इस दौरान जू ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 4, 2024, 10:33 AM IST

जू निदेशक ने दी यह जानकारी.

कानपुर: बधाई हो, अपना कानपुर जू 50 सालों का हो गया है.... जू की इस हरियाली और यहां मौजूद शेर, तेंदुआ, जेब्रा, बाघ समेत जो अन्य वन्यजीव और पक्षी हैं उनकी चर्चा जहां विदेशों तक होती है वहीं यह हजारों दर्शकों का रोजाना दिल जीतते हैं. शहर के नवाबगंज थाना क्षेत्र स्थित कानपुर जू को उप्र का पहला शासकीय जू कहा जाता है, और यहां से देशभर के तमाम चिड़ियाघरों को वन्यजीव भेजे जाते रहे हैं.

22 अक्टूबर 1985 को यहां जिस चिम्पैंजी छज्जू ने जन्म लिया था, वह तो जू की शान रहा है और 1975 में जब चिड़ियाघर में हॉलैंड से जिराफ आया था तो कानपुर सेंट्रल से लेकर चिड़ियाघर तक बिजली के तारों को हटाया गया. कुछ ऐसे ही रोचक वाकये हैं, जो कानपुर जू से अनंत समय के लिए जुड़े रहेंगे. इनकी चर्चा कानपुर के लाखों लोग हमेशा करते हैं और करते रहेंगे. चार फरवरी को कानपुर जू के 50 साल पूरे होने पर 6 से सात वह निदेशक मौजूद रहेंगे, जो कभी इस चिड़ियाघर से जुड़े रहे. साथ ही राज्यमंत्री केपी मलिक भी इस खास मौके पर जू आएंगे. इस जू में ही आरिफ के दोस्त सारस को भी रखा गया है.

जू के 50 साल पूरे होने पर ईटीवी भारत संवाददाता ने जू निदेशक केके सिंह से खास बात की। उन्होंने बताया, कि जू में पहला वन्यजीव उदबिलाव आया था। जबकि 1974 में जब जू बना तब 70 प्रजातियों के करीब 650 वन्यजीव और पक्षी यहां थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 1000 से अधिक हो चुकी है। निदेशक केके सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा, कि हमारे पास 25 से अधिक तेंदुआ हैं, जो शायद पूरे देश में किसी जू में भी नहीं है। कानपुर जू सूबे का एकमात्र जू है, जिसे अब तक तीन आईएसओ सर्टिफिकेट मिल चुके हैं।

अस्पातल में शराबी बंदर को लोग जरूर देखते: जो लोग कानपुर जू घूमने आते हैं, उन्हें यह बखूबी मालूम है कि यहां एक ऐसा बाघ प्रशांत मौजूद है, जिसने 14 लोगों को मारा. यही नहीं, अस्पताल तक दर्शकों को खींच कर लाने वाला शराबी बंदर भी कानपुर जू में रहते हुए खूब सुर्खियां बटोर चुका है. अपने नाम से मशहूर ऐश्वर्या ऐसी मादा जेब्रा है, जो देखने में बेहद खूबसूरत है तो वहीं तेंदुआ जग्गू तीन लोगों की जान ले चुका है. बब्बर शेरों का कुनबा लगातार कानपुर जू में बढ़ा है. इसके अलावा, सालों से जू आने वालों को चिम्पैंजी छज्जू का सीटी बजाना और सलाम ठोंकना भी कभी नहीं भूलता है.

2014 में चली थी टॉय ट्रेन- कानपुर जू में साल 2014 में पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने लाखों रुपये खर्च करके टॉय ट्रेन इसलिए चलवा दी थी कि क्योंकि कानपुर व आसपास के अन्य शहरों में जू की लोकप्रियता बहुत अधिक थी मगर, करीब दो सालों पहले हुए एक हादसे के बाद से ट्रेन स्टेशन पर ही खड़ी है.



एक नजर

  • कानपुर जू में झील का कुल क्षेत्रफल: 18.35 हेक्टेयर
  • कानपुर जू में वन्यजीवों की कुल प्रजातियां: 82
  • कानपुर जू का कुल क्षेत्रफल: 76.56 हेक्टेयर
  • जू के निर्माण के दौरान कुल राशि खर्च हुई थी: करीब 42.5 लाख रुपये

वन्य जीवों की संख्या
बब्बर शेर: 04
बाघ: 09
सफेद बाघ: 02
तेंदुए: 25
दरियाई घोड़ा: 05
हिरण की प्रजातियां: 10
गैंडा: 03
हिमालयन भालू: 03
देसी भालू: 01
जेब्रा: 01
मगरमच्छ: 100 से अधिक
बंदरों की प्रजातियां: 03
घड़ियाल: 03



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जू निदेशक ने दी यह जानकारी.

कानपुर: बधाई हो, अपना कानपुर जू 50 सालों का हो गया है.... जू की इस हरियाली और यहां मौजूद शेर, तेंदुआ, जेब्रा, बाघ समेत जो अन्य वन्यजीव और पक्षी हैं उनकी चर्चा जहां विदेशों तक होती है वहीं यह हजारों दर्शकों का रोजाना दिल जीतते हैं. शहर के नवाबगंज थाना क्षेत्र स्थित कानपुर जू को उप्र का पहला शासकीय जू कहा जाता है, और यहां से देशभर के तमाम चिड़ियाघरों को वन्यजीव भेजे जाते रहे हैं.

22 अक्टूबर 1985 को यहां जिस चिम्पैंजी छज्जू ने जन्म लिया था, वह तो जू की शान रहा है और 1975 में जब चिड़ियाघर में हॉलैंड से जिराफ आया था तो कानपुर सेंट्रल से लेकर चिड़ियाघर तक बिजली के तारों को हटाया गया. कुछ ऐसे ही रोचक वाकये हैं, जो कानपुर जू से अनंत समय के लिए जुड़े रहेंगे. इनकी चर्चा कानपुर के लाखों लोग हमेशा करते हैं और करते रहेंगे. चार फरवरी को कानपुर जू के 50 साल पूरे होने पर 6 से सात वह निदेशक मौजूद रहेंगे, जो कभी इस चिड़ियाघर से जुड़े रहे. साथ ही राज्यमंत्री केपी मलिक भी इस खास मौके पर जू आएंगे. इस जू में ही आरिफ के दोस्त सारस को भी रखा गया है.

जू के 50 साल पूरे होने पर ईटीवी भारत संवाददाता ने जू निदेशक केके सिंह से खास बात की। उन्होंने बताया, कि जू में पहला वन्यजीव उदबिलाव आया था। जबकि 1974 में जब जू बना तब 70 प्रजातियों के करीब 650 वन्यजीव और पक्षी यहां थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 1000 से अधिक हो चुकी है। निदेशक केके सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा, कि हमारे पास 25 से अधिक तेंदुआ हैं, जो शायद पूरे देश में किसी जू में भी नहीं है। कानपुर जू सूबे का एकमात्र जू है, जिसे अब तक तीन आईएसओ सर्टिफिकेट मिल चुके हैं।

अस्पातल में शराबी बंदर को लोग जरूर देखते: जो लोग कानपुर जू घूमने आते हैं, उन्हें यह बखूबी मालूम है कि यहां एक ऐसा बाघ प्रशांत मौजूद है, जिसने 14 लोगों को मारा. यही नहीं, अस्पताल तक दर्शकों को खींच कर लाने वाला शराबी बंदर भी कानपुर जू में रहते हुए खूब सुर्खियां बटोर चुका है. अपने नाम से मशहूर ऐश्वर्या ऐसी मादा जेब्रा है, जो देखने में बेहद खूबसूरत है तो वहीं तेंदुआ जग्गू तीन लोगों की जान ले चुका है. बब्बर शेरों का कुनबा लगातार कानपुर जू में बढ़ा है. इसके अलावा, सालों से जू आने वालों को चिम्पैंजी छज्जू का सीटी बजाना और सलाम ठोंकना भी कभी नहीं भूलता है.

2014 में चली थी टॉय ट्रेन- कानपुर जू में साल 2014 में पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने लाखों रुपये खर्च करके टॉय ट्रेन इसलिए चलवा दी थी कि क्योंकि कानपुर व आसपास के अन्य शहरों में जू की लोकप्रियता बहुत अधिक थी मगर, करीब दो सालों पहले हुए एक हादसे के बाद से ट्रेन स्टेशन पर ही खड़ी है.



एक नजर

  • कानपुर जू में झील का कुल क्षेत्रफल: 18.35 हेक्टेयर
  • कानपुर जू में वन्यजीवों की कुल प्रजातियां: 82
  • कानपुर जू का कुल क्षेत्रफल: 76.56 हेक्टेयर
  • जू के निर्माण के दौरान कुल राशि खर्च हुई थी: करीब 42.5 लाख रुपये

वन्य जीवों की संख्या
बब्बर शेर: 04
बाघ: 09
सफेद बाघ: 02
तेंदुए: 25
दरियाई घोड़ा: 05
हिरण की प्रजातियां: 10
गैंडा: 03
हिमालयन भालू: 03
देसी भालू: 01
जेब्रा: 01
मगरमच्छ: 100 से अधिक
बंदरों की प्रजातियां: 03
घड़ियाल: 03



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