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200 वर्ष पुराना है कानपुर का यह शिव मंदिर, शिवलिंग स्थापना की ये है मान्यता - Pataleshwar Mahadevan Temple

कानपुर का एक ऐसा शिवालय है, जो करीब 200 साल पुराना है. ऐसा कहा जाता है कि महादेव के इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को सबसे पहले एक घास काटने वाले ने देखा था. जो भी शिव भक्त यहां आकर विधि विधान से पूजा अर्चना करता है. बाबा भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं.

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200 वर्ष पुराना है कानपुर का यह शिव मंदिर (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 5, 2024, 11:01 AM IST

कानपुर: सावन मास के इस पावन पर्व पर देश भर के सभी शिवालियों को भव्य रूप से सजा दिया गया है. इन सभी शिवालियों में शिव भक्त बड़ी संख्या में बाबा का जल अभिषेक करने के लिए पहुंच रहे हैं. कानपुर शहर में भी बाबा भोलेनाथ के कई ऐसे तीर्थ स्थल हैं, जिनकी कोई न कोई विशेष मान्यता जरूर है. यहां हजारो शिव भक्त सावन मास में मुरादे लेकर पहुंचते हैं.आज हम आपको एक ऐसे ही प्राचीन शिवालय के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकी करीब 200 वर्ष पुराना है. इस मंदिर को बाबा पातालेश्वर महादेवन मंदिर के नाम से जाना जाता है.

200 वर्ष पुराना है कानपुर का यह शिव मंदिर, पुजारी और मंदिर कमेटी सदस्यों ने दी जानकारी (video credit- etv bharat)

इस प्राचीन मंदिर का दृश्य शिव भक्तों को अपनी और बेहद आकर्षित करता है. यहां पर काफी दूर दराज से शिव भक्त सावन के सोमवार के अलावा अन्य सोमवार में भी जल अभिषेक करने के लिए आते हैं. ऐसा कहा जाता है, कि जो भी शिव भक्त यहां आकर बाबा पातालेश्वर की विधि विधान से पूजा अर्चना और श्रृंगार करता है. बाबा भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं.

आईए जानते हैं क्या है इस मंदिर का इतिहास: ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी अंकित पांडे ने बताया कि, बाबा पातालेश्वर महादेवन मंदिर में स्थापित शिवलिंग को सबसे पहले एक घास काटने वाले ने देखा था. बाबा भोलेनाथ ने इसके बाद उसे स्वप्नन में मंदिर की स्थापना करने को कहा था. इसके बाद उसने समस्त गांव वालों के साथ मिलकर इस मंदिर का निर्माण शुरू कराया था. कहा जाता है, कि यह शिवलिंग काफी खुदाई करने के बाद निकली थी. इसलिए इसे पातालेश्वर महादेवन मंदिर के नाम से जाना जाता है.उन्होंने बताया कि,सावन मास और महाशिवरात्रि में बाबा भोलेनाथ का भव्य रूप से श्रृंगार किया जाता है.

इसे भी पढ़े-महाभारत काल से जुड़ा कानपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास, मान्यता- दानवीर कर्ण करने आते थे यहां पूजा - Kanpur Anandeshwar temple

इस बार मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा शिव भक्तों की सुरक्षा को लेकर बेहद अच्छे इंतजाम किए गए हैं. ताकि किसी भी शिव भक्त को कोई समस्या न हो सके. अंकित पांडे ने बताया, कि सावन मास के सोमवार में करीब ढाई से 3 लाख शिव भक्त यहां पर बाबा के दर्शन और उनके जल अभिषेक करने के लिए आते हैं. बाबा भोलेनाथ उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. इसके साथ ही बाबा पर श्रावण मास में बेलपत्र और पुष्प अर्पित करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

मंदिर की प्राचीनता भक्तों को करती है आकर्षित: ईटीवी भारत संवाददाता से मंदिर कमेटी के सदस्य जय शुक्ला ने बताया कि,श्रावण मास व महाशिवरात्रि के अतिरिक्त प्रत्येक सोमवार को भी मंदिर में बड़ी संख्या में शिव भक्त जलाभिषेक करने के लिए यहाँ आते हैं. जय शुक्ला ने बताया कि, मंदिर प्रांगण में कई तरह के पेड़-पौधे और और तालाब भी स्थापित है. दिन तो दिन यहां पर रात में भी रिमझिम लाइटों के बीच मंदिर का एक मनोहर और अलौकिक दृश्य देखने को मिलता है. जोकि हर शिवभक्त को अपनी ओर काफी ज्यादा आकर्षित करता है.सावन मास में यहां पर कानपुर शहर ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों से भी लोग बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं.

इस बार श्रावण मास में आने वाले शिव भक्तों को किसी भी तरह की कोई समस्या न हो सके इसको देखते हुए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा काफी खास इंतजाम किए गए हैं. सुरक्षा व्यवस्था की बात की जाए तो यहां पर महिलाओं और पुरुषों की लाइनों की अलग-अलग व्यवस्था की गई है. सभी शिव भक्तों को बारी-बारी से दर्शन करने का लाभ प्राप्त हो रहा है. पूरे मंदिर प्रंगरण को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया गया है. ताकि शिव भक्तों को किसी भी तरह की कोई समस्या न हो सके. जय शुक्ला ने बताया कि,जो भी शिव भक्त सच्चे मन से बाबा का जल अभिषेक करता है.उसके मन को काफी ज्यादा शांति मिलती है और बाबा पातालेश्वर उसकी सभी इच्छा को पूरी करते हैं. इस मंदिर में बाबा पातालेश्वर के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं के भी श्रद्धालुओं को दर्शन होते हैं.

यह भी पढ़े-आगरा का ये अनूठा शिव मंदिर, दिन में 3 बार रंग बदलता है शिवलिंग, जानिए- क्या है रहस्य - Rajeshwar Mahadev Temple in agra

कानपुर: सावन मास के इस पावन पर्व पर देश भर के सभी शिवालियों को भव्य रूप से सजा दिया गया है. इन सभी शिवालियों में शिव भक्त बड़ी संख्या में बाबा का जल अभिषेक करने के लिए पहुंच रहे हैं. कानपुर शहर में भी बाबा भोलेनाथ के कई ऐसे तीर्थ स्थल हैं, जिनकी कोई न कोई विशेष मान्यता जरूर है. यहां हजारो शिव भक्त सावन मास में मुरादे लेकर पहुंचते हैं.आज हम आपको एक ऐसे ही प्राचीन शिवालय के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकी करीब 200 वर्ष पुराना है. इस मंदिर को बाबा पातालेश्वर महादेवन मंदिर के नाम से जाना जाता है.

200 वर्ष पुराना है कानपुर का यह शिव मंदिर, पुजारी और मंदिर कमेटी सदस्यों ने दी जानकारी (video credit- etv bharat)

इस प्राचीन मंदिर का दृश्य शिव भक्तों को अपनी और बेहद आकर्षित करता है. यहां पर काफी दूर दराज से शिव भक्त सावन के सोमवार के अलावा अन्य सोमवार में भी जल अभिषेक करने के लिए आते हैं. ऐसा कहा जाता है, कि जो भी शिव भक्त यहां आकर बाबा पातालेश्वर की विधि विधान से पूजा अर्चना और श्रृंगार करता है. बाबा भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं.

आईए जानते हैं क्या है इस मंदिर का इतिहास: ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी अंकित पांडे ने बताया कि, बाबा पातालेश्वर महादेवन मंदिर में स्थापित शिवलिंग को सबसे पहले एक घास काटने वाले ने देखा था. बाबा भोलेनाथ ने इसके बाद उसे स्वप्नन में मंदिर की स्थापना करने को कहा था. इसके बाद उसने समस्त गांव वालों के साथ मिलकर इस मंदिर का निर्माण शुरू कराया था. कहा जाता है, कि यह शिवलिंग काफी खुदाई करने के बाद निकली थी. इसलिए इसे पातालेश्वर महादेवन मंदिर के नाम से जाना जाता है.उन्होंने बताया कि,सावन मास और महाशिवरात्रि में बाबा भोलेनाथ का भव्य रूप से श्रृंगार किया जाता है.

इसे भी पढ़े-महाभारत काल से जुड़ा कानपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास, मान्यता- दानवीर कर्ण करने आते थे यहां पूजा - Kanpur Anandeshwar temple

इस बार मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा शिव भक्तों की सुरक्षा को लेकर बेहद अच्छे इंतजाम किए गए हैं. ताकि किसी भी शिव भक्त को कोई समस्या न हो सके. अंकित पांडे ने बताया, कि सावन मास के सोमवार में करीब ढाई से 3 लाख शिव भक्त यहां पर बाबा के दर्शन और उनके जल अभिषेक करने के लिए आते हैं. बाबा भोलेनाथ उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. इसके साथ ही बाबा पर श्रावण मास में बेलपत्र और पुष्प अर्पित करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

मंदिर की प्राचीनता भक्तों को करती है आकर्षित: ईटीवी भारत संवाददाता से मंदिर कमेटी के सदस्य जय शुक्ला ने बताया कि,श्रावण मास व महाशिवरात्रि के अतिरिक्त प्रत्येक सोमवार को भी मंदिर में बड़ी संख्या में शिव भक्त जलाभिषेक करने के लिए यहाँ आते हैं. जय शुक्ला ने बताया कि, मंदिर प्रांगण में कई तरह के पेड़-पौधे और और तालाब भी स्थापित है. दिन तो दिन यहां पर रात में भी रिमझिम लाइटों के बीच मंदिर का एक मनोहर और अलौकिक दृश्य देखने को मिलता है. जोकि हर शिवभक्त को अपनी ओर काफी ज्यादा आकर्षित करता है.सावन मास में यहां पर कानपुर शहर ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों से भी लोग बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं.

इस बार श्रावण मास में आने वाले शिव भक्तों को किसी भी तरह की कोई समस्या न हो सके इसको देखते हुए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा काफी खास इंतजाम किए गए हैं. सुरक्षा व्यवस्था की बात की जाए तो यहां पर महिलाओं और पुरुषों की लाइनों की अलग-अलग व्यवस्था की गई है. सभी शिव भक्तों को बारी-बारी से दर्शन करने का लाभ प्राप्त हो रहा है. पूरे मंदिर प्रंगरण को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया गया है. ताकि शिव भक्तों को किसी भी तरह की कोई समस्या न हो सके. जय शुक्ला ने बताया कि,जो भी शिव भक्त सच्चे मन से बाबा का जल अभिषेक करता है.उसके मन को काफी ज्यादा शांति मिलती है और बाबा पातालेश्वर उसकी सभी इच्छा को पूरी करते हैं. इस मंदिर में बाबा पातालेश्वर के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं के भी श्रद्धालुओं को दर्शन होते हैं.

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