कानपुर : श्री लाडली जी महारानी राधा रानी के जन्मोत्सव को उल्लास मथुरा की तरह कानपुर के इस्कॉन मंदिर में भी देखने को मिला. राधा रानी के जन्मोत्सव पर पूरा मंदिर प्रांगण वृंदावन के निकुंज जैसा सजाया गया. इस दौरान दिनभर श्री राधे श्री राधे के जयकारे से गूंज उठती रही. दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने लाडली जी के दर्शन किए और उन्हें पुष्प अर्पित कर कृपा प्राप्त की.
रत्नजड़ित पोशाक और सुगंधित पुष्पों से हुआ श्री राधारानी का शृंगार : राधा जन्मोत्सव को लेकर कानपुर के इस्कॉन मंदिर में बुधवार सुबह से ही तैयारी शुरू हो गई थी. प्रातः 4:30 बजे मंगला आरती के बाद उत्सव का आयोजन हुआ. मंदिर प्रांगण को रंगी बिरंगी लाइटों और विशेष प्रकार के फूलों से सजाया गया. वहीं, श्री लाडली जी महारानी राधा रानी को रतन जड़ित पोशाक, सुगंधित पुष्पों एवं विशेष अलंकारों से सुसज्जित किया गया. श्री कृष्ण और श्री राधा रानी के इस भव्य स्वरूप की झलक पाने के लिए श्रद्धालु व्याकुल नजर आए. आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में इस्कॉन पंजाबी बाग दिल्ली से आए श्री रुक्मणी कृष्ण प्रभु जी ने श्री राधा रानी की विशेष कथा भी सुनाई.
श्री रुक्मणि कृष्णा प्रभु जी ने बताया कि राधा रानी आदिशक्ति हैं. वे भगवान श्री कृष्ण की आनंद प्रदानी शक्ति एवं उनकी नित्य संगिनी हैं. श्री राधा रानी की कृपा से ही श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है. उन्होंने बताया कि श्री लाडली महारानी राधा रानी की किसी सामान्य स्त्री से तुलना नहीं की जा सकती. जिस तरह से सूर्य व सूर्य की किरण कभी पृथक नहीं होते ठीक उसी प्रकार से पूर्ण शक्तिमान भगवान श्री कृष्णा अपनी शक्ति श्री राधा रानी से कभी पृथक नहीं होते हैं.
108 चांदी के कालसन से हुआ श्री राधा रानी का दिव्य अभिषेक : राधा अष्टमी के इस शुभ अवसर पर भगवान के गर्भ ग्रह को सुगंधित पुष्पों एवं फलों से इस प्रकार से सजाया गया, मानो जैसे वृंदावन का निकुंज हो. वहीं 11 बजे श्री राधा माधव का सुंदर 108 चांदी के कलशों के द्वारा दिव्य अभिषेक किया गया. इस बीच पूरा मंदिर प्रंगरण राधे जय जय माधव दायिते, राधा रानी की जय महारानी की जय जैसे कई अन्य वैष्णव गीतों से संगीतमय हो उठा. संध्या काल में 4 बजे महाकाल की यात्रा भी निकाली गई. जिसमें हरे कृष्ण महामंत्र के मधुर कीर्तन द्वारा श्री राधा रानी से भक्तों ने प्रार्थना की. आयोजन के अंत में सभी को कृष्ण प्रसाद भी वितरित किया गया.