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कांकेर लोकसभा सीट का किस्सा, अरविंद नेताम और सोहन पोटाई का रहा युग लेकिन नहीं बना पाए थर्ड फ्रंट - Lok sabha Election 2024

देश में तीसरे आम चुनाव के बाद यानी 1967 में कांकेर लोकसभा अस्तित्व में आई. कांकेर में अब तक 14 बार चुनाव हो चुके हैं. साल 2024 में 15वां चुनाव हो रहा है. कांकेर लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है.

KANKER LOK SABHA ELECTION 2024
कांकेर लोकसभा सीट
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 15, 2024, 5:13 PM IST

Updated : Apr 15, 2024, 7:02 PM IST

कांकेर: कांकेर लोकसभा सीट अनूसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को कांकेर लोकसभा सीट से उतारा है. भाजपा से भोजराज नाग चुनावी मैदान में हैं. अब तक कांकेर लोकसभा सीट पर 14 चुनाव हुए हैं. इसमें भाजपा-कांग्रेस ने 6-6 बार यह सीट जीती है. दो चुनाव में भारतीय जनसंघ और भारतीय लोक दल पार्टी का सांसद बना. हालांकि दोनों ही पार्टी का बाद में भाजपा में ही विलय हो गया.

कांकेर सीट पर 1971 से शुरू हुआ अरविंद नेताम का युग: 1971 से अगले 30 साल तक कांकेर की राजनीति में अरविंद नेताम युग रहा. कांकेर लोकसभा सीट की पूरी राजनीति अरविंद नेताम के इर्द गिर्द घुमती रही. 1977 में जनता लहर को छोड़ कर शेष सभी चुनाव 1971, 1980, 1984, 1989, 1991 में अरविंद नेताम जीते.

अरविंद नेताम की पत्नी ने भी जीता चुनाव: मालिक मकबूजा कांड में नाम आने के बाद 1996 में अरविंद नेताम ने अपनी पत्नी छबिला नेताम को मैदान में उतारा और वो भी चुनाव जीत गईं. पांच बार खुद और एक बार पत्नी के सांसद चुने जाने के बाद 1998 में अरविंद नेताम कांग्रेस का दामन छोड़ बहुजन समाज पार्टी में चले गए.

जब अरविंद नेताम की जमानत जब्त हुई: अरविंद नेताम और कांकेर सीट एक दूसरे के पर्याय बन गए थे लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब उन्होंने 1998 में बसपा से चुनाव लड़ा. चुनाव जीतना तो दूर अरविंद नेताम को सिर्फ 39 हजार 622 वोट पाए और उनकी जमानत भी जप्त हो गई.

1998 से शुरू हुआ सोहन पोटाई का दौर, 4 बार जीते: अरविंद नेताम के बाद कांकेर में भाजपा के सोहन पोटाई का दौर शुरू हुआ. 1998 के बाद 1999, 2004 और 2009 में वे लगातार चार बार चुनाव जीते और सांसद बने.

2014 में सोहन पोटाई की टिकट कटी: साल 2014 में भाजपा ने कांकेर लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे सोहन पोटाई की टिकट काट दी. इसके बाद सोहन पोटाई ने कांग्रेस के दिग्गज रह चुके अरविंद नेताम के साथ एक मंच पर आकर तीसरा मोर्चा तैयार करने के लिए पूरी ताकत लगाई. लोकसभा में निर्दलीय प्रत्याशी भी उतारे, लेकिन तीसरा मोर्चा बनना तो दूर जमानत तक नहीं बचा पाए. कांकेर लोकसभा में दोनों दिग्गजों का दौर अब समाप्त हो चुका है. सोहन पोटाई की 1 साल पहले मृत्यु हो चुकी है.

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कांकेर: कांकेर लोकसभा सीट अनूसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को कांकेर लोकसभा सीट से उतारा है. भाजपा से भोजराज नाग चुनावी मैदान में हैं. अब तक कांकेर लोकसभा सीट पर 14 चुनाव हुए हैं. इसमें भाजपा-कांग्रेस ने 6-6 बार यह सीट जीती है. दो चुनाव में भारतीय जनसंघ और भारतीय लोक दल पार्टी का सांसद बना. हालांकि दोनों ही पार्टी का बाद में भाजपा में ही विलय हो गया.

कांकेर सीट पर 1971 से शुरू हुआ अरविंद नेताम का युग: 1971 से अगले 30 साल तक कांकेर की राजनीति में अरविंद नेताम युग रहा. कांकेर लोकसभा सीट की पूरी राजनीति अरविंद नेताम के इर्द गिर्द घुमती रही. 1977 में जनता लहर को छोड़ कर शेष सभी चुनाव 1971, 1980, 1984, 1989, 1991 में अरविंद नेताम जीते.

अरविंद नेताम की पत्नी ने भी जीता चुनाव: मालिक मकबूजा कांड में नाम आने के बाद 1996 में अरविंद नेताम ने अपनी पत्नी छबिला नेताम को मैदान में उतारा और वो भी चुनाव जीत गईं. पांच बार खुद और एक बार पत्नी के सांसद चुने जाने के बाद 1998 में अरविंद नेताम कांग्रेस का दामन छोड़ बहुजन समाज पार्टी में चले गए.

जब अरविंद नेताम की जमानत जब्त हुई: अरविंद नेताम और कांकेर सीट एक दूसरे के पर्याय बन गए थे लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब उन्होंने 1998 में बसपा से चुनाव लड़ा. चुनाव जीतना तो दूर अरविंद नेताम को सिर्फ 39 हजार 622 वोट पाए और उनकी जमानत भी जप्त हो गई.

1998 से शुरू हुआ सोहन पोटाई का दौर, 4 बार जीते: अरविंद नेताम के बाद कांकेर में भाजपा के सोहन पोटाई का दौर शुरू हुआ. 1998 के बाद 1999, 2004 और 2009 में वे लगातार चार बार चुनाव जीते और सांसद बने.

2014 में सोहन पोटाई की टिकट कटी: साल 2014 में भाजपा ने कांकेर लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे सोहन पोटाई की टिकट काट दी. इसके बाद सोहन पोटाई ने कांग्रेस के दिग्गज रह चुके अरविंद नेताम के साथ एक मंच पर आकर तीसरा मोर्चा तैयार करने के लिए पूरी ताकत लगाई. लोकसभा में निर्दलीय प्रत्याशी भी उतारे, लेकिन तीसरा मोर्चा बनना तो दूर जमानत तक नहीं बचा पाए. कांकेर लोकसभा में दोनों दिग्गजों का दौर अब समाप्त हो चुका है. सोहन पोटाई की 1 साल पहले मृत्यु हो चुकी है.

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Last Updated : Apr 15, 2024, 7:02 PM IST
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