मंडला. कान्हा में बाघ की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, यहां बीमारी के चलते टी-67 बाघ की मौत हो गई. कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha tiger reserve) में एक हफ्ते के अंदर ये बाघ की मौत की ये दूसरी घटना है. इससे पहले रविवार को कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha tiger reserve) के बफर जोन अंतर्गत खापा रेंज में एक नर बाघ की मौत हो गई थी. बाघ की पहचान भैसानघाट के मेल टी-46 के रूप में की गई थी, जिसकी मौत करंट लगने से हुई थी.
आबादी वाले क्षेत्र में आ पहुंचा था टी-67
वन विभाग के मुताबिक कान्हा टाइगर रिजर्व के सिझौरा परिक्षेत्र के ग्राम चंदिया के पास एक नर बाघ की उपस्थिति दर्ज की गई थी. बाघ की पहचान कान्हा के टी-67 के रूप में हुई जो 12 से 13 वर्ष का था. वृद्ध होने की वजह से टाइगर आबादी वाले क्षेत्र में घुस आया जिससे वह मवेशियों का आसान शिकार कर सके. इसके बाद चंदिया गांव के लोगों ने बाघ की सूचना वन विभाग को दी, जिसके बाद रेस्क्यू टीम बनाई गई.
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ऐसे हुई बाघ टी-67 की मौत
रेस्क्यू दल द्वारा क्षेत्र संचालक एस.के. सिंह के नेतृत्व में शारिरिक रूप से कमजोर और बीमार हो चुके बाघ को शीघ्र रेस्क्यू कर उपचार करने की योजना बनाई गई. कान्हा टाइगर रिजर्व के मुक्की परिक्षेत्र में विशेष तौर पर तैयार किए क्वारेन्टाइन हाउस/वन्यप्राणी उपचार चिकित्सालय में बाघ को लाया गया. बाघ की हालत गंभीर थी ऐसे में डॉ. संदीप अग्रवाल की टीम बाघ की लगातार देखरेख कर रही थी. लेकिन दांत प्राकृतिक रूप से गिर जाने के कारण बाघ उपलब्ध कराया जा रहा आहार भी नहीं खा रहा था और उपचार के दौरान ही शुक्रवार को उसकी मौत हो गई. मृत्यु उपरांत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल अनुसार मृत बाघ का क्रियाकर्म किया गया.