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कल छोटी काशी के ताड़केश्वर महादेव मंदिर से होगी कल्याण धणी पदयात्रा की शुरुआत, जानें क्या है तैयारी - Kalyan Dhani Padyatra

Kalyan Dhani Yatra, रविवार को छोटी काशी आस्था और श्रद्धा से सराबोर होगी. यहां कल्याण धणी की 59वीं लक्खी पदयात्रा निकलेगी. इस पदयात्रा में भक्त चौड़ा रास्ता के ताड़केश्वर महादेव मंदिर से रवाना होंगे.

Kalyan Dhani Yatra
ताड़केश्वर महादेव मंदिर से होगी पदयात्रा की शुरुआत (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 10, 2024, 7:48 PM IST

छोटी काशी में कल्याण धणी पदयात्रा (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : छोटी काशी रविवार को आस्था और श्रद्धा से सराबोर होगी. श्रावण शुक्ल पक्ष की छठ को कल्याण धणी की 59वीं लक्खी पदयात्रा रवाना होगी. इस पदयात्रा में भक्त चौड़ा रास्ता के ताड़केश्वर महादेव मंदिर से रवाना होंगे. बैंड बाजे के साथ हाथी पर पचरंगे ध्वज के पीछे-पीछे हजारों श्रद्धालु 24 कोस की यात्रा पूरी कर कल्याण धणी के दरबार में पहुंचेंगे. इससे पहले शहर में पदयात्रा मार्ग पर रोड रिपेयर और चौक सीवर को दुरुस्त किया गया. ताकि किसी भी श्रद्धालु को परेशानी का सामना न करना पड़े.

'बाजै छै नौबत बाजा म्हारा डिग्गीपुरी का राजा' जैसे भजनों की स्वर लहरियां और जुबां पर कल्याण धणी के जयकारे के साथ डिग्गी कल्याण धणी की पदयात्रा निकलेगी. ये पदयात्रा जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर से रवाना होगी. इस लक्खी पदयात्रा में हर साल की तरह ही इस बार भी पदयात्रियों के आस्था का सैलाब शहर की सड़कों पर देखने को मिलेगा. श्री कल्याण डिग्गीपुरी पदयात्रा संघ के तत्वावधान में ये पदयात्रा 72 किलोमीटर दूर टोंक स्थित डिग्गी कल्याण मंदिर पहुंचेगी.

इसे भी पढ़ें - कल्याण धणी के जयकारों से गूंजी छोटी काशी, किसी ने लगाई कनक दंडवत तो कोई नंगे पांव पदयात्रा में शामिल

यात्रा में ग्रामीण और शहरी श्रद्धालु मदरामपुरा, हरसूलिया, फागी और चोसला होकर पांच दिन बाद निज धाम डिग्गी पहुंचेंगे. इस दौरान जगह-जगह पदयात्रियों की ओर से भजन, कीर्तन और सत्संग के कार्यक्रम आयोजित होंगे. वहीं पदयात्रा मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालु स्टॉल्स लगाकर पदयात्रियों की सेवा में जुटेंगे.

लक्खी पदयात्रा संयोजक श्रीजी शर्मा ने बताया कि राजपरिवार की जनानी ड्योढ़ी में खबर नवीस के पद पर कार्यरत चौड़ा रास्ता निवासी रामेश्वरलाल शर्मा के कोई संतान नहीं थी. उन्होंने अपनी बहन के बेटे को गोद लिया, लेकिन उनका भी कोई पुत्र नहीं हुआ. तब उन्होंने कल्याण धनी से पौत्र की मन्नत मांगी. कई साल बाद मन्नत पूरी हुई तो उन्होंने 1965 में जयपुर से डिग्गीपुरी तक 24 कोस की पदयात्रा शुरू की.

इसे भी पढ़ें - छोटी काशी जयपुर से रवाना हुई श्री डिग्गीपुरी कल्याणजी की लक्खी पदयात्रा

शुरुआत में करीब 15-20 लोग कल्याण धणी के दरबार में जाते थे. धीरे-धीरे इस पदयात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होने लगे. उन्होंने बताया कि इस बार 59वीं पदयात्रा रवाना होगी. बारिश के मौसम को देखते हुए प्रशासन से पानी की निकासी और सड़क मार्ग को दुरुस्त करने का आग्रह भी किया है. जिस पर प्रशासन की ओर से काम भी किया जा रहा है.

शहर में चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर से आगे पदयात्रा रामनिवास बाग, मोती डूंगरी गणेश मंदिर से ये यात्रा टोंक रोड सांगानेर होते हुए टोंक स्थित डिग्गी पुरी कल्याण जी मंदिर पहुंचेगी. क्योंकि इस यात्रा में श्रद्धालु दंडवत और नंगे पैर यात्रा में शामिल होते हैं. इसे देखते हुए शनिवार को कुछ स्थानों पर सीवर की शिकायतों का निस्तारण किया गया.

प्रमुख रूप से जयपुर के रामनिवास बाग में सीवर का पानी मुख्य मार्ग पर आ रहा था. जिसे स्थानीय पार्षद और निगम चेयरमैन जितेंद्र श्रीमाली ने निस्तारित कराया. साथ ही कहा कि बारिश का पानी पैरों में आता है तो उससे किसी को दिक्कत नहीं. लेकिन यदि सीवर का पानी पैरों में आएगा, तो ये आस्था का सवाल बन जाता है. इस वजह से हाथों-हाथ इस समस्या का निस्तारण किया गया.

इसे भी पढ़ें - खाटूश्याम मेले में तीसरे दिन उमड़ी भीड़, फूलों से हुआ श्याम बाबा का श्रृंगार

आपको बता दें कि कल्याण धणी के मंदिर को लेकर मान्यता है कि ये मंदिर 10वीं शताब्दी का बना हुआ है. जबकि 1527 में मंदिर का पुर्ननिर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राणा संग्राम सिंह के शासन काल में हुआ था. मंदिर की स्थापना से पहले की कई रोचक कथाएं हैं.

छोटी काशी में कल्याण धणी पदयात्रा (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : छोटी काशी रविवार को आस्था और श्रद्धा से सराबोर होगी. श्रावण शुक्ल पक्ष की छठ को कल्याण धणी की 59वीं लक्खी पदयात्रा रवाना होगी. इस पदयात्रा में भक्त चौड़ा रास्ता के ताड़केश्वर महादेव मंदिर से रवाना होंगे. बैंड बाजे के साथ हाथी पर पचरंगे ध्वज के पीछे-पीछे हजारों श्रद्धालु 24 कोस की यात्रा पूरी कर कल्याण धणी के दरबार में पहुंचेंगे. इससे पहले शहर में पदयात्रा मार्ग पर रोड रिपेयर और चौक सीवर को दुरुस्त किया गया. ताकि किसी भी श्रद्धालु को परेशानी का सामना न करना पड़े.

'बाजै छै नौबत बाजा म्हारा डिग्गीपुरी का राजा' जैसे भजनों की स्वर लहरियां और जुबां पर कल्याण धणी के जयकारे के साथ डिग्गी कल्याण धणी की पदयात्रा निकलेगी. ये पदयात्रा जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर से रवाना होगी. इस लक्खी पदयात्रा में हर साल की तरह ही इस बार भी पदयात्रियों के आस्था का सैलाब शहर की सड़कों पर देखने को मिलेगा. श्री कल्याण डिग्गीपुरी पदयात्रा संघ के तत्वावधान में ये पदयात्रा 72 किलोमीटर दूर टोंक स्थित डिग्गी कल्याण मंदिर पहुंचेगी.

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यात्रा में ग्रामीण और शहरी श्रद्धालु मदरामपुरा, हरसूलिया, फागी और चोसला होकर पांच दिन बाद निज धाम डिग्गी पहुंचेंगे. इस दौरान जगह-जगह पदयात्रियों की ओर से भजन, कीर्तन और सत्संग के कार्यक्रम आयोजित होंगे. वहीं पदयात्रा मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालु स्टॉल्स लगाकर पदयात्रियों की सेवा में जुटेंगे.

लक्खी पदयात्रा संयोजक श्रीजी शर्मा ने बताया कि राजपरिवार की जनानी ड्योढ़ी में खबर नवीस के पद पर कार्यरत चौड़ा रास्ता निवासी रामेश्वरलाल शर्मा के कोई संतान नहीं थी. उन्होंने अपनी बहन के बेटे को गोद लिया, लेकिन उनका भी कोई पुत्र नहीं हुआ. तब उन्होंने कल्याण धनी से पौत्र की मन्नत मांगी. कई साल बाद मन्नत पूरी हुई तो उन्होंने 1965 में जयपुर से डिग्गीपुरी तक 24 कोस की पदयात्रा शुरू की.

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शुरुआत में करीब 15-20 लोग कल्याण धणी के दरबार में जाते थे. धीरे-धीरे इस पदयात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होने लगे. उन्होंने बताया कि इस बार 59वीं पदयात्रा रवाना होगी. बारिश के मौसम को देखते हुए प्रशासन से पानी की निकासी और सड़क मार्ग को दुरुस्त करने का आग्रह भी किया है. जिस पर प्रशासन की ओर से काम भी किया जा रहा है.

शहर में चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर से आगे पदयात्रा रामनिवास बाग, मोती डूंगरी गणेश मंदिर से ये यात्रा टोंक रोड सांगानेर होते हुए टोंक स्थित डिग्गी पुरी कल्याण जी मंदिर पहुंचेगी. क्योंकि इस यात्रा में श्रद्धालु दंडवत और नंगे पैर यात्रा में शामिल होते हैं. इसे देखते हुए शनिवार को कुछ स्थानों पर सीवर की शिकायतों का निस्तारण किया गया.

प्रमुख रूप से जयपुर के रामनिवास बाग में सीवर का पानी मुख्य मार्ग पर आ रहा था. जिसे स्थानीय पार्षद और निगम चेयरमैन जितेंद्र श्रीमाली ने निस्तारित कराया. साथ ही कहा कि बारिश का पानी पैरों में आता है तो उससे किसी को दिक्कत नहीं. लेकिन यदि सीवर का पानी पैरों में आएगा, तो ये आस्था का सवाल बन जाता है. इस वजह से हाथों-हाथ इस समस्या का निस्तारण किया गया.

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आपको बता दें कि कल्याण धणी के मंदिर को लेकर मान्यता है कि ये मंदिर 10वीं शताब्दी का बना हुआ है. जबकि 1527 में मंदिर का पुर्ननिर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राणा संग्राम सिंह के शासन काल में हुआ था. मंदिर की स्थापना से पहले की कई रोचक कथाएं हैं.

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