कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में महादेव बिन नंदी के विराजमान है. यह मंदिर पूरे विश्व में श्रीमद् भागवत गीता उपदेश और महाभारत के युद्ध के लिए जाना जाता है. इसलिए देश-विदेश से लोग यहां मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. कुरुक्षेत्र में स्थित कालेश्वर मंदिर की खास बात ये है कि यह मंदिर महाभारत-रामायण युग से भी प्राचीन बताया जाता है. ये मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान भोलेनाथ बिना नंदी के विराजमान है. माना जाता है कि जो भी शिव भगत यहां पर आकर पूजा-अर्चना करता है और मनोकामना करता है. उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. वहीं, इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से मृत्यु दोष से भी मुक्ति मिल जाती है.
मंदिर का लंकापति रावण से जुड़ा है खास किस्सा: ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए कालेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी राकेश ने बताया कि पौराणिक किदवंत कथाओं के अनुसार कालेश्वर महादेव मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है. वह स्वयंभू शिवलिंग है. जो अपने आप खुद ही प्रकट हुआ था. उन्होंने बताया कि इस मंदिर का प्राचीन इतिहास लंकापति रावण से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि एक समय की बात थी लंकापति रावण अपने उड़न खटोले में सवार होकर कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर से गुजर रहे थे. जैसे ही वह मंदिर के बिल्कुल ऊपर आए तो उनका उड़न खटोला लड़खड़ाया. इसके बाद लंका पति रावण ने सोचा कि ऐसी कौन सी शक्ति यहां पर मौजूद है. जिसने उसके वाहन को भी प्रभावित किया है.
मंदिर में इसलिए नहीं है नंदी: उसके बाद वह नीचे उतर कर आते हैं, तो उनको यहां पर शिवलिंग मिलता है. जहां पर वह भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने लग जाते हैं. लंकापति रावण की तपस्या से प्रभावित होकर भगवान भोलेनाथ प्रकट होते हैं और वह उनसे कुछ वर मांगने की बात कहते हैं. तब लंकापति रावण भगवान महादेव से कहते हैं कि भगवान हमारे वार्तालाप को कोई ना सुने. जो मैं वर मांगना चाहता हूं इसका साक्षी कोई तीसरा ना हो. तब महादेव नंदी महाराज को कैलाश पर्वत पर जाने को कह देते हैं और उस समय महादेव और लंकापति रावण वहां पर दोनों रह जाते हैं. उस समय से ही भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में यहां पर बिना नंदी के विराजमान है. जिसके चलते यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो पूरे विश्व में बिना नंदी महाराज के यहां पर स्थापित है.
मंदिर में मृत्यु दोष से मिलती है मुक्ति: पंडित ने बताया कि जो भी पूजा अर्चना करने के लिए आता है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अगर किसी इंसान की कुंडली में अकाल मृत्यु दोष है, तो वह यहां पर आकर शनिवार और सोमवार के दिन शिवलिंग को जल अर्पित करें. उससे उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती. यह प्रचलन भी इसलिए यहां पर जारी है. क्योंकि लंकापति रावण ने महादेव से काल पर विजय पाने का वरदान मांगा था. इसलिए यहां पर अकाल मृत्यु दोष के लिए भी विशेष तौर पर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है. जिसे उनको अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि यहां पर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से काल को भी मोड सकते हैं. इसी के चलते इस मंदिर का नाम कालेश्वर महादेव मंदिर है.
सरस्वती नदी के तट पर स्थापित है कालेश्वर महादेव मंदिर: मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह भारत के सभी प्राचीन मंदिरों में से एक मंदिर है. जिसका अपने आप में विशेष महत्व है. यह मंदिर कुरुक्षेत्र शहर के उत्तर पश्चिमी छोर पर स्थित है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर सरस्वती नदी के तट पर स्थित है. यहां पर सरस्वती नदी का पानी आता है. मंदिर के साथ ही तालाब भी बनाया गया है जहां पर श्रद्धालु स्नान करते हैं. मंदिर के बारे में शिव भक्ति सागर पुस्तक में लिखा गया है कि कुरुक्षेत्र में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर शिव का शक्तिपीठ. इस मंदिर की स्थापना देवताओं ने सतयुग में की थी. मंदिर के बारे में बताया जाता है कि जो भी श्रद्धालु कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. उनकी कुंडली से कालसर्प दोष दूर हो जाता है. यहां पर विशेष तौर पर पंचामृत से शिवलिंग के स्नान कराए जाते हैं.
मनोकामनाएं होती हैं पूरी: मंदिर के पुजारी ने कहा कि वैसे तो 12 के 12 महीने 365 दिन यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर से महादेव के दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन सावन के महीने में श्रद्धालुओं का यहां पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए जमावड़ा लग जाता है. उन्होंने कहा कि जो भी इंसान सच्ची श्रद्धा के साथ भगवान भोलेनाथ की यहां पर आकर पूजा अर्चना करते हैं और मनोकामना मांगते हैं. उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है. इसलिए यहां पर देश विदेश से श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं. कालेश्वर महादेव मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं. जिसके चलते वह जो भी मनोकामना मांगते हैं, वह पूरी होती है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. सावन के महीने में वह खास तौर पर पूरा सावन यहां पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं.
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