लखनऊ : भारत देश में कलाकारों की कमी नहीं है. कुछ ऐसे भी कलाकार हैं जो कलाकृतियों को आकार देकर उन्हें समाज के सामने जब प्रस्तुत करते हैं तो लोग दंग रह जाते हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध देश के सबसे पुराने व बड़े कला एवं शिल्प महाविद्यालय के छात्र शिवम सिंह ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. शिवम ने अपनी कला से न केवल विश्वविद्यालय परिवार को बल्कि उसे देखने वाले हर शख्स को अपनी ओर आकर्षित किया है.
आर्ट्स कॉलेज में मूर्ति कला की पढ़ाई पूरी करने वाले शिवम सिंह अपनी कला को मिट्टी से मूर्ति रूप देने के साथ ही कबाड़ हो चुके सामान अद्भुत आकर दे रहे हैं. शिवम सिंह की खासियत यह है कि वह अपनी किसी भी कलाकृति को बनाने से पहले उसके पीछे के इतिहास और रोचक तथ्यों पर रिसर्च करते हैं फिर उसे आकृति देना शुरू करते हैं. शिवम सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान अपने हॉस्टल के कमरे में थर्माकोल से करीब 12 फुट लंबी कार बनाकर चर्चा में आए थे. इन्होंने जो कार बनाई थी वह साल 1920 में पहली बार दुनिया के सामने आई थी. आज दुनिया में उसी कार के केवल दो मॉडल ही मौजूद हैं वह भी देश के बाहर हैं. शिवम ने ऑनलाइन रिसर्च कर और उस कार की फोटो इकट्ठा कर थर्माकोल के उसे दुनिया के सामने पेश किया था.
4500 भाषाओं में श्री राम लिखा कलश तैयार कर रहे : आर्ट्स कॉलेज के छात्र शिवम सिंह ने दुनिया में बोले जाने वाली 4500 से अधिक भाषाओं में जय श्री राम कैसे लिखा जाता है उसे तैयार किया है. इसके बाद उन्होंने उसे सिक्के के रूप में डिजाइन किया और उसी से करीब 8 फीट लंबा एक कलश तैयार कर रहे हैं. शिवम सिंह ने बताया कि उन्होंने अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के लिए इस कलश को तैयार किया है. उनका कहना है कि यह कलश जब अयोध्या में लगेगा तो देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट के बीच में यह चर्चा का विषय रहेगा. सभी लोग अपनी भाषा में जय श्री राम कैसे लिखा जाता है वह जान सकेंगे.
400 साल पहले विलुप्त हो चुके पक्षी का आकार किया तैयार : शिवम सिंह ने बताया कि पक्षी विहार में उनके द्वारा एक ऐसी विलुप्त पक्षी की आकृति लोहे के कबाड़ से तैयार कर लगाई गई है, जो 400 साल पहले विलुप्त हो चुका है. शिवम ने बताया कि सीहॉक नाम के एक पक्षी के बारे में उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से काफी कुछ जाना और उसे पर कई महीनों के रिसर्च करने के बाद उससे आकृति तैयार की, जो पर्यटन विभाग के सहयोग से पक्षी विहार नवाबगंज में लग चुकी है. इसके अलावा शिवम ने बताया कि लखनऊ चिड़ियाघर में कई ऐसे जानवर जो आज वहां मौजूद नहीं हैं उनकी आकृति को उन्होंने लोहे की कबाड़ से तैयार कर चिड़ियाघर में लगाया है, जिससे वहां आने वाले बच्चों को उनके बारे में जानकारी मिल सके.
शिवम सिंह ने बताया कि वह अपने पैशन को जिंदा रखने के लिए जितना हो सके खुद की कोशिशों पर निर्भर हैं. उन्होंने बताया कि चिड़ियाघर और पक्षी विहार जैसी जगह पर काम करने के लिए इन संस्थाओं द्वारा ही वहां मौजूद लोहे के कबाड़ को उन्हें उपलब्ध कराया गया था. जिसके बाद उनके डिमांड के अनुसार तैयार हुई आकृति को उन्हीं संस्थाओं को दिया है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा अयोध्या के लिए जो 8 फीट का कलश तैयार हो रहा है, उसके लिए लोहे के कबाड़ का इंतजाम उन्होंने खुद किया है.