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नूंह में हो रही कैथली बेर की बागवानी, जानें क्या है खासियत और एक एकड़ में कितना होता है मुनाफा - Nuh Kaithli Ber - NUH KAITHLI BER

Nuh Kaithli Ber: हरियाणा के नूंह में कैथली बेर से बागवानी विभाग को काफी मुनाफा हो रहा है. करीब 27 सालों से यहां पर साढ़े चार एकड़ जमीन पर बेर की बागवानी की जा रही है. रिपोर्ट में जानें एक एकड़ से कितना कमाता है बागवानी विभाग.

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 22, 2024, 5:57 PM IST

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नूंह: हरियाणा के नूंह में बाग एवं नर्सरी पिनगवां में कैथली बेर सबको अपनी मिठास से लोगों को लुभा रहे हैं. कैथली बेर देखने में भले ही हरे रंग का हो लेकिन इसकी मिठास शहद से कम नहीं है. एक बार जो इस बेर को खाता है वो बार-बार इसी बेर की डिमांड करता है. कैथली बेर से न सिर्फ बागवानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है, बल्कि लोगों को स्वाद भी काफी अच्छा मिल रहा है.

कैथली बेर की बागवानी: बीते करीब 27 सालों से राजकीय बाग एवं नर्सरी पिनगवां में कैथली बेर करीब साढ़े चार एकड़ में लगाया गया है. वैसे तो राजकीय बाग व नर्सरी में 10 एकड़ बेर का बाग है, लेकिन गोला बेर पर कैथली हमेशा भारी पड़ता है. हर साल बेर से बागवानी विभाग को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है. साथ ही विभाग इसे ठेके पर देता है. वह सभी इससे अच्छा खासा मुनाफा कमाता है और बहुत से लोगों को बेर तोड़ने का रोजगार भी मिलता है.

कैथली बेर की है काफी डिमांड: जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने बताया कि इस बेर की दूर-दराज तक डिमांड है. कैथल के बागों में यह वैरायटी है, उसी की वजह से इसका नाम कैथली बेर पड़ा है. डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि अन्य वैरायटी के बेर से कैथली की वैरायटी 20 फीसदी अधिक महंगे भाव पर बिकती है और इसके खरीदारों की संख्या भी ज्यादा होती है.

एक एकड़ में हजारों रुपये का लाभ: बाग को देखने के लिए तथा बेर खरीदने के लिए लोग राजकीय बाग एवं नर्सरी पर ही बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. सबसे खास बात यह है कि कम लागत के बावजूद अच्छा खासा मुनाफा इस बेर के बाग से बागवानी विभाग को हो रहा है. प्रति एकड़ तकरीबन 50 हजार रुपये की आमदनी बागवानी विभाग को हो रही है. इस बाग में सिंचाई बिल्कुल नहीं होती. सिर्फ बरसात के ऊपर ही बाग पूरी तरह से आश्रित होते हैं. लेकिन बेर के उत्पादन में कोई कमी देखने को नहीं मिलती.

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नूंह: हरियाणा के नूंह में बाग एवं नर्सरी पिनगवां में कैथली बेर सबको अपनी मिठास से लोगों को लुभा रहे हैं. कैथली बेर देखने में भले ही हरे रंग का हो लेकिन इसकी मिठास शहद से कम नहीं है. एक बार जो इस बेर को खाता है वो बार-बार इसी बेर की डिमांड करता है. कैथली बेर से न सिर्फ बागवानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है, बल्कि लोगों को स्वाद भी काफी अच्छा मिल रहा है.

कैथली बेर की बागवानी: बीते करीब 27 सालों से राजकीय बाग एवं नर्सरी पिनगवां में कैथली बेर करीब साढ़े चार एकड़ में लगाया गया है. वैसे तो राजकीय बाग व नर्सरी में 10 एकड़ बेर का बाग है, लेकिन गोला बेर पर कैथली हमेशा भारी पड़ता है. हर साल बेर से बागवानी विभाग को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है. साथ ही विभाग इसे ठेके पर देता है. वह सभी इससे अच्छा खासा मुनाफा कमाता है और बहुत से लोगों को बेर तोड़ने का रोजगार भी मिलता है.

कैथली बेर की है काफी डिमांड: जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने बताया कि इस बेर की दूर-दराज तक डिमांड है. कैथल के बागों में यह वैरायटी है, उसी की वजह से इसका नाम कैथली बेर पड़ा है. डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि अन्य वैरायटी के बेर से कैथली की वैरायटी 20 फीसदी अधिक महंगे भाव पर बिकती है और इसके खरीदारों की संख्या भी ज्यादा होती है.

एक एकड़ में हजारों रुपये का लाभ: बाग को देखने के लिए तथा बेर खरीदने के लिए लोग राजकीय बाग एवं नर्सरी पर ही बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. सबसे खास बात यह है कि कम लागत के बावजूद अच्छा खासा मुनाफा इस बेर के बाग से बागवानी विभाग को हो रहा है. प्रति एकड़ तकरीबन 50 हजार रुपये की आमदनी बागवानी विभाग को हो रही है. इस बाग में सिंचाई बिल्कुल नहीं होती. सिर्फ बरसात के ऊपर ही बाग पूरी तरह से आश्रित होते हैं. लेकिन बेर के उत्पादन में कोई कमी देखने को नहीं मिलती.

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