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कैलाश विजयवर्गीय मध्य प्रदेश पर बढ़ते कर्ज से परेशान या बड़े नेता से नाराज? 1 तीर कितने निशाने - Kailash Vijayvargiye On Freebies

राजनीति में दो नेताओं के बीच खिंची लकीर में शिफ्ट डिलीट की क्या कभी कोई गुंजाइश नहीं रहती. ये सवाल कैलाश विजयवर्गीय के मीडिया इंटरव्यू मे दिए गए एक बयान के बाद खड़ा हुआ है. क्या कैलाश विजयवर्गीय का निशाना शिवराज पर है या वाकई प्रदेश पर बढ़ते कर्ज का मुद्दा उठाया है.

KAILASH VIJAYVARGIYA ON FREEBIES
कैलाश विजयवर्गीय के बयान से सियासत में कई प्रकार की चर्चाएं (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 13, 2024, 4:05 PM IST

Updated : Sep 13, 2024, 6:10 PM IST

भोपाल। जिस बयान में कैलाश विजयवर्गीय इशारों में लोकप्रिय योजनाओं से राज्य पर बढ़े संकट का हवाला देते हुए कहते हैं "सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए आप राज्य के कपड़े उतार दें ये तो नहीं होना चाहिए. ऐसी योजनाओं का एक वर्ग विशेष को विरोध करना चाहिए." मंत्री होने के बावजूद अपनी ही पार्टी और सरकार के रवैये पर सवाल उठा रहे ये वही कैलाश विजयवर्गीय हैं, जिन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार में एक बार कहा था कि उनकी हालत शोले के ठाकुर जैसी है. सवाल ये है कि क्या कैलाश का इशारा लाड़ली बहना योजना पर है और निशाने पर शिवराज हैं. सवाल ये भी है कि क्या एमपी के दो धाकड़ नेता शिवराज और कैलाश विजयवर्गीय के बीच की दरार अब भी नहीं भर पाई है. जबकि दोनों के पाले फिर एक बार बदल चुके हैं.

कैलाश के इस एक तीर से कितने शिकार

एमपी में बीजेपी के सबसे बेबाक मंत्रियों में गिने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय ने जो बयान दिया वाकई वो केवल विजयवर्गीय ही दे सकते है. यूं देखिए तो बयान में खरी-खरी कह दी गई है कि आखिर जनता के पैसे से कुर्सी बचाने लोकलुभावन योजनाएं क्यों लाई जाएं. क्यों इनका विरोध नहीं होना चाहिए. लेकिन सवाल ये है कि किस योजना के हवाले कैलाश विजयवर्गीय किस नेता पर इशारा कर रहे हैं. राजनीतिक विशलेषक पवन देवलिया कहते हैं "पहले इसमें कैलाश विजयवर्गीय की पीड़ा को भी समझना होगा. उनकी पीड़ा अपने विभाग को लेकर भी है. बजट नहीं है. बजट पूरा लाड़ली बहना योजना में चला गया. उनका बयान एकदम सही है. लेकिन निशाने पर कौन है. इस सवाल पर पवन देवलिया कहते हैं "जाहिर तौर पर वे लाड़ली बहना योजना के बारे में कह रहे हैं और कुर्सी बचाने की जो बात कही है वो उनकी ही पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री को लेकर है."

शिवराज के राज में खुद को कह चुके हैं शोले का ठाकुर

राजनीतिक जानकार मानते है कि कैलाश विजयवर्गीय के निशाने पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान हैं. लेकिन ये पहला मौका नही है. इसके पहले भी इंदौर में शिवराज सरकार के दौर में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था "वे शोले की ठाकुर की स्थिति में हैं." तब उनके इस बयान के बाद बहुत बवाल मचा था. फिर विजयवर्गीय प्रदेश की राजनीति से पूरी तरह अलग राष्ट्रीय राजनीति में रम गए. अब कहानी पलट गई है. शिवराज केंद्र की राजनीति में हैं और कैलाश ने अर्से बाद फिर प्रदेश की राजनीति में एंट्री ली है. लेकिन सियासी अदावत बरकरार है.

कैलाश बोले-ऐसी योजनाओं का जनता करे विरोध

कैलाश विजयवर्गीय के जिस बयान को लेकर हंगामा मचा हुआ है. एक मीडिया इंटरव्यू में दिए गए उस बयान में उन्होंने कहा है "कुछ फैसले लोकप्रियता के मकसद से लिए जाते हैं. लोकहित के लिए नहीं. लोकप्रिय होना है तो ऐसे निर्णय लो जो आपको लोकप्रिय बनाए भले वो लोकहित में नहीं हों. कुछ निर्णय ऐसे होते हैं जो लोकहित में नहीं होते लेकिन हम अगला चुनाव जीत जाएं इसमें सरकार लोकप्रिय निर्णय कर लेती है. लेकिन भुगतना उसमें जनता को पड़ता है. बाकी लोगों को भी पड़ता है. सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए आप इस प्रकार से राज्य को एकदम मैं ये कहूं के राज्य के कपड़े उतार दें आप ये तो नहीं होना चाहिए. ऐसी योजनाओ का एक वर्ग विशेष को विरोध करना चाहिए. समझदार व्यक्ति चुप हैं."

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अब कैलाश विजयवर्गीय के निशाने पर कौन? इस बयान के जरिए समझना होगा आसान

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कैलाश पहले भी देते रहे हैं विवादित बयान

इसी चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय ने बयान दिया था "जो भारत माता की जय बोलेगा वो अपना भाई है और उसके लिए हम जान भी दे सकते हैं, लेकिन जो भारत माता के खिलाफ बोलेगा, उसकी जान लेने में भी हम पीछे नहीं हटेंगे." व्यापम में फंसे दिवंगत नेता लक्ष्मीकांत शर्मा को क्लीन चिट देते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा "व्यापम कांड में आरोपी रहे शर्मा निर्दोष थे. फिऱ भी उन्हें जेल जाना पड़ गया. ये पीड़ा मेरे मन में हमेशा रहेगी." चुनाव से पहले इंदौर में अपनी सभाओं में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था "मुझे बड़ी जवाबदारी मिलने जा रही है."

भोपाल। जिस बयान में कैलाश विजयवर्गीय इशारों में लोकप्रिय योजनाओं से राज्य पर बढ़े संकट का हवाला देते हुए कहते हैं "सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए आप राज्य के कपड़े उतार दें ये तो नहीं होना चाहिए. ऐसी योजनाओं का एक वर्ग विशेष को विरोध करना चाहिए." मंत्री होने के बावजूद अपनी ही पार्टी और सरकार के रवैये पर सवाल उठा रहे ये वही कैलाश विजयवर्गीय हैं, जिन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार में एक बार कहा था कि उनकी हालत शोले के ठाकुर जैसी है. सवाल ये है कि क्या कैलाश का इशारा लाड़ली बहना योजना पर है और निशाने पर शिवराज हैं. सवाल ये भी है कि क्या एमपी के दो धाकड़ नेता शिवराज और कैलाश विजयवर्गीय के बीच की दरार अब भी नहीं भर पाई है. जबकि दोनों के पाले फिर एक बार बदल चुके हैं.

कैलाश के इस एक तीर से कितने शिकार

एमपी में बीजेपी के सबसे बेबाक मंत्रियों में गिने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय ने जो बयान दिया वाकई वो केवल विजयवर्गीय ही दे सकते है. यूं देखिए तो बयान में खरी-खरी कह दी गई है कि आखिर जनता के पैसे से कुर्सी बचाने लोकलुभावन योजनाएं क्यों लाई जाएं. क्यों इनका विरोध नहीं होना चाहिए. लेकिन सवाल ये है कि किस योजना के हवाले कैलाश विजयवर्गीय किस नेता पर इशारा कर रहे हैं. राजनीतिक विशलेषक पवन देवलिया कहते हैं "पहले इसमें कैलाश विजयवर्गीय की पीड़ा को भी समझना होगा. उनकी पीड़ा अपने विभाग को लेकर भी है. बजट नहीं है. बजट पूरा लाड़ली बहना योजना में चला गया. उनका बयान एकदम सही है. लेकिन निशाने पर कौन है. इस सवाल पर पवन देवलिया कहते हैं "जाहिर तौर पर वे लाड़ली बहना योजना के बारे में कह रहे हैं और कुर्सी बचाने की जो बात कही है वो उनकी ही पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री को लेकर है."

शिवराज के राज में खुद को कह चुके हैं शोले का ठाकुर

राजनीतिक जानकार मानते है कि कैलाश विजयवर्गीय के निशाने पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान हैं. लेकिन ये पहला मौका नही है. इसके पहले भी इंदौर में शिवराज सरकार के दौर में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था "वे शोले की ठाकुर की स्थिति में हैं." तब उनके इस बयान के बाद बहुत बवाल मचा था. फिर विजयवर्गीय प्रदेश की राजनीति से पूरी तरह अलग राष्ट्रीय राजनीति में रम गए. अब कहानी पलट गई है. शिवराज केंद्र की राजनीति में हैं और कैलाश ने अर्से बाद फिर प्रदेश की राजनीति में एंट्री ली है. लेकिन सियासी अदावत बरकरार है.

कैलाश बोले-ऐसी योजनाओं का जनता करे विरोध

कैलाश विजयवर्गीय के जिस बयान को लेकर हंगामा मचा हुआ है. एक मीडिया इंटरव्यू में दिए गए उस बयान में उन्होंने कहा है "कुछ फैसले लोकप्रियता के मकसद से लिए जाते हैं. लोकहित के लिए नहीं. लोकप्रिय होना है तो ऐसे निर्णय लो जो आपको लोकप्रिय बनाए भले वो लोकहित में नहीं हों. कुछ निर्णय ऐसे होते हैं जो लोकहित में नहीं होते लेकिन हम अगला चुनाव जीत जाएं इसमें सरकार लोकप्रिय निर्णय कर लेती है. लेकिन भुगतना उसमें जनता को पड़ता है. बाकी लोगों को भी पड़ता है. सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए आप इस प्रकार से राज्य को एकदम मैं ये कहूं के राज्य के कपड़े उतार दें आप ये तो नहीं होना चाहिए. ऐसी योजनाओ का एक वर्ग विशेष को विरोध करना चाहिए. समझदार व्यक्ति चुप हैं."

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कैलाश पहले भी देते रहे हैं विवादित बयान

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Last Updated : Sep 13, 2024, 6:10 PM IST
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