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मथुरा पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, कहा- इतिहास का विषय होकर रह जाएगी गाय, मांस निर्यात में भारत दूसरे नंबर पर

Shankaracharya Avimukteshwarananda : मथुरा पहुंचे ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बांके बिहारी के दर्शन किए.

मथुरा पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
मथुरा पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

मथुरा : ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद रविवार को वृंदावन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बांके बिहारी मंदिर में भगवान के दर्शन किए. प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि गायों की संख्या हमारे देश में निरंतर घटती चली जा रही है. आज हालात यह है कि केवल कुछ करोड़ की संख्या में गाय बची हुई हैं. 2019 में जो अंतिम गिनती भारत देश में हुई थी उसमें भी केवल 17 करोड़ की संख्या उनकी बताई गई थी. 17 करोड़ में से भी जो हमारी गए हैं जिसको हम गाय कहते हैं और इसके बारे में शास्त्रों में आख्यान है, जिसका गोमूत्र और गोबर पवित्र होता है, जिसका पंचगव्य बनता है जो हमारे 33 कोटी देवताओं की स्थानभूता है, वह गाय तो केवल एक से दो करोड़ के बीच में ही बची हुई है और प्रतिदिन उनके विरुद्ध अत्याचार हो रहा है, उनकी हत्या मांस खाने के लिए मांस बेचने के लिए भारत में की जा रही है.


जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि भारत की सरकारें लाइसेंस देकर और निर्यात करने का लाइसेंस देकर के अनुमति देकर इस कार्य को और आगे बढ़ावा दे रही हैं. हम हिंदुओं के सामने यह समस्या उत्पन्न हो गई है कि अगर अब हम अंतिम रूप से खड़े नहीं होते हैं तो हमारी गाय 1 से 2 साल के अंदर केवल इतिहास का विषय होकर के रह जाएगी, फिर हमको देखने को भी नहीं मिलेगी. उसकी सेवा करना तो दूर की बात है, इसलिए अंतिम निर्णय लेकर के इस बारे में खड़े होने की जरूरत पूरे समाज ने महसूस की है और इस जरूरत को स्वर देने के लिए हम यह आंदोलन और यात्रा कर रहे हैं.


जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि 'बटेंगे तो काटेंगे' पर बोलते हुए महाराज ने कहा कि बात यह है कि बट गए तो कट गए जो भी आपको कहना है, आप शब्दावली जो भी कहें, लेकिन यह जरूर है देश में एकता होनी चाहिए. अब देश में एकता बनाने के लिए आपके पास फार्मूला क्या है. आप कहते हैं बटो मत बटेंगे तो कटेंगे. पहली बात तो यह है कि बटेंगे जो क्रिया प्रयोग की जा रही है यह भविष्य काल की क्रिया है. इसका मतलब है कि अभी बटे नहीं हैं. अभी हम एक हैं, जब एक हैं तो वह कौन सा कारण है जिसके कारण हम बट जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब हम एक हैं तो कौन सा वह कारण है जिसके कारण हम बट जाएंगे. इसके बारे में चर्चा होनी चाहिए और दूसरी बात यह है आप अगर एकता करना चाहते हो तो आपके पास एकता करने का फार्मूला क्या है?

जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हम यह फार्मूला दे रहे हैं. गाय को राष्ट्र माता घोषित करो, गौ हत्या को अपराध घोषित करो, गाय माता है यह जब पूरे देश को पता चल जाएगा तो हमारा हर देशवासी कहेगा कि गाय हमारी माता है तो हमारी भी माता वही है जो अगले की माता है तो जब दोनों की माता एक है तो वह दोनों भाई हो जाएंगे. भाई-भाई में एकता होती है, इसी को भाईचारा कहते हैं तो यह भाईचारा गाय से बढ़ सकता है, इसलिए भारत को एक रखना है तो गाय के बारे में राष्ट्र माता शब्द का उद्घोष करना होगा.

जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि प्रधानमंत्री देशवासियों के मन की बात सुनें और अपने मन की बात हमें साफ करें. आप लोगों के माध्यम से हमें पता चला है कि उनके घर के पूजा घर में गाय गई है. वहां पर उन्होंने उसको शाल उढ़ाया है, उसको चुनरी उड़ाई है, माला पहनाई है. गोद में लेकर उसको दुलार रहे हैं. वहीं जब इंटरनेट से डाटा निकालकर देखते हैं तो भारत विश्व में दूसरे नंबर पर गौ मास का निर्यात करने में है.

यह भी पढ़ें : मंदिरों से साईं मूर्ति हटाने का शंकराचार्य ने किया समर्थन - Varanasi Sai Statue Controversy

यह भी पढ़ें : अरुणाचल प्रदेश में गौरक्षा रैली का कड़ा विरोध, प्रदर्शन के कारण शंकराचार्य वापस लौटे - Cow Protection Rally

मथुरा : ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद रविवार को वृंदावन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बांके बिहारी मंदिर में भगवान के दर्शन किए. प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि गायों की संख्या हमारे देश में निरंतर घटती चली जा रही है. आज हालात यह है कि केवल कुछ करोड़ की संख्या में गाय बची हुई हैं. 2019 में जो अंतिम गिनती भारत देश में हुई थी उसमें भी केवल 17 करोड़ की संख्या उनकी बताई गई थी. 17 करोड़ में से भी जो हमारी गए हैं जिसको हम गाय कहते हैं और इसके बारे में शास्त्रों में आख्यान है, जिसका गोमूत्र और गोबर पवित्र होता है, जिसका पंचगव्य बनता है जो हमारे 33 कोटी देवताओं की स्थानभूता है, वह गाय तो केवल एक से दो करोड़ के बीच में ही बची हुई है और प्रतिदिन उनके विरुद्ध अत्याचार हो रहा है, उनकी हत्या मांस खाने के लिए मांस बेचने के लिए भारत में की जा रही है.


जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि भारत की सरकारें लाइसेंस देकर और निर्यात करने का लाइसेंस देकर के अनुमति देकर इस कार्य को और आगे बढ़ावा दे रही हैं. हम हिंदुओं के सामने यह समस्या उत्पन्न हो गई है कि अगर अब हम अंतिम रूप से खड़े नहीं होते हैं तो हमारी गाय 1 से 2 साल के अंदर केवल इतिहास का विषय होकर के रह जाएगी, फिर हमको देखने को भी नहीं मिलेगी. उसकी सेवा करना तो दूर की बात है, इसलिए अंतिम निर्णय लेकर के इस बारे में खड़े होने की जरूरत पूरे समाज ने महसूस की है और इस जरूरत को स्वर देने के लिए हम यह आंदोलन और यात्रा कर रहे हैं.


जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि 'बटेंगे तो काटेंगे' पर बोलते हुए महाराज ने कहा कि बात यह है कि बट गए तो कट गए जो भी आपको कहना है, आप शब्दावली जो भी कहें, लेकिन यह जरूर है देश में एकता होनी चाहिए. अब देश में एकता बनाने के लिए आपके पास फार्मूला क्या है. आप कहते हैं बटो मत बटेंगे तो कटेंगे. पहली बात तो यह है कि बटेंगे जो क्रिया प्रयोग की जा रही है यह भविष्य काल की क्रिया है. इसका मतलब है कि अभी बटे नहीं हैं. अभी हम एक हैं, जब एक हैं तो वह कौन सा कारण है जिसके कारण हम बट जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब हम एक हैं तो कौन सा वह कारण है जिसके कारण हम बट जाएंगे. इसके बारे में चर्चा होनी चाहिए और दूसरी बात यह है आप अगर एकता करना चाहते हो तो आपके पास एकता करने का फार्मूला क्या है?

जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हम यह फार्मूला दे रहे हैं. गाय को राष्ट्र माता घोषित करो, गौ हत्या को अपराध घोषित करो, गाय माता है यह जब पूरे देश को पता चल जाएगा तो हमारा हर देशवासी कहेगा कि गाय हमारी माता है तो हमारी भी माता वही है जो अगले की माता है तो जब दोनों की माता एक है तो वह दोनों भाई हो जाएंगे. भाई-भाई में एकता होती है, इसी को भाईचारा कहते हैं तो यह भाईचारा गाय से बढ़ सकता है, इसलिए भारत को एक रखना है तो गाय के बारे में राष्ट्र माता शब्द का उद्घोष करना होगा.

जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि प्रधानमंत्री देशवासियों के मन की बात सुनें और अपने मन की बात हमें साफ करें. आप लोगों के माध्यम से हमें पता चला है कि उनके घर के पूजा घर में गाय गई है. वहां पर उन्होंने उसको शाल उढ़ाया है, उसको चुनरी उड़ाई है, माला पहनाई है. गोद में लेकर उसको दुलार रहे हैं. वहीं जब इंटरनेट से डाटा निकालकर देखते हैं तो भारत विश्व में दूसरे नंबर पर गौ मास का निर्यात करने में है.

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