वाराणसी: सनातन धर्म में किसी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त और समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. खासतौर पर विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए गुरु और शुक्र के उदय होने के साथ ही समय देखकर ही कार्य पूर्ण किए जाते हैं.
लेकिन, इस बार ऐसे संयोग बन रहे हैं कि जुलाई में सिर्फ चार दिन ही शहनाई बजने (शादी विवाह के लिए) एक दिन मुंडन संस्कार के लिए और सावन के बाद कुछ दिन ही गृह प्रवेश के लिए मिलेंगे.
सबसे बड़ी बात यह है कि 17 जुलाई से यह सारे कार्य रुक जाएंगे और इन पर विराम लगने के साथ ही 12 नवंबर तक किसी तरह के शुभ लग्न का कोई मुहूर्त नहीं मिलेगा. दरअसल, अप्रैल में शुक्र अस्त हो गए थे. शुक्र के अस्त होने के साथ ही सारे शुभ कार्यों पर विराम लग गया था.
हालांकि 28 जून शुक्रवार को शुक्र उदय हो चुके हैं, लेकिन इसका कोई महत्व नहीं है. क्योंकि, 13 दिन का विश्वधस्त्र पक्ष चलने की वजह से मांगलिक कार्यों का अभी शुभारंभ नहीं हो सका है.
इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात ज्योतिषाचार्य प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय का कहना है कि 28 जून को शुक्रोदय के बाद 1 जुलाई को उनकी बाल्यावस्था की निवृत्ति हो जाती है, लेकिन विश्वघत्र पक्ष के चलते 5 जुलाई तक किसी तरह का कोई शुभ कार्य नहीं होगा.
उन्होंने बताया कि इस दौरान कोई भी मुहूर्त नहीं है. इस बीच विवाह के लिए चार तिथियां में सिर्फ 9, 11, 12 और 15 जुलाई को ही विवाह का सर्वार्थ उपयुक्त लग्न मौजूद है. इसके बाद विशाखा नक्षत्र की शुरुआत हो जाएगी.
17 जुलाई को हरिशयनी एकादशी होने के चलते एक बार फिर से शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा और 12 नवंबर 2024 के बाद ही कोई भी शुभ कार्य खास तौर पर विवाह लग्न का मुहूर्त मिल पाएगा. क्योंकि, ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री हरि विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इस वजह से सुबह कार्य बंद हो जाते हैं. 12 नवंबर को हरि प्रबोधिनी यानी हरि उठनी एकादशी के साथ ही तुलसी विवाह पूर्ण होकर शुभ कार्यों की शुरुआत होती है.
उन्होंने बताया कि 15 जुलाई को विवाह का अंतिम लग्न है. 15 जुलाई को रात्रि 10:15 तक ही विवाह का मुहूर्त होगा. उसके बाद किसी तरह का कोई मुहूर्त नहीं है, क्योंकि विशाखा नक्षत्र प्रारंभ होगा और विशाखा नक्षत्र में विवाह करना बिल्कुल भी वर्जित बताया गया है.
6 जुलाई से 15 जुलाई तक शुभ लग्न में महज एक दिन आषाढ़ शुक्ल तृतीया सोमवार 8 जुलाई को ही मुंडन इत्यादि का मुहूर्त है, क्योंकि आषाढ़ माह में गृह प्रवेश होता नहीं है. इसलिए सावन माह यानी 22 जुलाई से प्रारंभ होने के बाद गृह प्रवेश और गृह आरंभ का मुहूर्त प्राप्त हो सकता है. इस बीच गोद भराई और बालकों के नामकरण के साथ ही अन्नप्राशन आदि संस्कारों को पूर्ण किया जा सकता है.
पंडित विनय पांडेय का कहना है कि 17 जुलाई को हरिशयनी एकादशी के साथ ही चातुर्य मास की शुरुआत होगी. देवोत्थान एकादशी 12 नवंबर को होगी और चातुर्मास 118 दिन तक चलेगा, जबकि पिछले महीने अधिक मास के चलते सावन 2 महीने का होने के कारण चातुर्मास 148 दिनों का था. इस बार यह नॉर्मल तरीके से पूर्ण होगा.
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