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न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पूछा- चिकित्सक और पुलिसकर्मियों को लेकर क्या जांच की ? - पुलिसकर्मियों के खिलाफ आदेश

न्यायिक मजिस्ट्रेट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पूछा है कि चिकित्सक और पुलिसकर्मियों को लेकर क्या जांच की गई?

Judicial Magistrate asked,  investigation regarding the doctor
न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पूछा.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 6, 2024, 7:44 PM IST

जयपुर. न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मौजमाबाद थाना पुलिस से पूछा है कि आपराधिक मामले में मुरलीपुरा थानाधिकारी राजीव यदुवंशी, डॉ. भरतराज शर्मा और दो अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ दिए आदेश की पालना में क्या जांच की गई?. अदालत ने यह आदेश परिवादी उमराव सिंह के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उसने अदालत में डॉ. भरतराज शर्मा सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ परिवाद पेश किया था. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस को प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान करने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. ऐसे में पुलिस से प्रकरण में की गई जांच की प्रगति रिपोर्ट मंगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस से मामले में की गई जांच की रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

पढ़ेंः केन्द्र व राज्य सरकार बताए कि तकनीकी आधार पर आदेश जारी क्यों किया- हाईकोर्ट

परिवाद में उमराव सिंह ने कहा था कि कुछ लोग उसे व उसकी पत्नी को हथियार दिखाकर घर से कार में बैठाकर मुरलीपुरा थाने के पास ले गए थे. यहां पुलिसकर्मियों ने आकर कहा कि वह भरतराज का हिसाब करे, वरना उसे और उसकी पत्नी को जेल में बंद कर देंगे. इसके बाद दस हजार रुपए देने पर पुलिसकर्मियों ने उसकी पत्नी को छोड़ दिया और परिवादी को पिछले दरवाजे से थाने के अंदर ले गए. यहां खाली कागजों पर साइन करवाकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया और हवालात में यातना दी गई. वहीं, देर रात पुलिसकर्मियों ने डॉ. भरत राज और उसके बीच अदालत में चल रहे चैक अनादरण के मामले में राजीनामा करने का दबाव डाला गया. परिवाद में आरोप लगाया गया कि डॉ. भरतराज ने पुलिसकर्मियों से मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा. परिवाद पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 16 जनवरी को पुलिस को प्रकरण दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए थे.

जयपुर. न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मौजमाबाद थाना पुलिस से पूछा है कि आपराधिक मामले में मुरलीपुरा थानाधिकारी राजीव यदुवंशी, डॉ. भरतराज शर्मा और दो अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ दिए आदेश की पालना में क्या जांच की गई?. अदालत ने यह आदेश परिवादी उमराव सिंह के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उसने अदालत में डॉ. भरतराज शर्मा सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ परिवाद पेश किया था. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस को प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान करने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. ऐसे में पुलिस से प्रकरण में की गई जांच की प्रगति रिपोर्ट मंगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस से मामले में की गई जांच की रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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परिवाद में उमराव सिंह ने कहा था कि कुछ लोग उसे व उसकी पत्नी को हथियार दिखाकर घर से कार में बैठाकर मुरलीपुरा थाने के पास ले गए थे. यहां पुलिसकर्मियों ने आकर कहा कि वह भरतराज का हिसाब करे, वरना उसे और उसकी पत्नी को जेल में बंद कर देंगे. इसके बाद दस हजार रुपए देने पर पुलिसकर्मियों ने उसकी पत्नी को छोड़ दिया और परिवादी को पिछले दरवाजे से थाने के अंदर ले गए. यहां खाली कागजों पर साइन करवाकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया और हवालात में यातना दी गई. वहीं, देर रात पुलिसकर्मियों ने डॉ. भरत राज और उसके बीच अदालत में चल रहे चैक अनादरण के मामले में राजीनामा करने का दबाव डाला गया. परिवाद में आरोप लगाया गया कि डॉ. भरतराज ने पुलिसकर्मियों से मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा. परिवाद पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 16 जनवरी को पुलिस को प्रकरण दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए थे.

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