रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित पीजीटी शिक्षकों के रिजल्ट को लेकर चल रहे विवाद के बीच जेएसएससी ने माना है कि दिव्यांगों की चयन श्रेणी में टाइपिंग की त्रुटि हुई थी, जिसके कारण पहले प्रकाशित रिजल्ट में खामियां पाई गईं. आयोग को शिकायत मिलने के बाद उचित जांच की गई, जिसके बाद कुछ विषयों के दिव्यांग वर्ग के परिणाम संशोधित कर जारी किए गए हैं. आयोग द्वारा जारी संशोधित परीक्षा परिणाम में सफल कुछ छात्रों की आरक्षण श्रेणी में बदलाव किया गया है.
इन वर्गों के जारी हुए संशोधित रिजल्ट
भौतिक शास्त्र में सफल हुए अनुक्रमांक 10911097 पूर्व में 3 मार्च को प्रकाशित आयोग के रिजल्ट में अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अंधापन और कम दृष्टि वर्ग में चयनित हुआ था. संशोधित परीक्षाफल में अत्यंत पिछड़ा वर्ग, बहरापन एवं श्रवण निशक्तता में चयन किया गया है. इसी तरह से कुल छह अभ्यर्थियों का संशोधित रिजल्ट जारी किया गया है. रसायन शास्त्र विषय में इसी तरह पांच अभ्यर्थियों का रिजल्ट आरक्षण कोटि में बदलाव कर जारी किया गया है. वहीं, अगर जीव विज्ञान की बात करें तो इस विषय में अनारक्षित वर्ग के दिव्यांग कोटि में तीन अभ्यर्थियों का आरक्षण कोटि में बदलाव हुआ है. जबकि अत्यंत पिछड़ा वर्ग के एक अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी में सफल घोषित हुए हैं. इसी तरह भूगोल विषय में एक परीक्षार्थी का आरक्षण कोटि में बदलाव कर संशोधित रिजल्ट जारी किया गया है. आयोग के परीक्षा नियंत्रक का मानना है कि नॉर्मलाइजेशन के कारण अभ्यर्थियों के प्राप्तांक एवं आरक्षण कोटि में बदलाव हुआ है.
नेता प्रतिपक्ष ने संशोधित रिजल्ट पर कसा तंज
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा जारी संशोधित रिजल्ट पर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने सोशल मीडिया एक्स के माध्यम से सरकार पर तंज कसा है और उन्होंने एक बार फिर सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि पहले लैब असिस्टेंट में नॉर्मलाइजेशन के नाम पर भ्रष्टाचार हुआ और अब पीजीटी परीक्षा में दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित पदों पर भ्रष्टाचार करके आयोग द्वारा अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया. आयोग ने टाइपिंग भूल का बहाना बनाया है, अगर टाइपिंग भूल होती तो अक्षरों में अंतर आता. दिव्यांग आरक्षण का श्रेणी भी कैसे बदल गया. वह भूल भी कब याद आई नियुक्ति के 5-6 महीने बाद. गौरतलब है कि इससे पहले इसी परीक्षा में मुक बधिर श्रेणी में बोल सकने वाले अभ्यर्थी योगेंद्र प्रसाद के चयन का मामला तूल पकड़ा था. इसकी जांच शिक्षा विभाग से कराई गई, जिसमें उसका सर्टिफिकेट फर्जी निकलने के बाद उसकी नियुक्ति पर रोक लगा दी गई.
ये भी पढ़ें: मूक-बधिर कैटेगरी में चयनित पीजीटी अभ्यर्थी बोलने और सुनने वाला निकला, सीएम हेमंत ने जांच के दिए आदेश
ये भी पढ़ें: जेएसएससी पीजीटी परीक्षा विवादपर छात्रों का आंदोलन जारी, आयोग ने साधी चुप्पी! जानिए कैसे हुई गड़बड़ी