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कैंसर से जंग लड़ रहे पत्रकार रवि प्रकाश को सम्मान, अमेरिका में मिला पेशेंट एडवोकेसी एडुकेशनल अवार्ड, सीएम ने दी बधाई - Patient Advocacy Educational Award - PATIENT ADVOCACY EDUCATIONAL AWARD

Journalist Ravi Prakash gets Patient Advocacy Educational Award. कैंसर से पीड़ित वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश को अमेरिका में पेशेंट एडवोकेसी एडुकेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया है. सीएम हेमंत सोरेन ने भी रवि प्रकाश को सम्मान मिलने के बाद बधाई दी है.

Patient Advocacy Educational Award
अवार्ड के साथ रवि प्रकाश (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 8, 2024, 5:19 PM IST

रांची/सैन डियेगो: अमेरिका के तटीय शहर सैन डियेगो में 7 सितंबर से शुरू वर्ल्ड लंग कैंसर कांफ्रेंस (WCLC-2024) में वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश को पेशेंट एडवोकेसी एडुकेशनल अवार्ड दिया गया. इस साल यह पुरस्कार पाने वाले वह भारत के इकलौते व्यक्ति हैं. लंग कैंसर पर काम करने वाली दुनिया की प्रतिष्ठित संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर हर साल यह पुरस्कार विश्व के उन चुनिंदा लोगों को देती है, जो अपने-अपने देश में मरीजों की आवाज बन चुके हैं.

Patient Advocacy Educational Award
मंच पर अन्य विजेताओं के साथ रवि प्रकाश (ईटीवी भारत)
इस साल भारत से रवि के अलावा यह पुरस्कार दुनिया के 9 और लोगों को दिया गया है. इनमें आस्ट्रेलिया और मैक्सिको के 2-2, अमेरिका, इटली, यूके (इंग्लैंड), नाइजीरिया और थाईलैंड से 1-1 पेशेंट एडवोकेट शामिल हैं. इन दस लोगों में रवि इकलौते व्यक्ति हैं, जो खुद मरीज होकर पेशेंट एडवोकेसी करते हैं. बाकी के विजेता या तो केयरगिवर्स हैं या फिर लंग कैंसर के लिए काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधि. झारखंडी बंडी में रवि ने लिया पुरस्कार

यह पुरस्कार लेते वक्त पत्रकार रवि प्रकाश ने झारखंड की विशेष बंडी पहनी थी और उन्होंने सरना गमछा भी रखा था. विश्व लंग कैंसर कांफ्रेंस में 100 देशों के प्रतिनिधियों के बीच अपने परिधान से रवि ने बड़ी बारीकी से सरना धर्म कोड की वकालत वैश्विक स्तर पर कर दी. यह प्रस्ताव फिलहाल भारत सरकार के पास विचाराधीन है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन में इस उपलब्धि के लिए रवि प्रकाश को बधाई दी है. उन्होंने लिखा है "आपकी हिम्मत, जज्बे और संघर्ष को सलाम".

रवि ने मीडिया से कहा, 'बात किसी और धर्म विशेष के प्रचार की नहीं है. हम भारत के लोग हैं और संविधान की प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्ष शब्द लिखा है. लेकिन, आप 75 सालों तक आदिवासियों से उनके धर्म की पहचान नहीं छीन सकते. वे धर्म के कॉलम में ‘अन्य’ शब्द कब तक लिखेंगे. इसलिए मैंने यह बंडी पहन कर पुरस्कार लेने का निर्णय लिया था. इसके लिए मैं जोहारग्राम का आभारी हूं'

कैसी तबीयत है रवि प्रकाश की

रवि प्रकाश पिछले पौने चार साल से लंग कैंसर के अंतिम स्टेज के मरीज हैं. पिछले जून में उनकी बीमारी बढ़ कर दिमाग में भी आ गई. इसके बाद उनका पुराना मेडिकेशन रोक दिया गया. इसके बाद उनकी बीमारी फिर से प्रोग्रेस कर गई और वे गंभीर रूप से बीमार हैं. पिछले डेढ़ महीने से मुंबई में उनकी कार-टी सेल थेरेपी चल रही है. अभी तक उन्हें गामा-डेल्टा सेल के तीन इन्फ्यूजन दिए जा चुके हैं. अमेरिका से लौटते ही उन्हें चौथा इन्फ्यूजन दिया जाना है.

कैसे मरीजों की आवाज बने रवि

रवि ने खुद कैंसर मरीज रहते हुए कैंसर के इलाज की कठिनाई, खर्च, सरकार की सुविधाओं और योजनाओं की कमियों को लेकर कई लेख लिखे. वे देश-विदेश के अलग-अलग कांफ्रेंस में यह बात उठाते रहे हैं. पिछले साल भी सार्क फेडरेशन ऑफ आंकोलॉजिस्ट के वर्ल्ड कांफ्रेंस में उन्होंने काठमांडू में अपनी बात जोरदार तरीके से रखी थी.

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Patient Advocacy Educational Award
मंच पर अन्य विजेताओं के साथ रवि प्रकाश (ईटीवी भारत)
इस साल भारत से रवि के अलावा यह पुरस्कार दुनिया के 9 और लोगों को दिया गया है. इनमें आस्ट्रेलिया और मैक्सिको के 2-2, अमेरिका, इटली, यूके (इंग्लैंड), नाइजीरिया और थाईलैंड से 1-1 पेशेंट एडवोकेट शामिल हैं. इन दस लोगों में रवि इकलौते व्यक्ति हैं, जो खुद मरीज होकर पेशेंट एडवोकेसी करते हैं. बाकी के विजेता या तो केयरगिवर्स हैं या फिर लंग कैंसर के लिए काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधि. झारखंडी बंडी में रवि ने लिया पुरस्कार

यह पुरस्कार लेते वक्त पत्रकार रवि प्रकाश ने झारखंड की विशेष बंडी पहनी थी और उन्होंने सरना गमछा भी रखा था. विश्व लंग कैंसर कांफ्रेंस में 100 देशों के प्रतिनिधियों के बीच अपने परिधान से रवि ने बड़ी बारीकी से सरना धर्म कोड की वकालत वैश्विक स्तर पर कर दी. यह प्रस्ताव फिलहाल भारत सरकार के पास विचाराधीन है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन में इस उपलब्धि के लिए रवि प्रकाश को बधाई दी है. उन्होंने लिखा है "आपकी हिम्मत, जज्बे और संघर्ष को सलाम".

रवि ने मीडिया से कहा, 'बात किसी और धर्म विशेष के प्रचार की नहीं है. हम भारत के लोग हैं और संविधान की प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्ष शब्द लिखा है. लेकिन, आप 75 सालों तक आदिवासियों से उनके धर्म की पहचान नहीं छीन सकते. वे धर्म के कॉलम में ‘अन्य’ शब्द कब तक लिखेंगे. इसलिए मैंने यह बंडी पहन कर पुरस्कार लेने का निर्णय लिया था. इसके लिए मैं जोहारग्राम का आभारी हूं'

कैसी तबीयत है रवि प्रकाश की

रवि प्रकाश पिछले पौने चार साल से लंग कैंसर के अंतिम स्टेज के मरीज हैं. पिछले जून में उनकी बीमारी बढ़ कर दिमाग में भी आ गई. इसके बाद उनका पुराना मेडिकेशन रोक दिया गया. इसके बाद उनकी बीमारी फिर से प्रोग्रेस कर गई और वे गंभीर रूप से बीमार हैं. पिछले डेढ़ महीने से मुंबई में उनकी कार-टी सेल थेरेपी चल रही है. अभी तक उन्हें गामा-डेल्टा सेल के तीन इन्फ्यूजन दिए जा चुके हैं. अमेरिका से लौटते ही उन्हें चौथा इन्फ्यूजन दिया जाना है.

कैसे मरीजों की आवाज बने रवि

रवि ने खुद कैंसर मरीज रहते हुए कैंसर के इलाज की कठिनाई, खर्च, सरकार की सुविधाओं और योजनाओं की कमियों को लेकर कई लेख लिखे. वे देश-विदेश के अलग-अलग कांफ्रेंस में यह बात उठाते रहे हैं. पिछले साल भी सार्क फेडरेशन ऑफ आंकोलॉजिस्ट के वर्ल्ड कांफ्रेंस में उन्होंने काठमांडू में अपनी बात जोरदार तरीके से रखी थी.

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