जमशेदपुरः टाटा स्टील फाउंडेशन की ओर से शहर में एक बार फिर जोहार हाट लगाया गया है. कदमा के प्रकृति विहार में जोहार हाट की शुरुआत की गई है. इस बार जोहार हाट में तीन राज्यों से 5 अलग-अलग जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 20 से अधिक उद्यमी भाग ले रहे हैं. जोहार हाट में सबसे ज्यादा आकर्षण बांस से बनी चीजें हैं. इसमें लेडिज पर्स, जेंट्स पर्स, लैपटॉप बैग आदि उपलब्ध हैं. बाजार से कम कीमत पर यहां जरूरी सामान उपलब्ध हैं.
बेंत से बने प्रोडक्ट भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र
जमशेदपुर के कदमा प्रकृति विहार लगाए गए जोहार हाट में असम के गोपाल दास बेंत से बने प्रोडक्ट बेच रहे हैं. बेंत के सामान दिखने में काफी आकर्षक और स्टाइलिश तो हैं हीं, साथ ही काफी टिकाऊ भी हैं. यही नहीं यह सारे सामान वाटर प्रूफ भी हैं. गोपाल दास ने बताया कि सारे प्रोडक्ट्स वो और उनका परिवारक मिलकर बनाते हैं. देशभर में गोपाल दास के बनाए सामान की ऑनलाइन डिलीवरी भी होती है. उन्होंने बताया कि एक दिन में करीब 60 से 70 प्रोडक्ट आसानी से तैयार हो जाते हैं. ये सारे प्रोडक्ट टिकाऊ हैं और 5 से 6 साल तक आसानी से चल जाते हैं.
हाट में सस्ती कीमत पर उपलब्ध हैं सामान
जोहार हाट में मेंस और लेडीज पर्स 100 रुपये, लैपटॉप बैग 700 रुपये, बॉटल होल्डर 200 रुपये, लेडिस स्लिंग बैग 500 रुपये और झोला 250 रुपये में मिल जाएगा. अन्य सामान भी हाट में काफी किफायती दर पर उपलब्ध है.
जोहार हाट में बांस से निर्मित प्रोडक्ट्स की मांग
वहीं जोहार हाट में बांस से बने समानों की मांग काफी है. लोग दूर-दराज से खरीदारी करने के लिए पहुंच रहे हैं. हाट में खरीदारी करने आए ग्राहक धीरेंद्र नाथ हांसदा ने बताया कि बांस से भी पर्स बन सकता है ऐसा मैंने कभी नहीं सोचा था. इसे देखकर मैंने भी एक खरीदा है. यह पर्स काफी सस्ता होने के साथ-साथ इको फ्रेंडली और देखने में भी काफी सुंदर है.
बांस से निर्मित प्रोडक्ट देखकर ग्राहकों में हैरानी
जमशेदपुर से 60 किलोमीटर दूर चाकुलिया से हाट पहुंचे चंद्र मोहन मार्डी ने बताया कि मुझे जानकारी मिली तो मैं जोहार हाट आया हूं. इस हाट में खास कर बांस से बने समानों को देखकर काफी हैरान हूं. लैपटॉप बैग से लेकर पानी के बोतल तक के बैग यहां उपलब्ध हैं. वो भी काफी कम कीमत पर.
जनजातीय समूह द्वारा तैयार प्रोडक्ट्स को मंच देना जोहार हाट का उद्देश्यः चाणक्य चौधरी
जोहार हाट के सबंध में टाटा स्टील फाउंडेशन के डायरेक्टर चाणक्य चौधरी ने बताया कि जोहार हाट लगाए जाने का उद्देश्य जनजातीय समूह के लोगों के द्वारा बनाए जा रहे समानों को एक मंच पर लाना है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक महीने 14 से 21 तारीख तक इस प्रकार की प्रदर्शनी लगाई जाती है. इसी कड़ी में जोहार हाट लगाया गया है.
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