कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में इस बार कई देवी देवता दशकों बाद पहुंच रहे हैं. इस बार नए देवताओं के बैठने के लिए जगह पर्याप्त नहीं है, लेकिन पुराने देवी-देवताओं की जगह अभी कायम है. इस बार जिला के आनी खंड से शमशरी महादेव के बाद अब दलाश क्षेत्र के जोगेश्वर महादेव 13 साल के बाद कुल्लू दशहरा उत्सव में भाग लेंगे. इस बार वह कुल्लू में भगवान रघुनाथ जी की चाकरी करने के लिए आ रहे हैं. इसकी पुष्टि देवता के कारदार रमेश वर्मा ने की है.
रमेश वर्मा ने कहा कि, 'देवता साल 2011 में अंतिम बार कुल्लू दशहरा उत्सव में आए थे. इसके बाद लोगों की समस्या और देवता के आने का खर्च ज्यादा हो रहा था. इसलिए देवता दशहरा उत्सव में नहीं आ रहे थे. इस बार लोगों ने देवता को दशहरा उत्सव में ले जाने की बात कही सभी ने इसे एकमत से स्वीकार किया. 133 किलोमीटर की दूरी तय कर जोगेश्वर महादेव को कुल्लू दशहरा में लाया जाएगा. इसमें देवता के कारकून के अलावा क्षेत्र के देवलु भाग लेंगे. दलाश के अलावा डिंगीधार, बयूंगल, पलेही, कुठेड़, जाबन, नमहोंग और तलुणा के लोग भी देवता को अधिष्ठाता मानते हैं.'
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में 200 किलोमीटर दूर आनी, निरमंड से देवी देवता कुल्लू पहुंचते हैं. इसमें निरमंड से देवता आठ अक्टूबर को ही रवाना हो जाएंगे, जबकि आनी से 10 अक्टूबर को देवता कुल्लू के लिए प्रस्थान करेंगे. आनी निरमंड से आने वाले देवी देवता दशहरा उत्सव के लिए सोने की सजावट कर आएंगे. इस बार 13 से 19 अक्टूबर तक दशहरा उत्सव मनाया जाएगा.
यह है देवता की खासियत
कुल्लू का दलाश गांव लुहरी से मात्र 28 किमी दूर समुद्रतल से लगभग 6000 फीट की ऊंचाई पर बसा है. यहां भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर स्थापित है, जो जोगेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है. यहां द्वादश शिवलिंग स्थापित किए गए थे, जिनके अवशेष यहां आज भी विद्यमान हैं.
देवता कारदार संघ के अध्यक्ष दोतराम ठाकुर ने कहा कि, 'जिला में दलाश के देवता जोगेश्वर महादेव के दशहरा उत्सव में आने की सूचना मिली है. देवता का देवी देवता कारदार संघ स्वागत करेगा. पुराने देवी देवता जो भी आना चाहते हैं वह आ सकते हैं'