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चुनावी आहट के साथ ही बिहार में नौकरी की बहार, कैसे तेजस्वी ने बनाया NDA सरकार पर प्रेशर जानें - Vacancy for government job

Vacancy For Government Job: बिहार की एनडीए सरकार बंपर पैमाने पर नौकरी देने के लिए वैकेंसी निकाल रही है. तेजस्वी यादव ने बिहार में रोजगार को मुद्दा बनाया और उसके कारण बिहार सरकार पर प्रेशर बना है. लोकसभा चुनाव परिणाम में बीजेपी को कम सीटों ने इस दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है. अब चुनावी आहट से पहले बंपर वैकेंसी आ रही है.

बिहार में नौकरी का मुद्दा
बिहार में रोजगार का मुद्दा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 8, 2024, 5:07 PM IST

चुनावी आहट के साथ ही बिहार में नौकरी की बहार (ETV Bharat)

पटना: लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद पूरे देश से आचार संहिता हटा ली गई है. आचार संहिता हटते ही बिहार सरकार के कई विभागों ने सरकारी नौकरी के लिए वैकेंसी निकालनी शुरू कर दी है. बिहार सरकार के कई विभाग में रिक्त पद भरे जा रहे हैं. एनडीए की सरकार रोजगार के मसले को लेकर विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है.

नौकरी के जरिये युवाओं के वोट पर नजर: लोकसभा चुनाव में राजद ने रोजगार के मुद्दे पर बिहार में चुनाव लड़ा. तेजस्वी यादव ने हर चुनावी सभा में अपने कार्यकाल में दिए गए सरकारी नौकरी के आधार पर बिहार सरकार को घेरने का प्रयास किया. अब बिहार सरकार बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरी के लिए वैकेंसी निकल रही है.

रोजगार पर NDA का फोकस: अब बिहार सरकार युवाओं को नौकरी देकर चुनाव में भुनाने की तैयारी कर रही है. बिहार की एनडीए सरकार को अब लगने लगा है कि यदि 2025 विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेना है तो युवाओं को नौकरी देनी पड़ेगी. यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग हो गृह विभाग हो या शिक्षा विभाग हर जगह बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरी के लिए विज्ञापन निकाले जा रहे हैं. खुद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी कहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार ने 10 लाख लोगों को रोजगार देने लक्ष्य था, उसे हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा.

किस विभाग ने निकाली वैकेंसी: अभी तक बिहार सरकार की तीन विभाग ने बड़े पैमाने पर वैकेंसी निकली है. शिक्षा विभाग ने 86 हजार 474 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकली है. स्वास्थ्य विभाग में 46 हजार स्वास्थ्य कर्मियों के लिए वैकेंसी निकली है. इसके अलावा पंचायती राज विभाग में 15 हजार 610 पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला है.

लोकसभा चुनाव में दिखा असर: 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार में तेजस्वी यादव ने नौकरी को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था. पूरा लोकसभा का चुनाव तेजस्वी यादव ने अपने 17 महीने के कार्यकाल में 5 लाख नौकरी दिए जाने की बात कही और इसी मुद्दे पर बिहार सरकार और केंद्र सरकार को घेरा. लोकसभा चुनाव में रोजगार एक मुद्दा रहा यह चुनाव परिणाम में देखने को मिला.

मुद्दा नौकरी तो जीत मुश्किल नहीं!: 2019 के मुकाबले 2024 में राजद का वोट प्रतिशत भी बढ़ा और सीट की संख्या भी बढ़ी, जहां 2019 में राजद को एक भी सीट नहीं मिली थी. 2024 के चुनाव में राजद चार सीट जीतने में कामयाब रही. वहीं इंडिया गठबंधन 9 सीट जीतने में कामयाब रही.

2020 विधानसभा चुनाव में रोजगार बना मुद्दा: 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार रोजगार को मुद्दा बनाया गया था. विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने हर सार्वजनिक मंच पर घोषणा की थी कि उनकी सरकार बनेगी तो पहले कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने वाली फाइल पर पहले सिग्नेचर करेंगे.

इस पर नीतीश कुमार सहित भाजपा के नेता भी सवाल उठाने लगे. नीतीश कुमार ने तो सार्वजनिक मंच से तेजस्वी यादव के घोषणा पर कहा था कि वेतन के लिए पैसा पिता के घर से लाओगे. बाद में बीजेपी ने भी घोषणा पत्र में 10 लाख नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का वादा किया.

तेजस्वी को आरजेडी ने दिया क्रेडिट: राजद के प्रवक्ता ऋषि मिश्रा का कहना है कि बिहार सरकार और बड़े पैमाने पर वैकेंसी निकल रही है. यह सब तेजस्वी यादव के कारण हो रहा है. तेजस्वी यादव ने अपने 17 महीने के कार्यकाल में 5 लाख लोगों को नौकरी दी जिसमें चार लाख कॉन्ट्रैक्ट और नौकरी कर रहे शिक्षकों को स्थाई नौकरी दिया. इसके अलावा चार लाख के आसपास स्वास्थ्य विभाग में वैकेंसी क्रिएट किया गया था.

"अब बिहार सरकार इस को भरने का काम कर रही है. अपने 10 वर्षों के शासनकाल में 20 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था. अब उम्मीद है कि भाजपा 20 करोड़ भारत के बेरोजगार युवाओं को नौकरी देंगी."- ऋषि मिश्रा, राजद प्रवक्ता

बीजेपी का पलटवार: राजद के दावे पर भाजपा के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने पलटवार किया है. कुंतल कृष्ण का कहना है कि बीजेपी की सरकार सुशासन एवं रोजगार हमेशा से एनडीए के प्राथमिकता में रहा है. जबकि राजद का शासनकाल कुशासन माफियाराज और भ्रष्टाचार के लिए जाना जाता है.

जब बिहार में सत्ता में थे तब कुशासन की सरकार थी. रोजगार नाम की कोई चीज नहीं थी. जब केंद्र में सत्ता में गए तो नौकरी के बदले में गरीबों की जमीन लिखवा ली.-कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

एक्सपर्ट की राय: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि बिहार के हर एक विभाग में हजारों की संख्या में रिक्तियां हैं. नीतीश कुमार ने सुशासन की सरकार जरूर दी लेकिन सरकारी नौकरी के नाम पर वह भी उदासीन बैठे रहे. यही कारण है कि बिहार सरकार के हर एक विभाग में हजारों की संख्या में रिक्तियां बढ़ती गई. प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि तेजस्वी यादव ने बिहार में सबसे पहले नौकरी को मुद्दा बनाया जिस पर नीतीश कुमार भी तंज करते थे, लेकिन सरकार में आने के बाद तेजस्वी यादव ने नौकरी को लेकर एक प्रेशर बनाया जिसका परिणाम हुआ कि बहुत सारी नियुक्तियां हुई.

"बिहार में सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगार हैं जिनका राज्य से पलायन हो रहा है, लेकिन जिस तरीके से तेजस्वी यादव ने बिहार में रोजगार को मुद्दा बनाया उसने बिहार सरकार पर प्रेशर बना है. भले ही देश स्तर पर राजद का व्यापक प्रभाव नहीं है लेकिन राज्य स्तर पर इसका प्रभाव है. बीजेपी और जदयू को लग रहा है कि आगामी चुनाव में इस मुद्दे पर विपक्ष उसे घेर सकता है. यही कारण है कि बिहार सरकार अब नौकरी के लिए नीति बना रही है और व्यापक पैमाने पर नौकरी देने के लिए वैकेंसी निकल रही है."- प्रो नवल किशोर चौधरी, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक

इसे भी पढ़ें- बिहार में बंपर वैकेंसी, स्वास्थ्य विभाग में 45 हजार पदों पर होगी भर्ती - Bihar Health Department Vacancy

चुनावी आहट के साथ ही बिहार में नौकरी की बहार (ETV Bharat)

पटना: लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद पूरे देश से आचार संहिता हटा ली गई है. आचार संहिता हटते ही बिहार सरकार के कई विभागों ने सरकारी नौकरी के लिए वैकेंसी निकालनी शुरू कर दी है. बिहार सरकार के कई विभाग में रिक्त पद भरे जा रहे हैं. एनडीए की सरकार रोजगार के मसले को लेकर विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है.

नौकरी के जरिये युवाओं के वोट पर नजर: लोकसभा चुनाव में राजद ने रोजगार के मुद्दे पर बिहार में चुनाव लड़ा. तेजस्वी यादव ने हर चुनावी सभा में अपने कार्यकाल में दिए गए सरकारी नौकरी के आधार पर बिहार सरकार को घेरने का प्रयास किया. अब बिहार सरकार बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरी के लिए वैकेंसी निकल रही है.

रोजगार पर NDA का फोकस: अब बिहार सरकार युवाओं को नौकरी देकर चुनाव में भुनाने की तैयारी कर रही है. बिहार की एनडीए सरकार को अब लगने लगा है कि यदि 2025 विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेना है तो युवाओं को नौकरी देनी पड़ेगी. यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग हो गृह विभाग हो या शिक्षा विभाग हर जगह बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरी के लिए विज्ञापन निकाले जा रहे हैं. खुद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी कहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार ने 10 लाख लोगों को रोजगार देने लक्ष्य था, उसे हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा.

किस विभाग ने निकाली वैकेंसी: अभी तक बिहार सरकार की तीन विभाग ने बड़े पैमाने पर वैकेंसी निकली है. शिक्षा विभाग ने 86 हजार 474 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकली है. स्वास्थ्य विभाग में 46 हजार स्वास्थ्य कर्मियों के लिए वैकेंसी निकली है. इसके अलावा पंचायती राज विभाग में 15 हजार 610 पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला है.

लोकसभा चुनाव में दिखा असर: 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार में तेजस्वी यादव ने नौकरी को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था. पूरा लोकसभा का चुनाव तेजस्वी यादव ने अपने 17 महीने के कार्यकाल में 5 लाख नौकरी दिए जाने की बात कही और इसी मुद्दे पर बिहार सरकार और केंद्र सरकार को घेरा. लोकसभा चुनाव में रोजगार एक मुद्दा रहा यह चुनाव परिणाम में देखने को मिला.

मुद्दा नौकरी तो जीत मुश्किल नहीं!: 2019 के मुकाबले 2024 में राजद का वोट प्रतिशत भी बढ़ा और सीट की संख्या भी बढ़ी, जहां 2019 में राजद को एक भी सीट नहीं मिली थी. 2024 के चुनाव में राजद चार सीट जीतने में कामयाब रही. वहीं इंडिया गठबंधन 9 सीट जीतने में कामयाब रही.

2020 विधानसभा चुनाव में रोजगार बना मुद्दा: 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार रोजगार को मुद्दा बनाया गया था. विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने हर सार्वजनिक मंच पर घोषणा की थी कि उनकी सरकार बनेगी तो पहले कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने वाली फाइल पर पहले सिग्नेचर करेंगे.

इस पर नीतीश कुमार सहित भाजपा के नेता भी सवाल उठाने लगे. नीतीश कुमार ने तो सार्वजनिक मंच से तेजस्वी यादव के घोषणा पर कहा था कि वेतन के लिए पैसा पिता के घर से लाओगे. बाद में बीजेपी ने भी घोषणा पत्र में 10 लाख नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का वादा किया.

तेजस्वी को आरजेडी ने दिया क्रेडिट: राजद के प्रवक्ता ऋषि मिश्रा का कहना है कि बिहार सरकार और बड़े पैमाने पर वैकेंसी निकल रही है. यह सब तेजस्वी यादव के कारण हो रहा है. तेजस्वी यादव ने अपने 17 महीने के कार्यकाल में 5 लाख लोगों को नौकरी दी जिसमें चार लाख कॉन्ट्रैक्ट और नौकरी कर रहे शिक्षकों को स्थाई नौकरी दिया. इसके अलावा चार लाख के आसपास स्वास्थ्य विभाग में वैकेंसी क्रिएट किया गया था.

"अब बिहार सरकार इस को भरने का काम कर रही है. अपने 10 वर्षों के शासनकाल में 20 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था. अब उम्मीद है कि भाजपा 20 करोड़ भारत के बेरोजगार युवाओं को नौकरी देंगी."- ऋषि मिश्रा, राजद प्रवक्ता

बीजेपी का पलटवार: राजद के दावे पर भाजपा के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने पलटवार किया है. कुंतल कृष्ण का कहना है कि बीजेपी की सरकार सुशासन एवं रोजगार हमेशा से एनडीए के प्राथमिकता में रहा है. जबकि राजद का शासनकाल कुशासन माफियाराज और भ्रष्टाचार के लिए जाना जाता है.

जब बिहार में सत्ता में थे तब कुशासन की सरकार थी. रोजगार नाम की कोई चीज नहीं थी. जब केंद्र में सत्ता में गए तो नौकरी के बदले में गरीबों की जमीन लिखवा ली.-कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

एक्सपर्ट की राय: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि बिहार के हर एक विभाग में हजारों की संख्या में रिक्तियां हैं. नीतीश कुमार ने सुशासन की सरकार जरूर दी लेकिन सरकारी नौकरी के नाम पर वह भी उदासीन बैठे रहे. यही कारण है कि बिहार सरकार के हर एक विभाग में हजारों की संख्या में रिक्तियां बढ़ती गई. प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि तेजस्वी यादव ने बिहार में सबसे पहले नौकरी को मुद्दा बनाया जिस पर नीतीश कुमार भी तंज करते थे, लेकिन सरकार में आने के बाद तेजस्वी यादव ने नौकरी को लेकर एक प्रेशर बनाया जिसका परिणाम हुआ कि बहुत सारी नियुक्तियां हुई.

"बिहार में सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगार हैं जिनका राज्य से पलायन हो रहा है, लेकिन जिस तरीके से तेजस्वी यादव ने बिहार में रोजगार को मुद्दा बनाया उसने बिहार सरकार पर प्रेशर बना है. भले ही देश स्तर पर राजद का व्यापक प्रभाव नहीं है लेकिन राज्य स्तर पर इसका प्रभाव है. बीजेपी और जदयू को लग रहा है कि आगामी चुनाव में इस मुद्दे पर विपक्ष उसे घेर सकता है. यही कारण है कि बिहार सरकार अब नौकरी के लिए नीति बना रही है और व्यापक पैमाने पर नौकरी देने के लिए वैकेंसी निकल रही है."- प्रो नवल किशोर चौधरी, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक

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