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जेएनयू छात्र संघ चुनाव: चुनाव समिति को लेकर ABVP का विरोध, अब शिकायत निवारण समिति करेंगी जांच

JNUSU POLLS: जेएनयू में छात्र संघ के चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में ABVP ने चुनाव समिति के गठन पर ऐतराज जताया है. जिसके लिए दो दिन का धरना भी दिया गया, लेकिन दो दिन बाद ABVP की मांगों पर डीन आफ स्टूडेंट्स ने गौर किया और छात्रों को समझाया.

जेएनयू छात्र संघ चुनाव
जेएनयू छात्र संघ चुनाव
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 11, 2024, 9:15 AM IST

नई दिल्ली: जेएनयू में छात्र संघ चुनाव को लेकर गठित चुनाव समिति पर ABVP अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की आपत्तियों पर जेएनयू (JNU) प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. डीन आफ स्टूडेंट्स (डीओएस) प्रोफेसर मनुराधा चौधरी ने कहा है कि इस मामले को शिकायत निवारण समिति (जीआरसी- Grievance Redressal Committee) देखेगी. अगर मामला उनके बाहर जाता है, तो इसके लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा. बता दें कि एबीवीपी ने चुनाव समिति के गठन में दो स्कूल एसएलएल और सीएस की जीबीएम में धांधली का आरोप लगाया था.

साथ ही इन दो स्कूलों की जीबीएम को दोबारा कराने की मांग की थी. इसके बावजूद जब डीओएस ने एबीवीपी की मांग को नजरअंदाज करते हुए चुनाव समिति को मंजूरी दे दी थी. इस पर विरोध जताते हुए शनिवार को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने डीओएस ऑफिस में फिर से 500 एसएलएल और सीएस छात्रों के हस्ताक्षर के साथ शिकायत दी. साथ ही डीओएस ऑफिस के अंदर धरना दे दिया था

दो दिन तक चले धरना प्रदर्शन के बाद डीओएस ने एबीवीपी की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उनकी मागें मान लीं. एबीवीपी के जेएनयू इकाई के सचिव विकास पटेल ने बताया कि जेएनयूएसयू की ओर से कराई गई जनरल बॉडी मीटिंग शुरुआत से ही सवालों के घेरे में रही है. आखिरी दिन भाषा अध्ययन केंद्र की जीबीएम में चार सदस्यों को चुनाव समिति के लिए नामित किया गया. जबकि पहले दो ही सदस्य नामित किए गए थे. उन्हें एक तरफा तरीके से लाया गया. 280 छात्रों ने चुनाव समिति में शामिल होने के लिए नाम दिए थे, लेकिन उनमें से किसी को नहीं चुना गया.

जेएनयू में छात्र संघ चुनाव से पहले चुनाव समिति की नियुक्ति होती है, जिसमें सभी छात्र संगठनों की सहमति होती है. इसके लिए कोई भी आपत्ति होने पर ग्रेवेंस रिड्रेसल कमेटी का निर्माण होता है, जो इस बार चुनाव समिति के लिए जीबीएम पूरी कराए जाने के बाद बनाई गई जो की नियम से बहुत देरी से बनी है. ABVP का कहना है कि इस बार की चुनाव समिति की प्रक्रिया में वाम संगठनों ने बस अपने लोगों को चुनाव समिति में शामिल किया, जिससे ये चुनाव प्रक्रिया को अपने हिसाब से चला पाएं, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है.

ये भी पढ़ें- नोएडा पुलिस बढ़ाएगी एल्विश यादव की मुश्किलें, इसी माह दाखिल होगी चार्जशीट

एबीवीपी के जेएनयू इकाई के सचिव विकास पटेल ने ये भी कहा कि पूरे मामले को शिकायत निवारण समिति (जीआरसी) को भेजा गया है. जीआरसी 24 घंटे में मामले का निपटारा करती है, लेकिन अभी ऐसा नहीं हुआ है. चुनाव नजदीक हैं, इसलिए अगर समिति बनाकर आपत्तियां निपटाईं गईं तो यह निपट ही नहीं पाएंगी. क्योंकि 29 मार्च से पहले पूरी चुनाव प्रक्रिया संपन्न करानी है. उसके बाद लिंगदोह के लिहाज से समय पूरा हो जाएगा. विकास ने कहा कि स्वायत्त छात्र समिति में 40 सदस्यों को शामिल किया गया है. अब चुनाव के लिए और सदस्यों की जरूरत पड़ रही है. कई जगह जीबीएम नहीं हुई है और अब नए सदस्य सीधे शामिल किए जाएंगे, ऐसे सदस्यों की विश्वसनीयता पर सवाल उठेंगे.

चुनाव समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने कहा कि जो भी निर्णय लिए जा रहे हैं, वह लिंगदोह और जेएनयूएसयू संविधान के मुताबिक ही लिए जा रहे हैं. हर साल अधिक सदस्य नामित किए जाते हैं. इसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर पिता-पुत्र की हत्या, आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस

नई दिल्ली: जेएनयू में छात्र संघ चुनाव को लेकर गठित चुनाव समिति पर ABVP अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की आपत्तियों पर जेएनयू (JNU) प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. डीन आफ स्टूडेंट्स (डीओएस) प्रोफेसर मनुराधा चौधरी ने कहा है कि इस मामले को शिकायत निवारण समिति (जीआरसी- Grievance Redressal Committee) देखेगी. अगर मामला उनके बाहर जाता है, तो इसके लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा. बता दें कि एबीवीपी ने चुनाव समिति के गठन में दो स्कूल एसएलएल और सीएस की जीबीएम में धांधली का आरोप लगाया था.

साथ ही इन दो स्कूलों की जीबीएम को दोबारा कराने की मांग की थी. इसके बावजूद जब डीओएस ने एबीवीपी की मांग को नजरअंदाज करते हुए चुनाव समिति को मंजूरी दे दी थी. इस पर विरोध जताते हुए शनिवार को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने डीओएस ऑफिस में फिर से 500 एसएलएल और सीएस छात्रों के हस्ताक्षर के साथ शिकायत दी. साथ ही डीओएस ऑफिस के अंदर धरना दे दिया था

दो दिन तक चले धरना प्रदर्शन के बाद डीओएस ने एबीवीपी की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उनकी मागें मान लीं. एबीवीपी के जेएनयू इकाई के सचिव विकास पटेल ने बताया कि जेएनयूएसयू की ओर से कराई गई जनरल बॉडी मीटिंग शुरुआत से ही सवालों के घेरे में रही है. आखिरी दिन भाषा अध्ययन केंद्र की जीबीएम में चार सदस्यों को चुनाव समिति के लिए नामित किया गया. जबकि पहले दो ही सदस्य नामित किए गए थे. उन्हें एक तरफा तरीके से लाया गया. 280 छात्रों ने चुनाव समिति में शामिल होने के लिए नाम दिए थे, लेकिन उनमें से किसी को नहीं चुना गया.

जेएनयू में छात्र संघ चुनाव से पहले चुनाव समिति की नियुक्ति होती है, जिसमें सभी छात्र संगठनों की सहमति होती है. इसके लिए कोई भी आपत्ति होने पर ग्रेवेंस रिड्रेसल कमेटी का निर्माण होता है, जो इस बार चुनाव समिति के लिए जीबीएम पूरी कराए जाने के बाद बनाई गई जो की नियम से बहुत देरी से बनी है. ABVP का कहना है कि इस बार की चुनाव समिति की प्रक्रिया में वाम संगठनों ने बस अपने लोगों को चुनाव समिति में शामिल किया, जिससे ये चुनाव प्रक्रिया को अपने हिसाब से चला पाएं, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है.

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एबीवीपी के जेएनयू इकाई के सचिव विकास पटेल ने ये भी कहा कि पूरे मामले को शिकायत निवारण समिति (जीआरसी) को भेजा गया है. जीआरसी 24 घंटे में मामले का निपटारा करती है, लेकिन अभी ऐसा नहीं हुआ है. चुनाव नजदीक हैं, इसलिए अगर समिति बनाकर आपत्तियां निपटाईं गईं तो यह निपट ही नहीं पाएंगी. क्योंकि 29 मार्च से पहले पूरी चुनाव प्रक्रिया संपन्न करानी है. उसके बाद लिंगदोह के लिहाज से समय पूरा हो जाएगा. विकास ने कहा कि स्वायत्त छात्र समिति में 40 सदस्यों को शामिल किया गया है. अब चुनाव के लिए और सदस्यों की जरूरत पड़ रही है. कई जगह जीबीएम नहीं हुई है और अब नए सदस्य सीधे शामिल किए जाएंगे, ऐसे सदस्यों की विश्वसनीयता पर सवाल उठेंगे.

चुनाव समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने कहा कि जो भी निर्णय लिए जा रहे हैं, वह लिंगदोह और जेएनयूएसयू संविधान के मुताबिक ही लिए जा रहे हैं. हर साल अधिक सदस्य नामित किए जाते हैं. इसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है.

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