नई दिल्ली: जेएनयू में छात्र संघ चुनाव की घोषणा के बाद छात्र संगठन चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और वामपंथी छात्र संगठन दोनों के अपने अलग-अलग चुनावी मुद्दे हैं और उन्हीं मुद्दों को लेकर वो छात्रों के बीच जा रहे हैं.
हॉस्टल का मुद्दा अहम-ABVP
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मीडिया सहसंयोजक अंबुज मिश्रा ने बताया कि इस बार के छात्र संघ चुनाव में विद्यार्थी परिषद छात्रों के लिए छात्रावास की कमी के सबसे प्रमुख मुद्दे को जोर शोर से उठाएगी और अपने घोषणा पत्र का भी हिस्सा बनाएगी. अंबुज ने बताया कि जेएनयू प्रशासन ने करीब डेढ़ साल पहले बनकर तैयार हो चुके बराक हॉस्टल को अभी तक छात्रों को आवंटित करना शुरू नहीं किया है. ये जेएनयू का सबसे बड़ा हॉस्टल है, जिसे विद्यार्थी परिषद की मांग और प्रयास से शिक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दी थी.
'पुरानी इमारतों का मुद्दा भी अहम'
ABVP की ओर से कहा गया है 1200 कमरों के हॉस्टल में 600 छात्रों और 600 छात्राओं के ठहरने की व्यवस्था है लेकिन जेएनयू प्रशासन इस हॉस्टल की बाउंड्री का निर्माण न होने की बात कह कर इसे आवंटित नहीं कर रहा है. इसके अलावा विद्यार्थी परिषद विश्वविद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर लाइब्रेरी, बाथरूम की समस्या, पुराने जर्जर हॉस्टल की मरम्मत के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाएगी. इसके अलावा जेएनयू में अभी तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू नहीं किया जाना भी विद्यार्थी परिषद के लिए एक बड़ा मुद्दा है. 'हम अपने घोषणा पत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को विश्वविद्यालय में लागू कराने के मुद्दे को शामिल करेंगे'. विद्यार्थी परिषद छात्र संघ की सभी चारों सीट अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद पर लड़ने की पूरी तैयारी में है.
उन्होंने ये भी कहा कि 'इस बार ABVP के पक्ष में एक अलग ही माहौल दिखाई दे रहा है, जो इससे पहले कभी नहीं दिखा. विद्यार्थी परिषद के पक्ष में इस बार चौंकाने वाले चुनाव नतीजे आ सकते हैं'
AISA (आइसा) गठबंधन कर अध्यक्ष पद पर लड़ेगी चुनाव-सूत्र
वहीं वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि इस बार आइसा अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ेगा. हम सभी चारों दल आइसा, एसएफआई, एआईएसएफ और डीएसएफ फिर से गठबंधन करके चुनाव लड़ेंगे और सभी चारों सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. हमारे लिए चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा जेएनयू प्रशासन के पास फंड की कमी होना, छात्रों को समय से स्कॉलरशिप न मिलना और देश में बेरोजगारी का मुद्दा प्रमुख रहेगा. उन्होंने बताया कि देश में लोकसभा चुनाव से पहले जेएनयू से एक संदेश जाएगा.
बता दें साल 2019 में हुए जेएनयू छात्रसंघ के चुनाव में सभी चारों वामपंथी छात्र संगठनों ने मिलकर चुनाव लड़ा था. सभी ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ते हुए विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशियों को करारी शिकस्त दी थी. विद्यार्थी परिषद सभी चारों सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. अध्यक्ष पद पर FSI की आईसी घोष, उपाध्यक्ष पद पर DSF के साकेत मून, सचिव पद पर आइसा के सतीश चंद्र यादव और संयुक्त सचिव पद पर एआईएसएफ(AISF) के मोहम्मद दानिश ने जीत दर्ज की थी. अध्यक्ष पद पर विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशी को करीब दोगुने वोट के अंदर से हार का सामना करना पड़ा था. आईसी घोष को 2315 जबकि विद्यार्थी परिषद के मनीष जांगिड़ को मात्र 1122 वोट मिले थे. इस तरह से आइसा को एक बड़ी जीत मिली थी.
पिछले चुनाव में कुल 5762 छात्रों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. हाई कोर्ट की कुछ समय तक चुनाव परिणाम पर रोक के बाद छात्र संघ चुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे. काउंसलर पद के लिए दो छात्रों का नामांकन रद्द करने के खिलाफ वे हाई कोर्ट चले गए थे. इसके बाद मतगणना पर रोक लगाई गई थी.
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