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जेएमएम का वारः राज्यपाल बताएं कि सत्ताधारी दल के किन विधायकों ने उन्हें किया था फोन, सरकार बनाने का न्योता देने में क्यों लगा वक्त- सुप्रियो

JMM targeted Rajbhawan in Ranchi. सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राजभवन को निशाने पर लिया है. रांची में जेएमएम की प्रेस वार्ता में पार्टी के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि राज्यपाल बताएं कि सत्ताधारी दलों के किन दो विधायकों ने उन्हें फोन किया था. आखिर बहुमत रहने के बावजूद चंपई सोरेन को सरकार बनाने का न्योता देने में इतना वक्त क्यों लगा.

JMM targets Raj Bhavan for delayed invitation to Champai Soren to form government in Jharkhand
झारखंड में चंपई सोरेन को सरकार बनाने का न्योता देर से देने पर जेएमएम ने राजभवन पर निशाना साधा
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 9, 2024, 9:30 PM IST

रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन कर राजभवन को निशाने पर लिया. उन्होंने पिछले दिनों राज्य में हुई राजनीतिक गतिविधियों पर दिए गए सफाई पर सवाल उठाए हैं.

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी में राजभवन की कोई भूमिका नहीं होने संबंधी बयान पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि झारखंड पिछले दिनों अपनी भूमिका द्वारा संवैधनिक प्रयोगों के माध्यम बन गया है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि क्यों, राज्यपाल को बोलना पड़ा कि उन्होंने क्या-क्या किया. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जब प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि हम निवर्तमान मुख्यमंत्री को हिरासत में ले चुके हैं, तब उन्होंने इस्तीफे देने राजभवन आने की इजाजत दी.

हेमंत सोरेन के पीछे-पीछे 43 विधायक जब राजभवन में प्रवेश किया तो राजभवन के सुरक्षाकर्मियों ने दो बसों को अंदर जाने की अनुमति दी. लेकिन अंदर जाने पर उन्हें अनुमति नहीं होने का हवाला देकर विधायकों को बाहर क्यों निकाल दिया गया. हेमंत सोरेन के इस्तीफे और चंपई सोरेन द्वारा सरकार बनाने का दावा किया गया तो राज्यपाल बिना पत्र लिए कक्ष से बाहर क्यों चले गए थे और 15 मिनट बाद दावा पत्र को स्वीकार क्यों किया. इसका जवाब भी राज्यपाल को देना चाहिए.

झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्यपाल को इसकी भी सफाई देनी चाहिए कि जब 31 जनवरी की रात सवा आठ बजे हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया. दूसरे दिन 1 फरवरी 10.30 बजे रात तक नई सरकार बनाने का बहुमत होने के बाद इंतजार क्यों कराया गया? हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद राज्य का कार्यकारी हेड कौन था? झामुमो ने मीडिया संवाद के दौरान पूछा कि अगर चंपई सोरेन सरकार के बहुमत पर राज्यपाल को संदेह था तो उन्होंने सरकार का लिखा अभिभाषण विधानसभा में क्यों पढ़ा. 81 सदस्यीय विधानसभा में भारी बहुमत के आंकड़े के बावजूद क्यों नई सरकार के गठन में देरी की गई.

झामुमो केंद्रीय सचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिस तरह से बिहार में विधायकों के हिसाब से तीसरी पार्टी को कुछ घंटे में शपथ दिला दी जाती है. वहीं झारखंड में स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद घंटों क्यों लग जाता है. साफ है कि जो भाजपा की बात नहीं मानेगा वह ED की गिरफ्त में होगा और राज्यपाल की मंशा सही नहीं थी. राज्यपाल ने किस विधायक को मीडिया में यह कहते देखा कि वह हैदराबाद नहीं जाना चाहते, इसको वे सार्वजनिक करें. झामुमो ने कहा कि राज्यपाल अपनी भूमिका निभाएं राजनीति न करें. पुरानी सरकार के कई विधेयक विधानसभा से पारित होकर पड़े हुए हैं, उसे पूरा करें.

हम राजभवन की पहरेदारी कर सकते हैं लेकिन जांच नहीं कराएंगे- JMM:

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्यपाल ने भले ही अपनी भूमिका की जांच करा लेने की बात कही हो. लेकिन झामुमो का मानना है कि राजभवन और राज्यपाल का दायरा कानून से ऊपर का है, ऐसी नौबत नहीं आये, हम पहरेदारी कर सकते हैं जांच नहीं कराएंगे. झामुमो नेता ने कहा कि JSSC पेपर लीक मामले की जांच क्यों सीबीआई से कराई जाए जो केंद्र सरकार की टूल की तरह काम करती है. इसलिए हमें SIT पर भरोसा है.

इसे भी पढे़ं- बीजेपी के पीठासीन पदाधिकारी जल्लाद की तरह कर रहे काम, जेएमएम ने लगाया आरोप

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रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन कर राजभवन को निशाने पर लिया. उन्होंने पिछले दिनों राज्य में हुई राजनीतिक गतिविधियों पर दिए गए सफाई पर सवाल उठाए हैं.

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी में राजभवन की कोई भूमिका नहीं होने संबंधी बयान पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि झारखंड पिछले दिनों अपनी भूमिका द्वारा संवैधनिक प्रयोगों के माध्यम बन गया है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि क्यों, राज्यपाल को बोलना पड़ा कि उन्होंने क्या-क्या किया. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जब प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि हम निवर्तमान मुख्यमंत्री को हिरासत में ले चुके हैं, तब उन्होंने इस्तीफे देने राजभवन आने की इजाजत दी.

हेमंत सोरेन के पीछे-पीछे 43 विधायक जब राजभवन में प्रवेश किया तो राजभवन के सुरक्षाकर्मियों ने दो बसों को अंदर जाने की अनुमति दी. लेकिन अंदर जाने पर उन्हें अनुमति नहीं होने का हवाला देकर विधायकों को बाहर क्यों निकाल दिया गया. हेमंत सोरेन के इस्तीफे और चंपई सोरेन द्वारा सरकार बनाने का दावा किया गया तो राज्यपाल बिना पत्र लिए कक्ष से बाहर क्यों चले गए थे और 15 मिनट बाद दावा पत्र को स्वीकार क्यों किया. इसका जवाब भी राज्यपाल को देना चाहिए.

झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्यपाल को इसकी भी सफाई देनी चाहिए कि जब 31 जनवरी की रात सवा आठ बजे हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया. दूसरे दिन 1 फरवरी 10.30 बजे रात तक नई सरकार बनाने का बहुमत होने के बाद इंतजार क्यों कराया गया? हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद राज्य का कार्यकारी हेड कौन था? झामुमो ने मीडिया संवाद के दौरान पूछा कि अगर चंपई सोरेन सरकार के बहुमत पर राज्यपाल को संदेह था तो उन्होंने सरकार का लिखा अभिभाषण विधानसभा में क्यों पढ़ा. 81 सदस्यीय विधानसभा में भारी बहुमत के आंकड़े के बावजूद क्यों नई सरकार के गठन में देरी की गई.

झामुमो केंद्रीय सचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिस तरह से बिहार में विधायकों के हिसाब से तीसरी पार्टी को कुछ घंटे में शपथ दिला दी जाती है. वहीं झारखंड में स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद घंटों क्यों लग जाता है. साफ है कि जो भाजपा की बात नहीं मानेगा वह ED की गिरफ्त में होगा और राज्यपाल की मंशा सही नहीं थी. राज्यपाल ने किस विधायक को मीडिया में यह कहते देखा कि वह हैदराबाद नहीं जाना चाहते, इसको वे सार्वजनिक करें. झामुमो ने कहा कि राज्यपाल अपनी भूमिका निभाएं राजनीति न करें. पुरानी सरकार के कई विधेयक विधानसभा से पारित होकर पड़े हुए हैं, उसे पूरा करें.

हम राजभवन की पहरेदारी कर सकते हैं लेकिन जांच नहीं कराएंगे- JMM:

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्यपाल ने भले ही अपनी भूमिका की जांच करा लेने की बात कही हो. लेकिन झामुमो का मानना है कि राजभवन और राज्यपाल का दायरा कानून से ऊपर का है, ऐसी नौबत नहीं आये, हम पहरेदारी कर सकते हैं जांच नहीं कराएंगे. झामुमो नेता ने कहा कि JSSC पेपर लीक मामले की जांच क्यों सीबीआई से कराई जाए जो केंद्र सरकार की टूल की तरह काम करती है. इसलिए हमें SIT पर भरोसा है.

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